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NSE Scam: 'योगी' के इशारे पर चलने वाली चित्रा रामकृष्णा गिरफ्तार, 2012 से ऐसे चल रहा था खेल!

NSE Co-Location Scheme: SEBI ने NSE Co-Location मामले में चित्रा रामकृष्णा और आनंद सुब्रमण्यम को गिरफ्तार कर लिया है. देश के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज NSE से जुड़े इस घोटाले पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं. आइए जानते हैं इस पूरे मामले के बारे में...

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सीबीआई चित्रा सुब्रमण्यम को कर चुकी है गिरफ्तार.
सीबीआई चित्रा सुब्रमण्यम को कर चुकी है गिरफ्तार.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सेबी ने पांच साल बाद सुनाया फैसला
  • एनएसई की फाउंडिंग मेंबर हैं चित्रा

फरवरी महीने का दूसरा शुक्रवार. फाइनेंशियल ईयर 2022-23 का बजट पेश हो चुका था. फाइनेंशियल मार्केट में देश के मौसम की तरह काफी सुस्ती भरी हुई थी. इसी बीच मार्केट रेगुलेटर सेबी ने एक ऑर्डर जारी किया. 190 पेज का विस्तृत ऑर्डर. यह ऑर्डर देश के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज NSE की पूर्व प्रमुख चित्रा रामकृष्णा (Chitra Ramakrishna) और पूर्व ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर आनंद सुब्रमण्यम (Anand Subramanian) से जुड़ा हुआ था. इस फैसले ने अगले कुछ दिनों में देश के फाइनेंशियल मार्केट का पारा अचानक से काफी अधिक बढ़ा दिया.

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रोज नई बातें आने लगी सामने

इस फैसले से जुड़ी शुरुआती खबरें 12 और फिर 13 फरवरी, 2022 को सबके सामने आईं. इस आदेश में पेज दर पेज ऐसे खुलासे किए गए हैं, जिससे पूरे फाइनेंशियल मार्केट में एक तरह से भूचाल गया. देश की विभिन्न जांच एजेंसिया हरकत में आ गईं. इसके बाद सीबीआई ने पहले आनंद सुब्रमण्यम और उसके बाद चित्रा रामकृष्णा को अरेस्ट कर लिया. समाचार एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट की मानें तो इस बार देश के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज को पूरी तरह Clean करने का ऑर्डर इस बार बिल्कुल ऊपर से आया था.

जानिए रिपोर्ट में क्या खुलासा हुआ था

इस रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि NSE की पूर्व एमडी एवं सीईओ चित्रा रामकृष्णा (Chitra Ramakrishna) ने एक अज्ञात योगी के कहने पर 20 साल तक कई छोटे-बड़े फैसले किए. बकौल रिपोर्ट, चित्रा ने योगी के कहने पर Balmer Lawrie और ICICI group के एक ज्वाइंट वेंचर में 15 लाख रुपये से कम पैकेज पर काम करने वाले आनंद सुब्रमण्यम को 1.68 करोड़ रुपये के सालाना पैकेज पर अप्वाइंट किया था. इतना ही नहीं बल्कि आनंद को चित्रा के ठीक बगल वाली केबिन में बैठा दिया गया था. 

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सेबी ने पांच साल बाद सुनाया फैसला

SEBI ने 190 पेज के इस ऑर्डर में चित्रा पर तीन करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया. रेगुलेटर ने NSE, सुब्रमण्यम और NSE के अन्य पूर्व एमडी एवं सीईओ रवि नारायण पर दो-दो करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया. इसके अलावा तत्कालीन चीफ रेगुलेटरी ऑफिसर एवं कम्पलाइंस ऑफिसर वी. आर. नरसिम्हन पर 6 लाख रुपये का जुर्मान लगाया गया. सेबी ने अपने आदेश में साथ ही कहा कि चित्रा और आनंद किसी भी मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर इंस्टीच्युशन या सेबी के साथ रजिस्टर्ड किसी भी इंटरमीडियटरी के साथ तीन साल तक एसोसिएट नहीं हो सकते हैं. नारायण पर इस संबंध में दो साल की पाबंदी लगाई गई है.

को-लोकेशन मामले में हुई गिरफ्तारी

CBI ने को-लोकेशन मामले में चित्रा और आनंद को गिरफ्तार किया है. NSE Co-Location का पूरा मामला करीब 1 दशक पुराना है. 2012 से 2014 के दौरान हुए इस SCAM में कुछ फेवरेट ब्रोकर्स को अन्य ब्रोकर्स के मुकाबले सर्वर का एक्सेस समय से पहले दिया जाता था. इस तरह तरजीही ब्रोकर्स अपने अन्य प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले पहले ही सेकेंडरी सर्वर में लॉग-इन कर लेते थे. इस तरह उन्हें महत्वपूर्ण डेटा का एक्सेस पब्लिक के पास जाने से पहले ही मिल जाता था. जिन ब्रोकर्स को यह सुविधा दी गई थी,वे बाकी ब्रोकर्स की तुलना में पहले ही ऑर्डर प्लेस कर फायदा उठा लेते थे.

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को-लोकेशन फैसिलिटी के बारे में जानिए

बड़ी संख्या में लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिर ये सिस्टम क्या है और किस प्रकार काम करता है. स्टॉक एक्सचेंज में को-लोकेशन फैसिलिटी (Co-Location Facility) उपलब्ध कराई जाती है. वास्तव में यह Stock Exchange के सर्वर के ठीक बगल का स्पेस होता है. यहां हाई फ्रीक्वेंसी और एल्गो ट्रेडर्स (High Frequency & Algo Traders) अपना सिस्टम लगा पाते हैं. को-लोकेशन फैसिलिटी एक्सचेंज के सर्वर के बेहद पास होती हैं, ऐसे में वहां मौजूद ट्रेडर्स की लैटेंसी बेहतर हो जाती है. ऑर्डर करने के बाद उसे Execute होने में लगने वाले समय को लैटेंसी कहते हैं. लैटेंसी सुधर जाने से को-लोकेशन फैसिलिटी में मौजूद ट्रेडर्स को बाकियों की तुलना में एडवांटेज मिल जाता है. एनएसई पर हुए स्कैम में पाया गया था कि ओपीजी सिक्योरिटीज (OPG Securities) नामक ब्रोकर को गलत तरीके से एक्सेस दिया गया था.

एनएसई की फाउंडिंग मेंबर हैं चित्रा

चित्रा रामकृष्णा (Chitra Ramakrishna) एनएसई की कोर टीम की सदस्य रही हैं. चित्रा एनएसई का फाउंडेशन तैयार करने के लिए चुनी गई टीम में शामिल रही थीं. वह अप्रैल 2013 में एनएसई की एमडी एंड सीईओ (MD & CEO) बन गईं और दिसंबर 2016 तक इस पद पर बनी रहीं. 2013 में NSE Chief बनने से पहले उनकी हैसियत नंबर 2 की थी. 

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