देश में महंगाई सारे रिकॉर्ड तोड़ रही है. पिछले 25 दिनों में पेट्रोल-डीजल 6 रुपये से ज्यादा प्रति लीटर महंगा हो चुका है. पिछले 42 दिन के भीतर 24 बार पेट्रोल डीजल के दाम बढ़े हैं. तेल की महंगाई से आम आदमी परेशान है. वहीं, पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बढ़ते तेल दाम पर कहा, 'मैं स्वीकार करता हूं कि आज का जो भाव है ये नागरिकों और ग्राहकों को दिक्कत दे रहा है इसमें कोई दो राय नहीं है.' सरकार ने ये स्वीकार किया है लेकिन उनके पास महंगाई का कोई उपचार नहीं है.
148 जिलों में पेट्रोल 100 पार
देश में पहली बार है जब डीजल का भाव भी 100 रुपये के पार जा पहुंचा है. यही नहीं, वर्तमान में देश के 148 जिलों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये के पार जा चुकी है. 9 राज्यों की जनता 100 रुपये लीटर का पेट्रोल खरीद रही है.
यहां 107.53 रुपये बिक रहा पेट्रोल
देश के 9 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में पेट्रोल का खुदरा दाम 100 रुपये प्रति लीटर के पार जा पहुंचा है, इन राज्यों में राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और लद्दाख शामिल हैं. राजस्थान के श्रीगंगानगर में डीजल भी 100 रुपये प्रति लीटर के पार जा चुका है और यहां पेट्रोल की कीमत 107.53 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच चुकी है.
मई में 16 बार और जून में 8 बार बढ़े तेल के दाम
आंकड़ों के मुताबिक मई में 16 बार और जून के 14 दिन में 8 बार पेट्रोल-डीजल महंगा हो चुका है. इस बीच पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के मुताबिक, भारत सरकार हो या राज्य सरकारें हों, कोरोना काल में एक साल में लगभग 35,000 करोड़ से ज्यादा टीके पर खर्च हो रहा है, अभी-अभी 1 लाख करोड़ रुपये खर्च करके प्रधानमंत्री ने मुफ्त में खाद्यान में देने के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना शुरू की है. पीएम किसान में हजारों करोड़ रुपये सीधे किसान के खाते में पहुंचाया गया है. किसानों के हित को ध्यान में रखते हुई चावल-गेहूं की एमएसपी घोषित की गई है. ये सारे खर्च और रोजगार सृजन के लिए, डेवलेपमेंट के लिए, कष्ट के लिए पैसा बचाकर लोककल्याण के काम में लगाए जा रहे हैं.
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मुफ्त बताकर खाली की जा रही आम आदमी की जेब!
हालांकि, आम आदमी इस बात से हैरान है कि एक तरफ वैक्सीन मुफ्त बताई जाती है. दूसरी तरफ वैक्सीन का बजट बताकर पेट्रोलियम मंत्री तेल की महंगाई जस्टीफाई करते हैं. एक तरफ जनता को मुफ्त राशन देने पर वाहवाही ली जाती है. दूसरी तरफ उस राशन की कीमत महंगा तेल भरती जनता से भरवाई जाती है.
ऐसी स्थिति में कई सवाल उठने लगे हैं. सवाल है कि, क्या आम आदमी तेल के रिकॉर्ड बढ़ चुके दामों को अपनी जेब से भरने की हालत में है? क्या अब तक जितना पैसा जनता सरकार के खजाने में पेट्रोल-डीजल भराकर टैक्स के रूप में दे चुकी है. क्या उस आम आदमी को अब राहत नहीं मिलनी चाहिए?
कर्ज लेकर घर चला रहे लोग
क्रेडिटास सॉल्यूशंस के आंकड़े बताते हैं कि लोन रीपेमेंट यानी कर्ज लेकर उसे दोबारा भरने के मामले में चेक बाउंस रेट पिछले साल के मुकाबले बढ़कर दोगुना यानी 21 फीसदी हो गया है. जबकि क्रेडिट कार्ड से खर्चा चलाकर उस कर्ज को भरने में चेक बाउंस की हिस्सेदारी 10 फीसदी से बढ़कर 18 फीसदी हो गई है. यानी आम आदमी कर्जा लेकर घर चला रहा है और कर्जा चुका नहीं पा रहा है.
तेल पर टैक्स से कमाई
अप्रैल 2020 से दिसंबर 2020 के बीच ही 2 लाख 35 हजार करोड़ रुपया सिर्फ पेट्रोल डीजल पर एक्साइज ड्यूटी के जरिए जनता की जेब से निकलकर केंद्र सरकार के खजाने में पहुंच चुका है. पेट्रोल-डीजल की कीमत एक साल में 25 रुपये तक बढ़ चुकी है.