गेहूं के निर्यात पर लगा प्रतिबंध (Wheat Exports Ban) फिलहाल हटने नहीं जा रहा है. दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में हिस्सा लेने पहुंचे वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने अलग से एक इंटरव्यू में ये बात साफ कर दी.
'काला बाजारियों को होगा फायदा'
उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने रॉयटर्स एजेंसी से कहा कि अभी दुनिया में अस्थिरता का दौर है. अगर ऐसे में हम एक्सपोर्ट बैन को हटा देंगे, तो इसका फायदा काला बाजारी, जमाखोरों और सट्टेबाज़ों को होगा. ये ना तो जरूरतमंद देशों के हित में होगा ना ही गरीब लोगों की मदद कर पाएगा. रॉयटर्स की ओर से भारत के प्राइवेट प्लेयर्स के निर्यात को फिर से खोलने की बात को लेकर सवाल किया गया था.
'सरकारों का आपस में बातचीत करना ठीक'
पीयूष गोयल ने कहा कि इससे बचने का स्मार्ट तरीका ये है कि सरकारी रूट के माध्यम (G2G) से ही निर्यात किया जाए. इस तरह से हम जरूरतमंद और गरीब लोगों को सस्ता गेहूं उपलब्ध करा सकेंगे. गोयल ने कहा कि भारत के इस फैसले का मर्म समझाने के लिए उन्होने विश्व व्यापार संगठन (WTO) और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ संपर्क भी किया था.
G7, IMF ने की थी आलोचना
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जिवा ने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के दौरान कहा कि भारत के गेहूं निर्यात पर पाबंदी की आलोचना की थी. उन्होंने कहा था कि अन्य देश भी ऐसा कर सकते हैं, जिससे इस संकट से निपटने के लिए वैश्विक समुदाय तैयार नहीं हो पाएगा. उन्होंने भारत से इस फैसले पर जल्द से जल्द पुनर्विचार करने के लिए कहा था. वहीं जी7 देशों के कृषि मंत्रियों ने भी गेहूं निर्यात पर पाबंदी लगाने के भारत के कदम की आलोचना की है.
दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है. रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते गेहूं को लेकर दुनिया की निर्भरता भारत पर बढ़ी है. वैश्विक बाजारों में अस्थिरता, गेहूं की कीमतों के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने, देश में महंगाई को नियंत्रित रखने और लू के थपेड़ों के बीच देश में गेहूं का उत्पादन प्रभावित होने की वजह से सरकार ने खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 14 मई को तत्काल प्रभाव से इसके निर्यात पर पाबंदी लगा दी थी.
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