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सड़क पर किसानों के तंबू से 2731 करोड़ रुपये स्वाहा, 3 राज्य लपेटे में!

Gadkari on Farmers Protest: नितिन गडकरी ने राज्य सभा में कहा कि किसानों के आंदोलन के चलते टोल का कामकाज प्रभावित हुआ है. इससे तीन राज्यों में टोल कलेक्शन पर असर पड़ा.

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किसानों के आंदोलन से टोल का नुकसान
किसानों के आंदोलन से टोल का नुकसान
स्टोरी हाइलाइट्स
  • किसानों के आंदोलन से सरकारी खजाने को हुआ नुकसान
  • कानून वापस होने के बाद भी आंदोलन पर अड़े हैं किसान

कृषि कानूनों (Farm Bills) को लेकर साल भर से अधिक समय से चल रहे किसान आंदोलन (Farmers Protest) से एनएचएआई (NHAI) को 2,731.32 करोड़ रुपये के टोल (Toll) का नुकसान हो चुका है. यह नुकसान अक्टूबर 2020 से लेकर अब तक का है. सरकार ने बुधवार को संसद में इसकी जानकारी दी.

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पंजाब में सबसे पहले हुआ था टोल के काम में दखल

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Road Transport and Highway Minister Nitin Gadkari) ने राज्य सभा (Rajya Sabha) में एक सवाल के लिखित जवाब में इसका आंकड़ा पेश किया. उन्होंने बताया कि अक्टूबर 2020 से किसान आंदोलन के चलते पंजाब (Punjab), हरियाणा (Haryana) और राजस्थान (Rajasthan) में टोल कलेक्शन (Toll Collection) प्रभावित होने लग गया. उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों ने सबसे पहले पंजाब में अक्टूबर 2020 में टोल का ऑपरेशन बंद किया. फिर यह बगल के राज्यों में भी पसर गया.

इन राज्यों में टोल प्लाजा पर पड़ा असर

मंत्री ने कहा कि किसान आंदोलन के चलते पंजाब के साथ ही हरियाणा और राजस्थान में भी टोल का कामकाज (Toll Operation) प्रभावित हुआ. इन तीन राज्यों में 60 से 65 एनएच टोल प्लाजा (NH Toll Plaza) का ऑपरेशन बाधित हुआ. इससे पिछले करीब एक साल के दौरान एनएचएआई को 2,731 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा.

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इस वित्त वर्ष में 12000 किमी एनएच बनाना लक्ष्य

गडकरी ने एक अन्य सवाल के जवाब में बताया कि उनके मंत्रालय ने इस वित्त वर्ष के दौरान 12 हजार किलोमीटर नेशनल हाइवे (National Highway) बनाने का लक्ष्य तय किया है. ये राजमार्ग विभिन्न परियोजनाओं के तहत बनाए जा रहे हैं और इनमें से कई परियोजनाएं 2021 में ही पूरी होने वाली हैं.

कानूनों को वापस लिए जाने के बाद भी जारी है आंदोलन

उल्लेखनीय है कि तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसान साल भर से अधिक समय से दिल्ली के कई बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं. इसके बाद सरकार ने एक रोज पहले ही संसद में तीनों हालिया कृषि कानूनों को वापस लेने पर मुहर लगाई है. हालांकि इन कानूनों को वापस लिए जाने के बाद भी किसानों का आंदोलन चल ही रहा है.

 

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