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OPS को लेकर कांग्रेस-बीजेपी में भिड़ंत, RBI की राज्यों को नसीहत- मत करें लागू, पछताना पड़ेगा!

भारतीय रिजर्व बैंक ने राज्‍यों को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर ओल्‍ड पेंशन योजना वापस लाई जाती है तो राज्‍यों पर इसका वित्तीय बोझ बढ़ जाएगा. आरबीआई ने कहा राजस्‍व बढ़ाने पर फोकस करें.

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भारतीय रिजर्व बैंक ने राज्‍यों को दी सलाह
भारतीय रिजर्व बैंक ने राज्‍यों को दी सलाह

देश में पुरानी पेंशन (OPS) और नई पेंशन स्‍कीम (New Pension Scheme) लागू करने को लेकर चर्चा तेज है. इस बीच, भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) ने पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) को लेकर यूजर्स को चेतावनी दी है. केंद्रीय बैंक ने कहा कि राज्‍य पुरानी पेंशन स्‍कीम को बहाल करने के बारे में मत सोचें. अगर वह ऐसा करते हैं तो उनका खर्च कई गुना बढ़ जाएगा. RBI ने कहा कि ओल्‍ड पेंशन स्‍कीम के तहत वित्तीय सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है. 

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विकास के लिए होगा कम पैसा! 
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सोमवार को जारी राज्य वित्त 2023-24 के बजट का एक अध्ययन में कहा कि राज्यों द्वारा OPS में कोई भी बदलाव पीछे की ओर एक बड़ा कदम होगा, जो पिछले सुधारों के लाभों को कम करेगा और भविष्य के लिए समस्‍या खड़ी कर सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि  OPS लागू करने से राज्‍यों पर भारी बोझ पड़ेगा और विकास बढ़ाने वाले पूंजीगत खर्च करने की उनकी क्षमता सीमित हो जाएगी. इसका मतलब है कि विकास के लिए राज्‍यों के पास कम पैसा होगा.  

सभी राज्‍य में लागू हुआ ओपीएस तो कितना बढ़ेगा बोझ 
RBI की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर सभी राज्‍य में सरकारें NPS से OPS पर वापस लौटती हैं तो संचयी राजकोषीय बोझ एनपीएस के 4.5 गुना तक अधिक हो सकता है. साथ ही अतिरिक्‍त बोझ 2060 तक सालाना सकल घरेलू उत्पाद के 0.9 प्रतिशत तक पहुंच सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्‍यों को विकास को लेकर सही प्‍लानिंग करनी चाहिए. 

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कहां-कहां पर लागू हुई ओपीएस? 
अभी कई राज्‍यों में ओल्‍ड पेंशन स्‍कीम लागू की गई है, जिसमें राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पंजाब शामिल हैं. इसके अलावा कर्नाटक में भी ओपीएस लाने की चर्चा चल रही है. वहीं दूसरी ओर आरबीआई ने राज्‍यों को सलाह दी है कि वह न्‍यू पेंशन स्‍कीम को ही जारी रखें. आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक राज्यों की कुल बकाया देनदारियां 2020-21 में 31 प्रतिशत के शिखर से घटकर 2023-24 के लिए सकल घरेलू उत्पाद का 27.6 प्रतिशत होने का अनुमान है. हालांकि कई राज्‍यों के लिए बकाया देनदारी जीएसडीपी के 30 फीसदी से ज्‍यादा रह सकता है. 

लुभावने वादे न करें सरकार 
अगले साल देश में आम चुनाव होने वाला है. ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि खर्च बढ़ाने के बजाय राजस्‍व में इजाफा करने पर विचार करें. कोई भी लुभावने वादे करने से बचें, क्‍योंकि इससे राजस्‍व पर प्रभाव पड़ेगा. आरबीआई ने कहा कि राज्यों को रजिस्ट्रेशन फीस, स्टांप ड्यूटी, अवैध खनन रोकने, टैक्स कलेक्शन बढ़ाने, टैक्स चोरी रोकने पर ध्यान देना चाहिए.

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