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Repo Rate: फिर से बढ़ने वाली है EMI, अगले हफ्ते RBI दे सकता है झटका

मई और जून महीने में एक के बाद एक लगातार दो बार रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट (Repo Rate) में कुल 90 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की है. पहले मई 2022 में नीतिगत दरों में 40 बीपीएस का इजाफा किया गया, तो अगले ही महीने जून में MPC की बैठक में रेपो रेट 50 बीपीएस और बढ़ा दिया गया.

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Repo Rate में इजाफे की आशंका
Repo Rate में इजाफे की आशंका
स्टोरी हाइलाइट्स
  • रेपो रेट में 0.35% की हो सकती है बढ़ोतरी
  • 5.25 फीसदी हो जाएंगी ये प्रमुख दर बढ़कर

अगले हफ्ते एक बार फिर कर्ज का बोझ बढ़ सकता है. अमेरिकन ब्रोकरेज एजेंसी का कहना है कि रिजर्व बैंक (RBI) की प्रस्तावित बैठक में रेपो रेट (Repo Rate) में और बढ़ोतरी की जा सकती है. नीतिगत दरों में 35 बेसिस प्वाइंट के इजाफे की आशंका जताई गई है. अगर दरों में वृद्धि होती है, तो सभी तरह के लोन (Loan) महंगे हो जाएंगे.   

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Bofa सिक्योरिटीज की रिपोर्ट जारी
पीटीआई के मुताबिक, बोफा सिक्योरिटीज (Bofa Securities) ने बुधवार को जारी रिपोर्ट में कहा है मौजूदा स्थिति को देखते हुए आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (Monetary Policy Committee) 5 अगस्त को होने वाली बैठक में रेपो रेट में बढ़ोतरी का फैसला कर सकती है. इसका सीधा असर लोन लेने वाले लोगों पर पड़ेगा, क्योंकि सभी तरह के लोन महंगे हो जाएंगे और ईएमआई बढ़ जाएगी. 

यहां पहुंच जाएंगी रेपो दर
अगर आरबीआई रेपो रेट (Repo Rate) में 0.35% की बढ़ोतरी का फैसला लेता है, तो ये दरों बढ़कर 5.25 फीसदी हो जाएंगी. गौरतलब है लगातार दो महीनों में रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 90 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की है और फिलहाल यह 4.90 फीसदी है. पहले मई 2022 में RBI ने आनन-फानन में नीतिगत दरों में 40 बीपीएस का इजाफा किया और फिर अगले ही महीने जून में एमपीसी की बैठक में रेपो रेट 50 बीपीएस और बढ़ा दिया गया. 

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क्या होती है रेपो दर?
रेपो रेट (Repo Rate) वह दर होती है जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है, जबकि रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo Rate) उस दर को कहते है जिस दर पर बैंकों को आरबीआई पैसा रखने पर ब्याज देती है। रेपो रेट के कम होने से लोन की ईएमआई (EMI) घट जाती है, जबकि रेपो रेट में बढ़ोतरी से कर्ज महंगा हो जाता है। 

आरबीआई गवर्नर ने कही थी ये बात
हाल ही में आरबीआई गवर्नर (RBI Governer) शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने कहा कि हेडलाइन मुद्रास्फीति, अप्रैल में हल्की गिरावट के बाद 7.04 फीसदी पर आई है, यानी अभी भी यह तय मानक से ऊपर बनी हुई है. ऐसे में महंगाई को काबू में करने के लिए सख्त कदम उठाए जा सकते हैं. बोफा की रिपर्ट में अनुमान जताया गया कि ग्रोथ और अर्थव्यवस्था (Economy) की स्थिति के आधार पर दरों में बढ़ोतरी का फैसला ले सकता है.

 

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