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Paytm Crisis: SBI के साथ बिजनेस ट्रांसफर कर रहा पेटीएम? जानें चेयरमैन दिनेश खारा ने क्‍या कहा

सीईओ विजय शेखर शर्मा ने कहा था कि फिनटेक कंपनी पेटीएम पेमेंट्स बैंक के बिजनेस को ट्रांसफर (Paytm Payments Bank Business) करने के लिए अपने कुछ बैंकिंग पार्टनर्स के साथ चर्चा कर रही है.

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पेटीएम पेमेंट बैंक
पेटीएम पेमेंट बैंक

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से पेटीएम पेमेंट्स बैंक (Paytm Payments Bank) पर प्रतिबंध लगाने के बाद 1 फरवरी को कंपनी के फाउंडर और सीईओ विजय शेखर शर्मा ने कहा था कि फिनटेक कंपनी पेटीएम पेमेंट्स बैंक के बिजनेस को ट्रांसफर (Paytm Payments Bank Business) करने के लिए अपने कुछ बैंकिंग पार्टनर्स के साथ चर्चा कर रही है. शर्मा ने कहा था कि कई बड़े बैंकों ने सहायता की पेशकश करते हुए हमसे संपर्क किया है. 

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विजय शेखर शर्मा (Vijay Shekhar Sharma) ने कहा था कि बिजनेस को ट्रांसफर करने पर अपना वर्चुअल पेमेंट एड्रेस (VPA) बदलना होगा. उन्‍होंने कहा कि पार्टनर बैंकों के साथ बात हो रही है, लेकिन अभी बात नहीं बन पाई है. जल्‍द ही इसपर फैसला हो जाएगा. इस बीच, देश के पब्लिक सेक्‍टर के बैंक का बड़ा बयान सामने आया है. 

नहीं हो रही पेटीएम के साथ कोई बातचीत 
SBI के चेयरमैन दिनेश खारा (Dinesh Khara) ने शनिवार को कहा कि भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने कंपनी से कारोबार के ट्रांसफर पर पेटीएम पेमेंट्स बैंक के साथ कोई बातचीत नहीं किया है. तीसरी तिमाही के नतीजे का ऐलान करते हुए खारा ने कहा कि हमने कोई बात नहीं की है. उन्‍होंने कहा कि वे हमारे साथ कुछ अकाउंट बनाए हुए हैं, लेकिन बिजनेस ट्रांसफर को लेकर कोई बातचीत नहीं की गई है. SBI अपने मर्चेंट तक पहुंच रहा है. 

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सभी व्‍यापारियों तक पहुंच रहा एसबीआई: दिनेश खारा 
उन्‍होंने कहा कि व्‍यापारी एसबीआई में वापस आ सकते हैं, क्‍योंकि हम सभी व्‍यापारियों तक पहुंच रहे हैं और पेमेंट सिस्‍टम में किसी तरह की कोई दिक्‍कत नहीं हो यह सुनिश्चित कर रहे हैं.  उन्‍होंने कहा कि व्‍यापारियों का स्‍वागत करने में हमे खुशी होगी. खारा ने कहा कि हमारे पास एसबीआई पेमेंट्स और अन्‍य सर्विस उपलब्‍ध हैं. 

केवाईसी में बड़ी गड़बड़ी 
गौरतलब है कि 31 जनवरी को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक की व्यावसायिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाते हुए उसे फरवरी के अंत तक सभी बैंकिंग गतिविधियों को बंद करने के लिए कहा है. रेगुलेटर ने पाया कि केवाईसी में बड़ी गड़बड़ियां हुई हैं.  इनमें बहुत बड़ी संख्या में ग्राहकों के लिए केवाईसी ना होना भी शामिल है.

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