पाकिस्तान लंबे समय से वित्तीय संकट (Pakistan Financial Crisis) का सामना कर रहा है और IMF समेत अन्य देशों से भारी-भरकम कर्ज लेने के बाद भी हालात जस के तस बने हुए हैं. आर्थिक हालात बेहतर करने के लिए नौबत यहां तक आ गई है, कि दोबारा सत्ता में आई शहबाज शरीफ सरकार (Shehbaz Sharif Govt) अब कुछ को छोड़कर सभी सरकारी कंपनियों को प्राइवेट हाथों में सौंपने का कदम उठा रहा है. इसमें पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (PIA) से लेकर देश की बिजली कंपनियां भी शामिल हैं. लेकिन क्या आ जानते हैं कि बदहाली की तगड़ी मार झेल रहे पाकिस्तान के पास कंगाली से बाहर निकलने का बड़ा ऑप्शन भी है. ये ऐसा खजाना है, जो एक झटके में पाकिस्तान को अमीर बना सकता है. आइए जानते हैं इसके बारे में...
IMF से मदद के बावजूद हालात बदतर
सबसे पहले बात कर लेते हैं पाकिस्तान में मौजूदा हालातों के बारे में, तो बीते मंगलवार को पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण उद्यमों को छोड़कर सभी राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों के प्राइवेटाइजेशन की घोषणा कर दी है. ARY News की रिपोर्ट के अनुसार, इस संबंध में हुई बैठक में निजीकरण कार्यक्रम 2024-29 का रोडमैप पेश किया गया. शरीफ सरकार का कहना है कि राज्य के स्वामित्व वाले कारोबार के निजीकरण से टैक्सपेयर्स का पैसा बचेगा और सरकार को लोगों को गुणवत्तापूर्ण सर्विस प्रोवाइड कराने में मदद मिलेगी. खास बात ये है कि IMF से मदद मिलने के बावजूद देश के ये हालात बने हुए हैं.
बलूचिस्तान में छिपा है खजाना
अब बताते हैं उस खास खजाने के बारे में जो पाकिस्तान के दिन बदल सकता है. दरअसल, हम बात कर रहे हैं सोने यानी Gold जो देश को आर्थिक बदहाली से बाहर निकालने काम आ सकता है. लेकिन, ये पाकिस्तान के गोल्ड रिजर्व (Pakistan Gold Reserve) के बारे में नहीं है, बल्कि इशारा देश के बलूचिस्तान प्रांत में मौजूद सोने की खदानों (Pakistan Gold Mines) की ओर है. इन खदानों में मौजूद स्वर्ण भंडार पाकिस्तान के हालात सुधार सकता है और इनमें इस प्रांत में स्थित रेको दिक (Reko Diq) माइन दुनिया के सबसे बड़े सोने और तांबे की खानों में से एक है.
रायटर्स की एक पुरानी रिपोर्ट की मानें तो पाकिस्तान सरकार के पास इस खदान के रूप में एक महत्वपूर्ण एसेट मौजूद है. इसमें करोड़ों टन सोने-तांबे का भंडार मौजूद है. रेको दिक खान बलूचिस्तान के चगाई जिले में रेको दिक कस्बे के पास ही स्थित है. इन खान में सैकड़ों टन सोना भरा पड़ा है. सोने-तांबे के विशाल भंडार का दोहन पाकिस्तान के काम आ सकता है. हालांकि, इसके इस्तेमाल करने को लेकर अभी तक कोई रिपोर्ट या बयान नहीं दिया गया है, लेकिन उम्मीद है कि इस तरीके से देश एक झटके में फिर खड़ा हो सकता है. बलूचिस्तान का ये हिस्सा ऐसा है जो प्राकृतिक संसाधनों के लिहाज से काफी समृद्ध है. इसमें इतना सोना है जो पाकिस्तान की गरीबी को दूर कर सकता है.
