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अखबारों में ऐड देकर 500 अरब डॉलर के निवेश की पीएम मोदी से मांगी इजाजत, क्या है कंपनी की हकीकत

इसको संदेह की नजरों से देखा जा रहा है, क्योंकि इस कथित ग्रुप की भारत में रजिस्टर्ड कंपनी की चुकता पूंजी महज 1 लाख रुपये की है. इस पर चुटकी लेते हुए सोशल मीडिया के एक यूजर ने कहा कि ये लोग इतना कॉन्फिडेंस कहां से लाते हैं?  

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अखबारों में विज्ञापन देकर मांगी निवेश की इजाजत
अखबारों में विज्ञापन देकर मांगी निवेश की इजाजत
स्टोरी हाइलाइट्स
  • एक अमेरिकी कंपनी ने दिया विज्ञापन
  • ट्विटर पर लोगों ने उठाए कंपनी पर सवाल

देश के कई प्रमुख अखबारों में पहले पन्ने पर सोमवार एक ऐड देखकर लोग चौंक गए. इस ऐड में दावा किया गया कि अमेरिकी कंपनी लैंडोमस रियल्टी Inc. भारत की कई बुनियादी ढांचा प्रोजेक्ट्स में 500 अरब डॉलर (करीब 36,47,350 करोड़ रुपये) का निवेश करना चाहती है. विज्ञापन के माध्यम से पीएम मोदी से यह अनुरोध किया गया है वे इसकी इजाजत दें. ऐड देने के बाद सुर्खियों में आई इस कंपनी के बारे में जब पड़ताल की गई तो पता चला कि दिए गए पते पर कंपनी का कोई दफ्तर ही नहीं है. कंपनी की वेबसाइट भी लंबे समय से बंद है.

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कंपनी का ट्रैक रिकॉर्ड संदेह भरा

साल 2014 में भारत और अमेरिकी सरकार ने संयुक्त बयान में आधिकारिक तौर पर 500 अरब डॉलर के साझा द्विपक्षीय व्यापार का टारगेट सेट किया था.इसके बाद से दोनों देशों ने एक लंबा सफर तय किया है लेकिन अभी भी उस लक्ष्य को हासिल करने से दूर हैं. हालांकि बीते सोमवार की सुबह भारतीयों को अमेरिका की एक कथित फर्म के एक अविश्वसनीय विज्ञापन के बारे में पता चला जिसमें 500 अरब डॉलर के "निवेश के पहले चरण" की पेशकश की गई थी. "Landomus Reality Ventures Inc" की ओर से दिए गए ऐड में सीधे भारत के प्रधान मंत्री को संबोधित किया गया था. हालांकि, फर्म के पिछले रिकॉर्ड उसके व्यावसायिक वादों और ट्रैक रिकॉर्ड पर संदेह पैदा करते हैं.

बंगलुरु में भी रजिस्टर्ड है कंपनी

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न्यूजपेपर में भले ही कंपनी के ऐड लैंडमस अमेरिका के नाम से दिया गया हो लेकिन यह कंपनी रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज, बंगलुरु में भी रजिस्टर्ड है. बंगलुरु में इंडिया टुडे टीवी , कंपनी के रजिस्टर्ड एड्रेस पर पहुंची. यहां जाने पर पता चला कि इस पते पर ऐसी किसी कंपनी का दफ्तर ही नहीं है. आसपास की कंपनी में काम करने वाले लोगों ने भी इस कंपनी को पहचानने से इनकार कर दिया. अमेरिका में दाखिल कंपनी के कॉरपोरेट पेपर्स के मुताबिक  Landomus Reality Ventures साल 2017 में 2 फरवरी को रजिस्टर हुई थी.  जबकि भारत में यह कंपनी दो साल पहले यानी जुलाई 2015 में रजिस्टर हुई थी. कंपनी की भारतीय फर्म ने वार्षिक रिटर्न भी नहीं भरा है. कंपनी की वेबसाइट पर भी ज्यादा कुछ जानाकारी साझा नहीं की गई है. कंपनी की वेबसाइट के एक आर्काइव्ड वर्जन पर बताया गया है कि कंपनी लैंड बैंकिंग में काम करती थी. लैंड बैंकिंग में कंपनियां मौके की जमीन खरीदकर एकत्रित करती हैं और भविष्य में उसके इस्तेमाल के लिहाज से बेचती हैं. 

कंपनी की वेबसाइट पर बयान

लैंडमस की वेबसाइट के एक अर्काइव्ड पेज पर साल 2018 का एक बयान है, जिसमें कहा गया है कि कंपनी का मुख्य ध्यान लैंड बैंकिंग रणनीति के जरिए अमेरिका और भारत में रिएल वेल्थ बनाना है. हालांकि कंपनी की मौजूदा वेबसाइट 'कोविड मुक्त और एक समृद्ध भारत का निर्माण' को समर्पित है. कंपनी के एक और आर्काइव्ड पेज पर  दावा किया गया है कि कंपनी का टारगेट है कि वह अपने निवेशकों को 34.93% रेट से कंपाउंड एनुअल ग्रोथ दे, जिसके जरिए कंपनी का $25,000,000 जुटाने का प्लान है. हालांकि कंपनी की वेबसाइट के मौजूदा पेज पर इस बात की जानकारी नहीं दी गई है कि क्या कंपनी ने कभी अपने वादे पूरे किए या नहीं.

