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पूजा पंडालों को 50 हजार देने के ममता के ऐलान को नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी का समर्थन

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 24 सितंबर को ही प्रत्येक दुर्गा पूजा समिति को 50,000 रुपये का अनुदान देने का ऐलान किया था. इसकी कई वर्गों में आलोचना होने लगी और इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई.  कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा है कि मनोरंजन के लिए सरकार अनुदान का उपयोग नहीं कर सकती है.

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अभि​जीत बनर्जी ने किया पूजा पंडालों को अनुदान का समर्थन
अभि​जीत बनर्जी ने किया पूजा पंडालों को अनुदान का समर्थन
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ममता सरकार ने किया हर पूजा पंडाल को 50 हजार देने का ऐलान
  • इसकी कई वर्गों ने आलोचना की, सरकार ने 'सेकुलर' कदम बताया
  • नोबेल विजेता इकोनॉमिस्ट अभिजीत बनर्जी ने इसका समर्थन किया

नोबेल पुरस्कार इकोनॉमिस्ट अभिजीत बनर्जी ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दुर्गा पूजा समितियों को सहयोग के ​लिए 50 हजार रुपये की नकद राशि देने के कदम का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि कोविड-19 के लिए जरूरी सुरक्षा उपाय करने के लिए पूजा समितियों को इस अतिरिक्त राशि की जरूरत है. 

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गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 24 सितंबर को ही प्रत्येक दुर्गा पूजा समिति को 50,000 रुपये का अनुदान देने का ऐलान किया था. इसकी कई वर्गों में आलोचना होने लगी और इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई.  

अभिजीत बनर्जी को साल 2019 में इकोनॉमिक्स का नोबेल पुरस्कार मिला था. अभिजीत बनर्जी ने एक न्यूज चैनल से बात करते हुए कहा, 'यह बुरा निर्णय नहीं है, यह देखते हुए कि इस बार सुरक्षा उपायों के लिए पूजा समितियों को अतिरिक्त खर्च करना है.'

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मनोरंजन पर नहीं खर्च कर सकते अनुदान 

पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से दुर्गा पूजा पंडाल पर लिए फैसले पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा कि मनोरंजन के लिए सरकार अनुदान का उपयोग नहीं कर सकती है. हाईकोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि राज्य सरकार की ओर से दिए जाने वाले फंड का 25 फीसदी हिस्सा पुलिसकर्मियों और लोगों के बीच संबंध को मजबूत करने की गतिविधियों के लिए उपयोग किया जाना चाहिए.

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इसके अलावा बाकी 75 फीसदी का उपयोग केवल मास्क और सैनिटाइजर की खरीद के लिए किया जा सकता है. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने कहा कि दुर्गा पूजा के आखिर में उचित बिल और खर्चों के इनवॉइस भी प्रस्तुत करने होंगे. 

पंडालों में लोगों के प्रवेश पर रोक 

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक राज्य सरकार ने कहा कि यह अनुदान कोविड सुरक्षा के लिए जरूरी साजोसामान की खरीद जैसे 'सेकुलर जरूरतों' के लिए किया जाएगा. लेकिन कोर्ट ने फिर सोमवार को अपने एक आदेश में कोरोना-19 को देखते हुए सभी पूजा पंडालों को नो एंट्री जोन घोषित कर दिया है.
कोर्ट ने कहा ​कि पंडाल के भीतर केवल आयोजक जाएंगे और इनका नाम पंडाल के बाहर लिखा रहेगा. एक बार किसी पंडाल में 25 से ज्यादा लोग नहीं रह सकते. 

 

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