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आयुर्वेद के क्षेत्र में भारत कैसे बनेगा 'विश्व गुरु', पतंजलि के CEO आचार्य बालकृष्ण में बताया रोडमैप

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में बोलते हुए पतंजलि आयुर्वेद के सीईओ आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि Patanjali टॉप रिसर्च बेस आयुर्वेदिक मेडिसिन बना रहा है और दुनिया के 500 से ज्यादा टॉप लेवल के साइंटिस्ट हमारे साथ काम कर रहे हैं.

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आचार्य बालकृष्ण के उत्तराखंड को आयुर्वेद का मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने पर बात की
आचार्य बालकृष्ण के उत्तराखंड को आयुर्वेद का मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने पर बात की

आजतक के सहयोगी चैनल इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में शुक्रवार को आचार्य बालकृष्ण (Acharya Balkrishna) ने आयुर्वेद (Ayurveda) के क्षेत्र में भारत के विश्व गुरु बनने का रोडमैप पेश किया. उन्होंने बातचीत के दौरान बताया कि कैसे उत्तराखंड को आयुर्वेद का मैन्युफैक्चरिंग हब (Manufacturing Hub Of Ayurveda) बनाए जाने की दिशा में काम आगे बढ़ रहा है. इसके साथ ही उन्होंने वैश्विक स्तर पर भारतीय आयुर्वेद स्वीकार्यता के रास्ते में आने वाली बड़ी अड़चनों पर भी खुलकर बात की.  

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उत्तराखंड बनेगा आयुर्वेद का मैन्युफैक्चरिंग हब
इंडिया टुडे के एग्जिक्यूटिव एडिटर कौशिक देका (Kaushik Deka) के साथ बातचीत में उनसे Patanjali CEO आचार्य बालकृष्ण से सवाल किया गया कि उत्तराखंड को आयुर्वेद के मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने का जो सपना देखा जा रहा है, उस पर काम कितना आगे बढ़ा है. इसके जवाब में बालकृष्ण ने कहा कि आचार्य ने कहा कि राज्य जब आयुनर्वेद का मैन्युफैक्चरिंग हब बनेगा, तो ना सिर्फ स्वास्थ्य के लिहाज से बल्कि लोगों को रोजगार देने की दिशा में भी. उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में 3 लाख 60 करोड़ वनस्पतिक पौधे मौजूद हैं, इनमें से 50,000 प्लांट्स की लिस्ट तैयार करने का काम कर लिया गया है. 

राज्य में मौजूद औषधीय पौधों का डॉक्यूमेंटेशन पूरा
आचार्य बालकृष्ण के मुताबिक, ये 50,000 प्लांट्स ऐसे हैं, जो कहीं ना कहीं और किसी ना किसी प्रकार से स्वास्थ्य की सुरक्षा में अहम रोल निभा सकते हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इन प्लांट्स में से लगभग 15,000 औषधीय तौर पर पचाने गए जरूरी पेड़-पौधे हमारे देश के पास हैं, जिनमें से 40 फीसदी सिर्फ देवभूमि उत्तराखंड में मौजूद हैं. आचार्य बालकृष्ण के अनुसार, इन पेड़-पौधों के डॉक्यूमेंटेशन और रिसर्च का काम Patanjali द्वारा पूरा किया जा चुका है. जो उत्तराखंड को आयुर्वेद का मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम है. 

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आयुर्वेद के क्षेत्र में लगातार इन्वेस्टमेंट
पतंजलि आयुर्वेद के CEO आचार्य बालकृष्ण ने आगे कहा कि इस काम के पूरा होने के बाद राज्य में रोजगार की संभावनाओं में भी जोरदार इजाफा होगा. उन्होंने कहा कि जड़ी-बूटी होगी तो फैक्ट्री होगी... फैक्ट्री होगी तो रोजगार होंगे. बालकृष्ण के मुताबिक, Patanjali Ayurveda जड़ी-बूटियों से संबंधित हर क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा और तेजी से काम कर रही है. उन्होंने बताया कि इस सेक्टर में करीब 97,000 करोड़ रुपये का इन्वेस्टमेंट राज्य में आया है और इसमें 10,000 करोड़ रुपये यानी 10 फीसदी सिर्फ पतंजलि का है. यही नहीं राज्य में कुल रोजगार में से करीब 8 फीसदी पतंजलि के जरिए दिया जा रहा है. 

मॉर्डन मेडिसिन सिस्टम में शामिल हो आयुर्वेद
भारतीय आयुर्वेद की वैश्विक स्तर पर स्वीकृति और उसमें पेश आने वाली दिक्कतों को लेकर भी आचार्य बालकृष्ण ने बात की. उन्होंने कहा कि मैं देश को बताना चाहता हूं इस मामले में दो तरह की समस्याएं आती हैं, षणयंत्र या अज्ञानता है. China का उदाहरण देते हुए आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि चीन के अंदर देश में में बनी दवाओं की आज स्वीकार्यता है, जबकि 1972 से पहले पहले चीन में ट्रैडिशनल मेडिसिन सिस्टम की वैल्यू नहीं थी, फिर सरकार ने पॉलिसी बनाई की और देश में मिलने वाली जड़ी बूटियों को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी कदम उठाए, इन्हें मेडिकल पाठयक्रम में शामिल किया गया. उन्होंने कहा कि बेसिक आयुर्वेद को मॉर्डन मेडिसिन सिस्टम में शामिल करना चाहिए, जो इसकी वैश्विक स्वीकार्यता की दिशा में पहली सीढ़ी है. 

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कैसे बनेगा इस सेक्टर में भारत विश्व गुरु
इसके आलावा आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि आयुर्वेद को आगे बढ़ाने की दिशा में एक और काम करना बेहद जरूरी है. उन्होंने बताया कि नीम-हकीमों के जरिए आयुर्वेद को लेकर लोगों को भ्रमित किया जा रहा है और इस तरह के लोग आयुर्वेद को बदनाम करने में जुटे हैं, सरकार को इस तरह के अज्ञानियों और षणयंत्रकारियों पर लगाम लगाने का प्रयास करना चाहिए.

उन्होंने कहा कि अगर सरकार इस दिशा में कदम उठाती है, तो फिर आने वाले समय में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के क्षेत्र में भारत विश्व गुरू बन सकता है.  से बचाना है. बालकृष्ण के मुताबिक, पतंजलि टॉप रिसर्च बेस मेडिसिन बना रहा है और 500 से ज्यादा साइंटिस्ट हमारे साथ काम कर रहे हैं. हमारी वेबसाइट और रिसर्च सेंटर पूरी तरह से खुला है और इससे पतंजलि के कार्यों की प्रमाणिकता का पूरा प्रूफ मिल सकता है. 

 

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