आयकर विभाग (Income Tax Department) ने करदाताओं (Taxpayers) को एक बड़ी राहत देने की तैयारी कर ली है. इसके तहत अब टैक्स भरते समय आपको अलग-अलग आईटीआर फॉर्म नहीं चुनना होगा. बल्कि एक कॉमन फॉर्म (Common ITR Form) से आप ये जरूरी काम फटाफट कर लेंगे. दरअसल, देश के सभी करदाताओं के लिए एकसमान आयकर रिटर्न फॉर्म लाने का प्रस्ताव रखा गया है.
फॉर्म चुनने का कन्फ्यूजन होगा दूर
आमतौर पर देखने को मिलता रहा है कि इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) फाइल करते समय करदाताओं में इस बात को लेकर काफी कन्फ्यूजन रहता है कि आखिर उनकी आय के हिसाब से कौन सा ITR Form भरना होगा. अब जल्द ही टैक्सपेयर्स की ये परेशानी दूर होने वाली है. विभाग एक कॉमन आईटीआर फॉर्म जारी करेगा, जिसमें डिजिटल एसेट्स से होने वाली इनकम को भी अलग से दर्ज किए जाने का प्रावधान होगा.
बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, आयकर विभाग ITR-7 को छोड़कर आय के सभी मौजूदा रूपों को एकीकृत करके एक कॉमन आईटीआर फॉर्म पेश करेगा. इस संबंध में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने एक बयान जारी करके भी जानकारी साझा की है. बोर्ड की ओर से बताया गया है कि नए कॉमन आईटीआर फॉर्म पर हितधारकों से 15 दिसंबर 2022 तक सुझाव आमंत्रित किए गए हैं.
फिलहाल 1 से 7 तक आईटीआर फॉर्म
टैक्सपेयर्स को अपनी इनकम के हिसाब से फिलहाल अलग-अलग आईटीआर फॉर्म चुनना और जमा करना होता है. इसके लिए ITR-1 से ITR-7 में से अपने लिए फॉर्म का चयन करना होता है. छोटे और मझोले टैक्सपेयर आईटीआर-1 (सहज) और आईटीआर-4 (सुगम) कैटेगरी के फॉर्म से रिटर्न जमा करते हैं, जो आगे भी बने रहेंगे. लेकिन व्यक्तिगत टैक्सपेयर्स के पास इस साझा आईटीआर फॉर्म के माध्यम से भी रिटर्न जमा करने का ऑप्शन होगा. नांगिया एंडरसन एलएलपी के पार्टनर संदीप झुनझुनवाला की मानें तो नया कॉमन आईटीआर फॉर्म पुराने फॉर्म के समानांतर आईटीआर-1 और आईटीआर-4 में उपलब्ध होगा.
ITR-7 को छोड़कर एक कॉमन फॉर्म
CBDT का कहना है कि आईटीआर-7 को छोड़कर बाकी सभी रिटर्न वाले फॉर्म को मिलाकर एक कॉमन आईटीआर फॉर्म लाने का प्रस्ताव है. यहां बता दें ITR-1 फॉर्म वैसे भारतीय नागरिकों के लिए है, जिनकी आमदनी 50 लाख रुपये तक है. यह आमदनी सैलरी, फैमिली पेंशन, एक आवासीय संपत्ति आदि से होनी चाहिए. जबकि, ITR-4 फॉर्म अविभाजित हिंदू परिवारों और एलएलपी को छोड़ बाकी कंपनियों के लिए है, जिनकी टोटल इनकम 50 लाख रुपये से ज्यादा है और उन्हें ऐसे सोर्सेज से कमाई हो रही है जो 44एडी, 44एडीए या 44एई जैसे सेक्शंस के दायरे में आते हैं.
वर्तमान में मौजदू अन्य फॉर्म
आईटीआर-1 और 4 के अलावा ITR-2 फॉर्म वैसे लोगों और अविभाजित हिंदू परिवारों के लिए है, जिनकी आय 50 लाख रुपये से ज्यादा है और वे किसी बिजनेस से प्रॉफिट नहीं कमा रहे हैं. इसमें एक से ज्यादा आवासीय संपत्ति, इन्वेस्टमेंट पर हुए कैपिटल गेल या लॉस, 10 लाख रुपये से ज्यादा की डिविडेंड इनकम और खेती से हुई 5000 रुपये से ज्यादा की कमाई की जानकारी देनी होती है.
ITR 3 और 5 की बात करें तो बिजनेस/ प्रोफेशन से इनकम या प्रॉफिट पाने वाले लोगों को आईटीआर-3 फॉर्म भरना होता है. वहीं, कॉरपोरेट बॉडी लिमिटेड लायबलिटी पार्टनरशिप (LLP) को आईटीआर-5 फॉर्म भरना होता है. ITR-6 फॉर्म उन कंपनियों के लिए है, जिन्होंने सेक्शन 11 के तहत छूट का दावा नहीं किया हो.