अमेरिका की ई-कॉमर्स कंपनी एमेजॉन के शीर्ष कार्यकारी डेटा प्रोटेक्शन बिल पर संसदीय समिति के समक्ष पेश हुए. हालांकि, कुछ दिन पहले एमेजॉन ने समिति के समक्ष पेश होने से इनकार कर दिया था.
भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी की अध्यक्षता वाली डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2019 पर संयुक्त समिति ने एमेजॉन के कार्यकारियों से कंपनी के राजस्व मॉडल और भारत में उनके द्वारा किए जा रहे टैक्स के भुगतान के बारे में सवाल किए. समिति ने एमेजॉन इंडिया और एमेजॉन वेब सर्विसेज के प्रतिनिधियों से अलग-अलग ‘पूछताछ’ की. दोनों के प्रतिनिधियों को करीब दो घंटे तक समिति के सवालों का सामना करना पड़ा.
एमेजॉन से पूछे गए तीखे सवाल
एमेजॉन इंडिया का प्रतिनिधित्व उसके उपाध्यक्ष चेतन कृष्णस्वामी और राकेश बक्शी ने किया. वहीं एमेजॉन वेब सर्विसेज की ओर से भारत में लोक नीति प्रमुख योलाइंड लोबो, लीड लोक नीति उत्तरा गणेश और अन्य समिति के समक्ष पेश हुए. सदस्यों ने ई-कॉमर्स क्षेत्र की प्रमुख कंपनी से उसके राजस्व मॉडल के बारे पूछा.
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यह भी सवाल किया गया कि भारत में उनका राजस्व सृजन कितना है और इसमें से कितने प्रतिशत एमेजॉन भारत में पुन: निवेश करती है. समिति के सूत्रों ने बताया कि एमेजॉन के प्रतिनिधियों से यह भी सवाल किया गया कि भारत में वह कितना कर का भुगतान करते हैं. समिति ने एमेजॉन से इन सवालों का जवाब लिखित में देने को कहा है. इस पर कंपनी के शीर्ष अधिकारियों के हस्ताक्षर होने चाहिए.
कार्रवाई की हुई थी सिफारिश
बीते दिनों अमेरिका की ई-कॉमर्स कंपनी एमेजॉन ने संसद की संयुक्त समिति के सामने पेश होने से इनकार कर दिया था. इसके बाद संसदीय समिति इसे विशेषाधिकार के हनन का मामला मान रही थी. वहीं, सरकार से एमेजॉन पर कार्रवाई की सिफारिश की थी.