बिजनेसमैन लोगों के कम 'आदर्श' होते हैं, लोगों की धारणा होती है कि उद्योगपति कर्तव्य से ज्यादा पैसों के पीछे भागते हैं. लेकिन इन सबसे से अलग थे राकेश झुनझुनवाला. जिन्हें लोग सुनते भी थे, मानते भी थे, फॉलो भी करते थे और दूसरों को राकेश झुनझुनवाला (Rakesh Jhunjhunwala) जैसा बनने का उदाहरण भी देते थे.
आखिर क्यों लोग राकेश झुनझुनवाला को आदर्श मानते थे? राकेश झुनझुनवाला 62 की उम्र में भी एक भारत का चमकता सितारा था, पिछले कुछ वर्षों से सेहत ठीक नहीं थी, व्हीलचेयर के सहारे जिंदगी आगे बढ़ रही थी. लेकिन जोश में किसी युवा से कम नहीं थे. झुनझुनवाला 4 दशक से शेयर बाजार में पैसे लगा रहे थे. इन 40 वर्षों में उन्होंने बदलते भारत की तस्वीर को करीब से देखा, और साक्षी रहे. भारत के लिए राकेश झुनझुनवाला का निधन एक अपूरणीय क्षति है.
भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर हमेशा पॉजीटिव
कहा जाता है कि शेयर बाजार अनिश्चितताओं का अड्डा है. लेकिन राकेश झुनझुनवाला हमेशा भारतीय बाजार को लेकर पॉजीटिव रहे. इसके पीछे उनका अपना तर्क था, तर्क में न्यू इंडिया का सपना भी झलकता था. कई बार लोगों को लगता था कि ये 'राजनेता' की तरह बातें करते हैं. क्योंकि मजाकिया अंदाज और सटीक जवाब के लिए झुनझुनवाला जाने जाते थे. पिछले साल 'आजतक' एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था..'भारत का टाइम आ गया है...' ये उनका अनुभव बोल रहा था.
भारतीय शेयर बाजार के सबसे बड़े निवेशक होने के बावजूद 'बिग बुल' हमेशा कहते थे, उनके लिए देश सबसे पहले है. उन्हें पता था कि देश के लोग उनसे क्या सुनना चाहते हैं? तभी उनके एक बयान से छोटे-बड़े निवेशकों में आत्मविश्वास जग उठता था. अक्सर उनसे पूछा जाता था कि आप विदेशी मार्केट में पैसे क्यों नहीं लगाते? उनका सीधा जवाब होता था. जब भारत में वो क्षमता है तो फिर दूसरे देश की तरह क्यों देखें. यही नहीं, वे कहते थे कि उन्हें पूरी दुनिया में सबसे बेहतर भारतीय शेयर बाजार लगता है. इसलिए कभी दूसरे देशों के बाजारों में पैसे लगाने का ख्याल नहीं आया.
जब कोरोना को बताया था वायरल
राकेश झुनझुनवाला ने कभी भी नाप-तौलकर बयान नहीं दिया. जब कोरोना की वजह से भारतीय बाजार में बिखर रहा था, तो राकेश झुनझुनवाला लोगों को सलाह दे रहे थे कि यही वो मौका है, जब आप बाजार में निवेश कर सकते हैं. क्योंकि वो हमेशा दोहराते थे कि कोरोना महामारी नहीं है, यह एक केवल वायरल फीवर है. जिसका लंबा असर नहीं हो सकता. इसलिए लोगों को इससे डरने की जरूरत नहीं है. साथ ही वे भारत के भविष्य को लेकर पॉजीटिव थे. उनका कहना था कि भारतीय कंपनियां ग्रोथ की नई कहानी गढ़ रही हैं, अगला दशक भारत का रहने वाला है. उनके पोर्टफोलियो को देखें तो साफ हो जाएगा कि वो कई सेक्टर्स में दांव लगाए हुए थे, क्योंकि उन्हें पता था कि भारत चौमुखी विकास की राह पर अग्रसर है.
रिस्क लेने से नहीं घबराते थे...
भारतीय अर्थव्यवस्था पर मजबूत परख का ही नतीजा है कि उन्होंने एयरलाइंस बिजनेस में उतरने का फैसला किया. जबकि पिछले कुछ वर्षों में कई एयरलाइंस कंपनियां घाटे में आकर अपना कारोबार बंद चुकी हैं. ऐसे में राकेश झुनझुनवाला ने Akasa Airlines की शुरुआत की. उनका कहना था कि आगे इस सेक्टर का भविष्य जगमग रहने वाला है. Akasa Air आम आदमी की पसंद बनकर उभरेगी. साथ ही वो कहते थे कि अगर Akasa Air नाकाम रही तो इसके लिए भी वो तैयार हैं. लेकिन भारत की उभरती अर्थव्यवस्था को वो अच्छी तरह से आंकने में कामयाब थे, इसलिए रिस्क लेने से घबराते नहीं थे.
एक और अनुभव का जीता जागता उदाहरण क्रिप्टोकरेंसी है. विगत वर्षों में अचानक क्रिप्टोकरेंसी ने पूरी दुनिया में निवेशकों का ध्यान खींचा. लेकिन उन्होंने इसे केवल बुलबुला बताया था और कभी भी इसमें निवेश नहीं करने की मशां जाहिर की थी. आज क्रिप्टोकरेंसी का हाल सबको पता है. उन्होंने लोगों से सीधे भारतीय शेयर बाजार में उन कंपनियों में निवेश की सलाह देते थे. जो फंडामेंटली मजबूत है, जिसका कारोबार मजबूत है और लगातार ग्रोथ कर रही है.