PMC Bank में धोखाधड़ी पकड़ने और उस कार्रवाई करने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ऐसे को-ओपरेटिव बैंक पर लगातार सख्ती दिखा रहा है. सिर्फ जून के महीने में केन्द्रीय बैंक ने ऐसे लगभग डेढ़ दर्जन बैंक पर मौद्रिक जुर्माना लगाया है.
महाराष्ट्र के 10 बैंकों पर जुर्माना
RBI की वेबसाइट के मुताबिक जून महीने में उसने महाराष्ट्र के 10 को-ऑपरेटिव बैंक पर जुर्माना लगाया है. इनमें मुंबई के म्युनसिपल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मोगावीरा को-ऑपरेटिव लिमिटेड, एक्सीलेंट को-ऑपरेटिव लिमिटेड, सारस्वत को-ऑपरेटिव लिमिटेड और एसवीसी को-ऑपरेटिव लिमिटेड बैंक शामिल हैं.
इन पर RBI ने क्रमश: 2 लाख, 12 लाख, 4 लाख, 25 लाख और 37.5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है.
वहीं महाराष्ट्र के अन्य बैंकों में बारामती का बाराममी सहकारी बैंक लिमिटेड, इचलकरणजी का अमन सहकारी बैंक, इंद्रपुर का इंद्रपुर अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, कोल्हापुर का द अजारा अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड और पुणे का जनसेवा सहकारी बैंक लिमिटेड शामिल हैं.
इन पर क्रमश: 1 लाख, 3 लाख, 10 लाख और 2-2 लाख रुपये का जुर्माना लगा है.
दिल्ली, उत्तर प्रदेश, केरल, गुजरात का भी नंबर
ऐसा नहीं है कि सिर्फ महाराष्ट्र के बैंकों पर ही जुर्माना लगा हो. इस लिस्ट में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, गुजरात, केरल, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश का भी नाम शामिल हैं.
रिजर्व बैंक ने दिल्ली के नेशनल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, गुजरात के ध्रंगध्रा पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, द अहमदाबाद मर्केन्टाइल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, उत्तर प्रदेश के बिजनौर अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, केरल के मांजेरी को-ऑपरेटिव(अर्बन) बैंक लिमिटेड और तेलंगाना के आंध्र प्रदेश महेश को-ऑपरेटिव अर्बन बैंक लिमिटेड पर जुर्माना लगाया है.
इन पर क्रमश: 5 लाख, 2 लाख, 62.5 लाख, 6 लाख, 10 लाख और 112.50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है.
सबसे अधिक जुर्माना हैदराबाद में
RBI ने सबसे अधिक जुर्माना हैदराबाद के आंध्र प्रदेश महेश को-ओपरेटिव अर्बन बैंक लिमिटेड पर लगाया है. ये जुर्माना उस पर KYC और बैंक जमा पर ब्याज से जुड़े बैंकिंग नियमों का उल्लंघन करने के लिए लगाया गया है.
इसी तरह सबसे कम जुर्माना महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार के गढ़ में स्थित ‘द बारामती सहकारी बैंक लिमिटेड’ पर 1 लाख रुपये का लगाया गया है. बाकी बैंकों पर भी RBI ने ये जुर्माना अलग-अलग बैंकिंग नियमों का उल्लंघन करने के लिए लगाया है.
महाराष्ट्र में को-ऑपरेटिव बैंकिंग सेक्टर को मूर्त रूप देने में शरद पवार की अहम भूमिका रही है. केन्द्र सरकार ने जब को-ऑपरेटिव बैंकों के नियमन की जिम्मेदारी RBI को सौंपी थी तो शरद पवार की पार्टी NCP ने इसका मुखर विरोध भी किया था.
RBI को सितंबर में मिली थी ताकत
RBI को को-ऑपरेटिव पर निगरानी रखने की ताकत देने के लिए केन्द्र सरकार ने पिछले साल मानसून सत्र में बैंकिंग नियमन (संशोधन) विधेयक 2020 संसद में पेश किया था. वर्ष 1949 के बैंकिंग रेग्युलेशन एक्ट में इस संशोधन के बाद को-ऑपरेटिव बैंक सीधे RBI की निगरानी में आ गए. अब केन्द्रीय बैंक के पास को-ऑपरेटिव बैंक में गड़बड़ की स्थिति में उसके निदेशक मंडल को संबंधित राज्य सरकार से विमर्श के बाद बरखास्त करने का अधिकार है. पहले ऐसा अधिकार सिर्फ विभिन्न राज्यों में काम करने वाले को-ऑपरेटिव बैंक के मामले में ही होता था. इसी के साथ अब को-ऑपरेटिव बैंक RBI की पहले से अनुमति लेकर ही अपने सदस्यों को शेयर इत्यादि जारी कर सकते हैं.
क्यों लाया गया ये संशोधन
देश में करीब 1,540 अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक काम करते हैं. इनके ग्राहकों की संख्या करीब 8.6 करोड़ है और इनकी कुल जमा 5 लाख करोड़ रुपये के आसपास है. ऐसे में इन करोड़ों ग्राहकों के हितों की सुरक्षा के लिए सरकार ये कानून लेकर आई है.
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