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चीन के साथ करेंसी शेयर करना? यह असंभव है, ब्रिक्‍स मुद्रा पर बोले पीयूष गोयल

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पहले भी दोहराया था कि भारत अमेरिकी डॉलर को बदलने में कोई योग्यता नहीं देखता है, लेकिन रूस जैसे ब्रिक्स देशों के साथ स्थानीय करेंसी सेटलमेंट को सपोर्ट भी करता है.

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Commerce and Industry Minister Piyush Goyal
Commerce and Industry Minister Piyush Goyal

आईटी-बीटी राउंड टेबल 2025 में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने भारत ब्रिक्स करेंसी के किसी भी प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. उन्‍होंने कहा कि हम किसी भी करेंसी को सपोर्ट नहीं करते हैं. हमारी कोई भी ब्रिक्‍स करेंसी चीन के साथ शेयर करने की योजना नहीं है, बल्कि यह सोचना भी असंभव है. 

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यह रुख ब्रिक्‍स के भीतर भारत की रणनीति के अनुसार है. जहां अमेरिका के साथ अपने आर्थिक संबंधों को सुरक्षा करते हुए ग्‍लोबल देशों के साथ कनेक्टिविटी बनाके रखना शामिल है. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पहले भी दोहराया था कि भारत अमेरिकी डॉलर को बदलने में कोई योग्यता नहीं देखता है, लेकिन रूस जैसे ब्रिक्स देशों के साथ स्थानीय करेंसी सेटलमेंट को सपोर्ट भी करता है.

उन्‍होंने कहा कि इंडोनेशिया के 10वें सदस्य के रूप में शामिल होने के साथ ही ब्रिक्स का विस्तार हो रहा है, भारत सावधानी से कदम बढ़ा रहा है, ताकि बढ़ते भू-राजनीतिक और आर्थिक तनावों के बीच अपनी वैश्विक स्थिति को स्थिर बनाए रख सके. ब्रिक्स के प्रति भारत का नजरिया संतुलित और व्यावहारिक बना हुआ है, जो ग्‍लोबल हितों को बढ़ाने के लिए मंच का लाभ उठाता है. 

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ब्रिक्स में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है, इंडोनेशिया आधिकारिक तौर पर जनवरी में इसके 10वें सदस्य के रूप में शामिल हुआ और नाइजीरिया ने एक साझेदारी की भूमिका हासिल की. ​​मलेशिया, थाईलैंड और वियतनाम ने भी रुचि दिखाई है, जो ब्रिक्स के भीतर एक विस्तार का संकेत है. ब्राजील की 2025 की अध्यक्षता के तहत AI हेल्‍प और टिकाऊ शासन पर ध्यान फोकस कर रहा है.

उन्‍होंने आगे कहा कि कई देशों के साथ ऑप्‍शनल पेमेंट सिस्‍टम की बात चल रही है. हालांकि, कुछ मामले में अभी मतभेद बना हुआ है. रूस और चीन डी-डॉलरीकरण पर जोर दे रहे हैं, जबकि भारत और ब्राजील सतर्क हैं. अमेरिकी वित्तीय प्रणाली से दूर जाने के आर्थिक नतीजों से सावधान हैं. 

डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स सदस्यों को नई मुद्रा का समर्थन करने के खिलाफ चेतावनी देते हुए डॉलर को बदलने की कोशिश करने वालों पर 100% टैरिफ लगाने की धमकी दी है. भारत अमेरिका को सालाना 127 बिलियन डॉलर का निर्यात करता है. यह डॉलर से दूर जाने के किसी भी कदम को जोखिम भरा इकोनॉमिक फैसला होगा. 

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