देश के दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा ने बुधवार की रात दुनिया को अलविदा कह दिया. निधन की खबर आते ही पूरा देश शोक में डूब गया. देश के प्रधानमंत्री से लेकर सभी हस्तियों ने रतन टाटा के निधन पर अपनी भावनाएं व्यक्त की. Ratan Tata के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए मुंबई के नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स हॉल में रखा गया. रतन टाटा के पार्थिव शरीर को अस्पताल से मुंबई के नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स हॉल तक ले जाने के समय उनकी इस यात्रा में सबसे आगे शांतनु नायडू दिखे.
नम आंखों के साथ शांतनु नायडू बाइक से रतन टाटा की अंतिम यात्रा में आगे-आगे चल रहे थे. उन्होंने आज सुबह एक इमोशन पोस्ट भी शेयर किया था. अपनी पोस्ट के माध्यम से उन्होंने राष्ट्रीय आइकन के निधन पर शोक जताया था. भारत के सबसे बड़े समूह टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा का बुधवार देर रात संक्षिप्त बीमारी के बाद निधन हो गया. वह 86 वर्ष के थे.
कौन हैं शांतनु नायडू?
31 साल के शांतनु नायडू मुंबई के रहने वाले हैं. शांतनु नायडू ने रतन टाटा को काफी प्रभावित किया था. शांतनु टाटा ट्रस्ट के सबसे युवा असिस्टेंस और भरोसेमंद थे. वे पहली बार 2014 में रतन टाटा से मिले थे जब नायडू ने रात के समय यातायात दुर्घटनाओं से आवारा कुत्तों की सुरक्षा के लिए चिंतनशील कॉलर बनाया था. इसके बाद ही रतन टाटा ने नायडू को अपनी टीम में शामिल किया था. पिछले 10 सालों में शांतनु नायडू, रतन टाटा के करीबी और भरोसेमंद दोस्त बन गए थे.
2014 से रतन टाटा के साथ हैं शांतनु
गुडफेलो को सितंबर 2022 में लॉन्च किया गया था. इस स्टार्टअप (Startup) की शुरुआत करने वाले शांतनु नायडू 31 साल के हैं और कॉर्नेल यूनिवर्सिटी (Cornell University) से पढ़ाई की है. वे टाटा ऑफिस में जनरल मैनेजर के पद पर कार्यरत थे. इसके साथ ही बता दें कि शांतनु 2014 से रतन टाटा (Ratan Tata) के साथ जुड़े थे.
इंडस्ट्री में शांतनु का भी बड़ा नाम
31 साल की उम्र में शांतनु नायडू ने बिजनेस इंडस्ट्री में वो मुकाम हासिल किया है, जो कई लोगों के लिए सपना होता है. शांतनु नायडू रतन टाटा को स्टार्टअप में निवेश के लिए बिजनेस टिप्स देते थे. शांतनु नायडू का जन्म 1993 में पुणे में हुआ था. वे एक फेमस भारतीय बिजनेसमैन, इंजीनियर, जूनियर असिस्टेंट, डीजीएम, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर, लेखक और इंटरप्रेन्योर हैं. शांतनु नायडू टाटा ट्रस्ट के डिप्टी जनरल मैनेजर भी थे.
पशु प्रेम और समाज सेवा का भाव मन में रखने वाले शांतनु ने “मोटोपॉज” नाम की संस्था बनाई, जो सड़कों पर घूमने वाले कुत्तों की मदद करती है. नायडू के नेतृत्व में मोटोपॉज ने 17 शहरों में विस्तार किया और 8 महीनों में 250 कर्मचारियों को काम पर रखा है.
'इस दोस्ती ने मेरे अंदर खालीपन पैदा कर दिया'
शांतनु नायडू ने अपने लिंक्डइन पोस्ट में अपनी मित्रता के बारे में लिखते हुए कहा कि "इस दोस्ती ने अब मेरे अंदर जो खालीपन पैदा कर दिया है, मैं अपनी बाकी की ज़िंदगी उसे भरने की कोशिश में बिता दूंगा. प्यार के लिए दुख की कीमत चुकानी पड़ती है. अलविदा, मेरे प्यारे लाइटहाउस।" उन्होंने एक पुरानी तस्वीर भी शेयर की जिसमें वे दोनों साथ में दिखाई दे रहे हैं.