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विदेश से भी जुटाया जाएगा राम मंदिर के लिए चंदा, जानें क्या हैं नियम?

श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को विदेश में रहने वाले एनआरआई से चंदे के लिए खूब फोन आ रहे हैं. लेकिन विदेश से चंदा लेने के बारे में ट्रस्ट की कुछ मजबूरियां हैं. विदेशी चंदा लेने के लिए फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट के तहत कुछ नियमों का पालन करना पड़ता है.

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अयोध्या में राम मंदिर का प्रस्तावित मॉडल
अयोध्या में राम मंदिर का प्रस्तावित मॉडल
स्टोरी हाइलाइट्स
  • राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा देने की होड़ लगी है
  • विदेश से भी दान देने के लिए लगातार आ रहे फोन
  • नियम के मुताबिक अभी विदेशी चंदा नहीं लिया जा रहा


अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए देशभर से लोग चेक, मनी ऑर्डर, ऑनलाइन बैंक ट्रांसफर, पेटीएम, भीम यूपीआई, नकदी जैसे कई तरीकों से चंदा भेज रहे हैं. यही नहीं राम मंदिर के लिए विदेश से भी चंदा जुटाने की कोशिश हो रही है. 
श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को विदेश में रहने वाले एनआरआई से चंदे के लिए खूब फोन आ रहे हैं. लेकिन विदेश से चंदा लेने के बारे में ट्रस्ट की कुछ मजबूरियां हैं. क्या राम मंदिर के लिए विदेशी लोग चंदा दे सकते हैं, क्या हैं इसके बारे में नियम? आइए इसे विस्तार से समझते हैं. 

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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार राम मंदिर के लिए 60 करोड़ रुपये से ज्यादा का चंदा श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अकाउंट में जमा हो चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 5 अगस्त के भूमि पूजन के बाद इसमें काफी तेजी आई है. सबसे ज्यादा चंदा ट्रस्ट के एसबीआई खाते में ऑनलाइन ट्रांसफर के द्वारा आया है. पुणे की महाराष्ट्र इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी (MIT-WPU) ने 21 करोड़ रुपये का दान करने का वादा किया है. मुरारी बापू के एक विदेशी शिष्य ने 7 करोड़ रुपये का चंदा देने का प्रस्ताव भी रखा है, लेकिन अभी एफसीआरए के तहत इजाजत न होने की वजह से ट्रस्ट उनका चंदा स्वीकार नहीं कर पाया है. 

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विदेशी चंदे के लिए मांगी है परमीशन 

विदेशी चंदे के लिए ट्रस्ट ने गृह मंत्रालय से फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट FCRA के तहत इजाजत के लिए आवेदन किया है. ट्रस्ट ने एनआरआई से चंदा हासिल करने के लिए पंजाब नेशनल बैंक में एक एनआरआई एकाउंट भी खुलवाने जा रहा है. 

क्या है एफसीआरए

भारत  में जब कोई व्यक्ति या संस्था, एनजीओ किसी  विदेशी स्रोत से चंदा लेती है तो उसे फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (FCRA) यानी विदेशी सहयोग विनियमन अधिनियम के नियमों का पालन करना होता है पहले FCRA, 1976 को लागू किया गया था, लेकिन साल 2010 में नया फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट 2010 आ गया जिसे 1 मई 2011 से लागू किया गया है. 

क्या है विदेशी योगदान 

अब सवाल उठता है कि विदेशी योगदान या विदेशी चंदा क्या है? कोई भी वस्तु (सिर्फ 25 हजार रुपये मूल्य तक का ऐसा सामान इसके तहत नहीं आएगा जो किसी व्यक्ति को गिफ्ट के रूप में मिला हो) विदेशी या भारतीय मुद्रा में योगदान, कोई भी प्रतिभूति-जैसे शेयर, बॉन्ड आदि ये सब विदेशी चंदा या सहयोग में आते हैं. 

कौन ले सकता है-कौन नहीं ले सकता? 

एफसीआरए के नियमों के मुताबिक कोई चुनावी कैंडिडेट, सांसद, विधायक, राजनीतिक दल या उसका पदाधिकारी, राजनीतिक संस्था, पत्रकार, संपादक, न्यूज प्रसारित करने वाली संस्था, जज या जिन पर सरकार ने रोक लगा रखी हो, विदेशी सहयोग या चंदा नहीं ले सकते. इनके अलावा बाकी सभी व्यक्ति, हिंदू अविभाजित परिवार, संगठन, एनजीओ विदेशी सहयोग या चंदा ले सकते हैं

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बिना सरकारी इजाजत के नहीं 

लेकिन बिना सरकारी इजाजत के ऐसा विदेशी चंदा या सहयोग नहीं लिया जा सकता. यह सरकारी इजाजत दो तरह की होती है.

1. FCRA के तहत एक नियमित रजिस्ट्रेशन जो 5 साल के लिए वैध होता है और उसके बाद फिर रीन्यूअल कराना पड़ता है
2. एडहॉक या पूर्व इजाजत लेना जिसमें यह बताना होता है कि फला व्यक्ति या संस्था इतने रकम का चंदा दे रहे हैं. 

क्या हैं इजाजत के लिए शर्तें 

इसके लिए वे ही संस्थाएं पात्र हैं जो सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 या इंडियन ट्रस्ट एक्ट 1882 या कंपनीज एक्ट 2013 के सेक्शन 8 या सरकार द्वारा तय कुछ अन्य एक्ट के तहत रजिस्टर्ड हों. वह संस्था कम से कम तीन साल से अस्तित्व में होनी चाहिए. उसका उचित सामाजिक कार्य करने का रिकॉर्ड रहा हो. उसने पिछले तीन साल में ऐसी सामाजिक गतिविधियों में कम से कम 10 लाख रुपये खर्च किये हों. 

NRI का पैसा विदेशी सहयोग में नहीं आता 

इसमें एक अच्छी बात यह है कि प्रवासी भारतीयों (NRI) के सहयोग या चंदे को विदेशी चंदा या सहयोग नहीं माना जाता और इस तरह का दान एफसीआरए के तहत नहीं आता. लेकिन यह सहयोग एनआरआई के अपने निजी बचत से होना चाहिए. इसीलिए राम मंदिर ट्रस्ट एनआरआई चंदा हासिल करने के लिए पंजाब नेशनल बैंक में एक एकाउंट खोलने जा रहा है. 

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ऐसे लोग एनआरआई कहलाते हैं जो रहते तो किसी और देश में हैं, लेकिन उनके पास इंडियन पासपोर्ट होता है यानी वे भारतीय नागरिक होते हैं. ऐसे लोगों से चंदा हासिल करने के लिए बस किसी बैंक में एक एनआरआई एकाउंट खोलना होता है. एनआरआई के अलावा सभी भारतीय मूल के लोगों, भारतवंशियों आदि का चंदा एफसीआरए के तहत विदेशी चंदा या सहयोग माना जाता है. यह चंदा भारतीय रुपये या किसी भी विदेशी मुद्रा में हो सकता है. 

आपके रिश्तेदार ने पैसा दिया तो क्या वह विदेशी चंदा माना जाएगा? 

जी नहीं, यदि आपका कोई रिश्तेदार मदद करता है तो उसे विदेशी चंदा नहीं माना जाएगा. लेकिन एक वित्त वर्ष में एक लाख रुपये से ज्यादा के सहयोग की जानकारी आपको Form FC-1 के द्वारा 30 दिन के भीतर सरकार (गृह मंत्रालय) को देनी होगी. 

 

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