देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर का कहर चल रहा है. कई राज्यों में लॉकडाउन या लॉकडाउन जैसी स्थिति है. इसे देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने अहम ऐलान किया. उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर इकोनॉमी के लिए नुकसानदेह है और रिजर्व बैंक हालात पर पूरी तरह से नजर बनाए हुए है. उन्होंने कोविड से जुड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए 50 हजार करोड़ के किफायती लोन की व्यवस्था करने का ऐलान किया.
उन्होंने कहा कि भारत मजबूत सुधार की ओर बढ़ रहा था. जीडीपी बढ़त पॉजिटिव हो गई थी. लेकिन दूसरी लहर आने के बाद पिछले कुछ हफ्तों में हालत काफी बिगड़ गई है. रिजर्व बैंक लगातार हालात पर नजर बनाए हुए हैं.
50 हजार करोड़ रुपये का बैंक लोन
उन्होंने कहा कि 50 हजार करोड़ रुपये की नकदी कोविड से जुड़े हेल्थकेयर इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए मिलेगी. इसके तहत बैंक वैक्सीन निर्माताओं, आयातकों, ऑक्सीजन सप्लायर्स, कोविड की दवाइयों के उत्पादक, अस्पतालों, पैथोलॉजी लैब आदि को लोन देंगे. यह सुविधा 31 मार्च 2022 तक रहेगी. उन्होंने कहा कि यह लोन रेपो रेट पर यानी काफी किफायती ब्याज दर पर होगा. गौरतलब है कि रेपो रेट सिर्फ 4 फीसदी है.
RBI गवर्नर के अन्य प्रमुख ऐलान
सिस्टम में नकदी दुरुस्त करने के लिए रिजर्व बैंक अगले पंद्रह दिन में 35 हजार करोड़ की सरकारी प्रतिभूति की खरीद करेगा. RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि कोविड संकट को देखते हुए माइक्रोफाइनेंस संस्थाओं को लोन देने वाले स्माल फाइनेंस बैंक को प्राथमिकता क्षेत्र माना जाएगा.
उन्होंने कहा कि बैंकों को इस बात के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है कि वे कमजोर क्षेत्रों को लोन दें. बैंक अपने बहीखाते में एक कोविड लोन बुक बनाएंगे. वे रिजर्व बैंक के कोविड खाते में इतनी ही रकम रख सकेंगे और उन्हें रिवर्स रेपो रेट से 40 बेसिस पॉइंट यानी 0.4 फीसदी ज्यादा ब्याज मिलेगा. उन्होंने कहा कि अब छोटे कर्जधारकों के 25 करोड़ रुपये तक के लोन को भी 30 सितंबर, 2021 तक रीस्ट्रक्चरिं की सुविधा मिलेगी.
उन्होंने कहा कि आउटलुक काफी अनिश्चित है. गर्मी में ज्यादातर देशों में टीका आ जाएगा. मॉनसून के इस साल सामान्य रहने का अनुमान जारी किया गया है जिसका महंगाई पर सकारात्मक असर रहेगा. खाद्यान्न उत्पादन पिछले साल भी अच्छा रहा है. कारोबार जगत के लोग यह सीख चुके हैं कि भौतिक प्रतिबंधों के बीच किस तरह से काम किया जाए. लेकिन मांग पर दबाव रहेगा.
लॉकडाउन और कोरोना संकट की वजह से इकोनॉमी पर फिर से खतरा मंडरा रहा है. ऐसे में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास का यह संबोधन काफी महत्वपूर्ण है. कोरोना को रोकने के लिए राज्य स्तर पर लागू किए जा रहे लॉकडाउन से आर्थिक गतिविधियां थम सी गई हैं.
कोरोना संकट कम नहीं
गौरतलब है कि कोरोना वायरस का नया रूप देश में भारी तबाही मचा रहा है. देश में रोजाना 3.50 लाख से कोरोना के नए मामले आ रहे हैं. पिछले 24 घंटे में देश में कोरोना के 3,82,691 नए केस सामने आए हैं.
पिछले साल लॉकडाउन लगना अर्थव्यवस्था के लिए काफी नुकसानदेह साबित हुआ था. अप्रैल 2020 की वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी में करीब 24 फीसदी की भारी गिरावट आई थी.
इकोनॉमी की चिंता
इसकी अगली तिमाही में भी जीडीपी नेगेटिव रही थी. लगातार दो तिमाही में जीडीपी में आई गिरावट की वजह से इकोनॉमी तकनीकी रूप से मंदी के दौर में पहुंच गई थी.
उस दौर में केंद्र सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपये का पैकेज तो दिया ही था, रिजर्व बैंक ने भी सिस्टम में नकदी डालने के कई इंतजाम किए थे. आम लोगों को राहत देने के लिए लोन पर मोरेटोरियम की सुविधा दी गई थी.