खदान में दबा इतना सोने का भंडार
पाकिस्तान की Reko Diq Mine में सबसे बड़ा तांबे-सोने का भंडार है. एक अनुमान के अनुसार, इसमें करीब 590 करोड़ टन का खनिज भंडार है. एक्सपर्ट्स की मानें तो प्रति टन खनिज भंडार में करीब 0.22 ग्राम सोना और करीब 0.41 फीसदी तांबा मिल सकता है. यह खान ईरान और अफगानिस्तान की सीमा के पास एक सुप्त ज्वालामुखी के पास है. पाकिस्तान सरकार अरबों डॉलर की संपदा वाली इस सोने और तांबे की खान से अपनी अर्थव्यवस्था को मदद पहुंचा सकता है.
साल 1995 में पहली बार हुई थी खुदाई
साल 1995 में रेको दिक में पहली बार खुदाई की गई थी. पहले चार महीने में यहां से 200 किलोग्राम सोना और 1700 टन तांबा निकाला गया था. उस समय एक्सपर्ट्स ने उम्मीद जताई थी कि खान में 40 करोड़ टन सोना मौजूद हो सकता है. इस खदान में मौजूद सोने की अनुमानित कीमत करीब दो ट्रिलियन डॉलर बताई जाती है. ब्लूमबर्ग की बीते मार्च 2022 में आई एक रिपोर्ट की मानें तो पाकिस्तान की रेको दीक दुनिया में सबसे बड़े अविकसित तांबे और सोने के भंडार में से एक है, जो आधी शताब्दी से अधिक समय तक 2,00,000 टन तांबे और 2,50,000 औंस सोने का उत्पादन करने में सक्षम है.
हालांकि, यहां पर खनन परियोजना को साल 2011 में निलंबित कर दिया गया था, क्योंकि पाकिस्तान ने बैरिक और एंटोफगास्टा पीएलसी को रेको दीक विकसित करने के लिए एक लाइसेंस देने से इनकार कर दिया था. तब से इसे लेकर विवाद जारी है. विवादित रेको डिक कॉपर एंड गोल्ड माइन प्रोजेक्ट को लेकर दिसंबर 2022 को शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में बैठक हुई थी और डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, इसमें कैबिनेट ने रेको दिक प्रोजेक्ट की उस फंडिंग योजना को मंजूरी दे दी थी, जिसके मूल समझौते पर 2006 में हस्ताक्षर किए गए थे. ऐसा नहीं है कि पाकिस्तान खुद इस छिपे हुए खजाने से अनजान है, वो भी इसकी अहमियत को अच्छी तरह समझता है.
रेको दिक खदान को लेकर UAE से बात
ARY News की बीते अप्रैल महीने में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के बलूचिस्तान इलाके में मौजूद सोने और तांबे की खदानों को सऊदी अरब (UAE) को बेचने का मन बना रहा है और यूएई अब रेको दिक में बैरिक गोल्ड कॉर्पोरेशन के नियंत्रण वाली खदान में हिस्सेदारी हासिल करने के संभावित सौदे के करीब पहुंच रहा है. सऊदी अरब पाकिस्तान की इस खदान में 1 अरब डॉलर का निवेश करने की योजना बना रहा है. अनुमान लगाया गया है कि इस मामले में करार को लेकर जल्द ऐलान भी किया जा सकता है.
कर्ज के बोझ से बेहाल है पाकिस्तान
बदहाल आर्थिक हालात के कारण पाकिस्तान अब तक पूरी दुनिया से अरबों रुपये का कर्ज (Pakistan Debt) ले चुका है और लेता ही जा रहा है. बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान पर 124.5 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है, जो उसकी जीडीपी का 42 फीसदी है. IMF से मिली मदद के बाद उसके खजाने में कुछ उछाल आया है, लेकिन देश के हालातों को सुधारने के लिए ये नाकाफी साबित हो रहा है. बता दें कि बीते 30 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से करीब 9000 हजार करोड़ से ज्यादा की आर्थिक मदद मिलने के बाद मई महीने में पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार (Pakistan Forex Reserve) 1.20 लाख करोड़ हो गया. ऐसे में सरकार का कहना है कि उसके पास सरकारी कंपनियों को बेचने का रास्ता बाकी बचा है.