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यूनाइटेड लैंड बैंक ने रजिस्टर कराई है वेबसाइट

डोमेन रजिस्ट्रेशन डाटा के मुताबिक लैंडमस यूएसए की मौजूदा वेबसाइट कर्नाटक के यूनाइटेड लैंड बैंक (ULB) की तरफ से रजिस्टर की गई है. रिकॉर्ड्स के मुताबिक यूएलबी के फाउंडर एस प्रदीप कुमार हैं. वह लैंडमस के चेयरमैन हैं और न्यूज पेपर में ऐड भी उन्हीं की तरफ से दिया गया है. कंपनी की वेबसाइट पर साल 2017 में लिखा गया है कि यूएलबी ने बंगलुरु और मैसूर में लैंड और प्रॉपर्टी की खरीद के लिए एक सलाहकार और सुविधाकर्ता के तौर पर काम किया है. अब कंपनी के संस्थापक कंपनी को लेकर वैश्विक स्तर पर काम करने की तैयारी में हैं. कंपनी एनआरआई और विदेशों में भारतीय मूल के लोगों को बंगलुरु के रियल एस्टेट मार्केट में निवेश करने  में मदद करेगी. वेबसाइट अब बंद हो चुकी है और कंपनी के तरफ से बंगलुरु के दिए हुए पते पर कोई दफ्तर नहीं है.

सोशल मीडिया पर उठे सवाल

इस ऐड के आने के बाद सोशल मीडिया पर इसको लेकर सवाल उठाए जाने लगे. यह सवाल उठाया कि अगर किसी कंपनी को निवेश करना है तो वह सीधे पीएम मोदी से मिलकर या वाणिज्य मंत्रालय के किसी अन्य उचित प्लेटफॉर्म से इसके लिए संपर्क कर सकती है. इसके लिए अखबार में ऐड देने की जरूरत क्या थी? कंपनी को भी संदेह की नजरों से देखा जा रहा है, क्योंकि इस ग्रुप की भारतीय कंपनी की चुकता पूंजी महज 1 लाख रुपये की है. इस पर चुटकी लेते हुए सोशल मीडिया के एक यूजर ने कहा कि ये लोग इतना कॉन्फिडेंस कहां से लाते हैं?  

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क्या है ऐड में 

विज्ञापन में कहा गया है, 'लैंडोमस रियल्टी वेंचर्स, इंक, यूएसए पहले चरण के निवेश के रूप में भारत के नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (NIP) और गैर एनआईपी प्रोजेक्ट्स में 500 अरब डॉलर का निवेश करना चाहती है.' 

ऐड में पीएम मोदी से अनुरोध किया गया है कि वह 'न्यू इंडिया के अपने विजन में योगदान करने का मौका दें.' कंपनी ने कहा कि वह नए भारत के निर्माण और 5 ट्रिलियन डॉलर जीडीपी लक्ष्य को हासिल करने में सरकार की मदद करना चाहती है. यही नहीं ऐड में कहा गया है, 'हमारे पास भारत को महामारी से मुक्त करने का ठोस प्लान है. कृपया इसे पेश करने का मौका दें.'

कंपनी पर क्यों उठ रहे सवाल 

इस कंपनी को लेकर कई तरह के संदेह जताए जा रहे हैं. गूगल सर्च करने पर कंपनी के बारे में जो जानकारी मिलती है, उसके मुताबिक अमेरिका में इसका पता 6453 Riverside Station Boulevard, Secaucus, NJ 07094, USA बताया गया है. अमेरिकी कंपनी की वेबसाइट पर इसके अलावा और कोई जानकारी नहीं है. 

भारत में इस ग्रुप की कंपनी का नाम Landomus Realty Ventures Private Limited है और इसका गठन 17 जुलाई, 2015 को एक निजी कंपनी के रूप में किया गया है. इसका रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज, बेंगलुरु के द्वारा रजिस्ट्रेशन किया गया है. कंपनी का पता मणिपाल सेंटर, डिकेंसन रोड, बेंगलुरु का है. 

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सिर्फ एक लाख की पूंजी 

मजेदार बात यह है कि कंपनी भारत में 500 अरब डॉलर के निवेश का दावा कर रही है, लेकिन उसकी वेबसाइट के मुताबिक ही इस ग्रुप की भारतीय कंपनी  Landomus Realty Ventures का अथराइज्ड शेयर कैपिटल महज 10 लाख रुपये का और पेडअप कैपिटल सिर्फ 1 लाख रुपये का है.  

कहां से लाते हैं इतना कॉन्फिडेंस? 

वेबसाइट के अनुसार, कंपनी के सीईओ प्रदीप कुमार सत्यप्रकाश हैं और डायरेक्टर ममता एचएन, गुणाश्री प्रदीपकुमार, सत्यप्रकाश प्रदीप कुमार और रक्षित गंगाधर हैं.

एक सोशल मीडिया पर इसे लेकर सवाल-जवाब का सिलसिला शुरू हो चुका है. संजीव कुमार लिखते हैं, 'क्या इतने बड़े निवेश के लिए पीएम से संपर्क करने का यही तरीका है? ये कौन लोग हैं? क्या इनके लिए पीएम मोदी से मीटिंग करना मुश्किल है?  

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एक और यूजर टृवीट कर कहते हैं, '10 लाख का अथरॉइज्ड शेयर कैपिटल और 1 लाख का पेडअप कैटिपल. ये लोग इतना कॉन्फिडेंस कहां से लाते हैं यार?' 

 

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