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बैंकों को RBI का तोहफा- CRR 4.5% से घटाकर 4% किया, जानिए फायदे

सीआरआर वाणिज्यिक बैंकों को सॉल्वेंसी स्थिति बनाने और उसे बनाए रखने में मदद करता है. यह सुनिश्चित करता है कि सभी वाणिज्यिक बैंकों में तरलता प्रणाली सुसंगत और अच्छी तरह से बनी रहे.

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भारतीय रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास
भारतीय रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैंकों का एक बड़ा तोहफा दिया है. मॉनेटरी पॉलिसी की बैठक में लिये गए फैसले के बारे में जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि इस बार भी रेपो रेट को अनचेंज रखा गया है. यह फैसला महंगाई को काबू में लाने के लिए लिया गया है. हालांकि रेपो रेट को अनचेंज (Repo Rate Unchanged) रखने के बाद शक्तिकांत दास ने एक और बड़ा ऐलान किया. उन्‍होंने कैश रिजर्व रेशियो (CRR) को 4.5 फीसदी से घटाकर 4 फीसदी कर दिया है. 

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CRR के घटाने से बैंकों को एक बड़ी राहत मिली है. इससे बैंकों के पास कैश फ्लो की कमी नहीं होगी. क्‍योंकि पिछले कुछ समय से कहा जा रहा था कि बैंक कैश की समस्‍या से जूझ रहे है, लेकिन आरबीआई की ओर से लिया गया है ये फैसला बैंकों को लिक्विडिटी की समस्‍या से दूर करेगा. इससे पहले अक्टूबर 2022 में CRR में बदलाव किया गया था. यानी करीब 24 महीने के बाद बदलाव हुआ है. अब CRR में बदलाव से सिस्टम में 1.16 लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त आएगा.

सीआरआर में कटौती आरबीआई की आसान मुद्रा नीति का हिस्सा है और जब वह बैंकिंग सिस्टम में तरलता बढ़ाना चाहता है और ऋण को बढ़ावा देना चाहता है तो वह सीआरआर में कटौती करता है. सीआरआर में कटौती बैंकों के लिए भी लाभदायक है, क्योंकि वे अब अपनी निष्क्रिय गैर-आय वाली जमाराशियों को आय-अर्जित करने वाली परिसंपत्तियों में बदल सकते हैं. 

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CRR क्या है?
सीआरआर वाणिज्यिक बैंकों को सॉल्वेंसी स्थिति बनाने और उसे बनाए रखने में मदद करता है. यह सुनिश्चित करता है कि सभी वाणिज्यिक बैंकों में तरलता प्रणाली सुसंगत और अच्छी तरह से बनी रहे. RBI को CRR दर के माध्यम से बैंकों द्वारा बनाए गए ऋण को नियंत्रित और समन्वयित करने का अवसर मिलता है, जो अर्थव्यवस्था में नकदी और ऋण की सुचारू आपूर्ति में मदद करता है.

CRR कैसे काम करता है?
CRR का काम कमर्शियल बैंक के कुल डिपॉजिट का कुछ प्रतिशत निर्धारित करना होता है जो कि सेंट्रल बैंक के पास कैश रिजर्व के रूप में रखा जाना है. मॉनेटरी पॉलिसी को लागू करने की पूरी ज़िम्मेदारी सेंट्रल बैंक पर होती है, जहां वह आर्थिक उद्देश्यों के आधार पर CRR के उचित स्तर निर्धारित करता है.

अगर सेंट्रल बैंक का उद्देश्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना और बहुत ज़्यादा उधार देने को कम करना हो, तो वह CRR बढ़ा देता है. वहीं दूसरी ओर, अगर इसका उद्देश्य अर्थव्यवस्था के भीतर विकास को गति देना है, तो यह CRR रेट को कम करता है.

सेंट्रल बैंक द्वारा CRR रेट सेट करने के बाद, कमर्शियल बैंकों को अपनी नेट डिमांड और समय देनदारियों के कुछ प्रतिशत को कैश रिज़र्व के रूप रखना ही पड़ता है, जो कि सेंट्रल बैंक में एक खास अकाउंट में रखा जाता है.

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सीआरआर मुद्रास्फीति को कैसे नियंत्रित करता है?
CRR इन्फ्लेशन को नियंत्रित करने के लिए सेंट्रल बैंक द्वारा उपयोग किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण साधन है. CRR को बढ़ाकर सेंट्रल बैंक अतिरिक्त लिक्विडिटी को कम करने के साथ इन्फ्लेशन के दबाव को कम कर सकते हैं. दूसरी ओर, CRR घटने से अर्थव्यवस्था में अधिक फंड डाले जा सकते हैं, ताकि आर्थिक विकास में वृद्धि हो, हालांकि अगर इसका इस्तेमाल उचित रूप से न किया जाए तो कभी-कभार इन्फ्लेशन का खतरा बढ़ जाता है.

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