रियल एस्टेट सेक्टर (Real Estate Sector) पिछले कुछ सालों से चौतरफा संकट में घिरा हुआ है. इससे सबसे ज्यादा प्रभावित वे लोग हो रहे हैं, जिन्होंने अपने घर का सपना पूरा करने के लिए सारी जमापूंजी लगा दी और अभी तक घर मिलने का इंतजार कर रहे हैं. पिछले कुछ साल के दौरान देश में लाखों घरों का काम अटका हुआ है और इस कारण घर खरीदारों का अपने ड्रीम होम का सपना भी पूरा नहीं हो रहा है. रियल एस्टेट सेक्टर की दुर्गति का नजारा दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) समेत टॉप शहरों में बेजान खड़ी इमारतें दिखा रही हैं. पिछले कुछ सालों में कई बड़ी रियल एस्टेट कंपनियां दिवाला प्रक्रिया में चली गई हैं. हालांकि इससे भी घर खरीदारों को खास राहत नहीं मिली है. दिवाला प्रक्रिया में समाधान की सुस्त रफ्तार खरीदारों की टेंशन और बढ़ा रही है.
देश के 7 बड़े शहरों में 6 लाख से ज्यादा मकान अटके
प्रॉपर्टी कंसल्टेंट फर्म एनारॉक की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, साल 2021 के मध्य तक देश के टॉप-7 शहरों में 6 लाख से ज्यादा ऐसे फ्लैट/मकान थे, जिनमें काम बंद है या फिर देरी से चल रहा है. अटके घरों की कुल कीमत 5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है. इनमें से 1.74 लाख मकान ऐसे हैं, जिनमें काम पूरी तरह से बंद है. ऐसे मकानों की टोटल वैल्यू 1.40 लाख करोड़ रुपये है. अकेले दिल्ली-एनसीआर में सबसे ज्यादा 1.13 लाख मकान लटके हुए हैं. इस रिसर्च में उन्हीं परियोजनाओं को रखा गया, जो 2014 या उससे पहले शुरू हुई थीं.
इतनी सुस्त है दिवाला प्रक्रिया में समाधान की रफ्तार
रियल एस्टेट कंपनियों के मामले में दिवाला प्रक्रिया के तहत समाधान की रफ्तार काफी सुस्त है. ग्रांट थॉर्नटन भारत की एक रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2021 तक कर्ज तले दबी 223 रियल एस्टेट कंपनियां आईबीसी के तहत समाधान के लिए आईं, जिनमें से केवल 9 मामलों का समाधान हो पाया है. इस हिसाब से देखें तो रियल एस्टेट सेक्टर की कंपनियों के मामले में दिवाला प्रक्रिया के तहत महज 4 फीसदी केसेज सुलट पाए हैं. हालांकि आईबीसी के तहत ओवरऑल समाधान की दर 9 फीसदी है. समाधान की इस सुस्त रफ्तार से हजारों खरीदारों को राहत मिलने में देरी हो रही है.
घर खरीदारों को मिल चुका है ये अधिकार
घर खरीदारों को अब रियल एस्टेट कंपनियों के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया शुरू करने का अधिकार मिल चुका है. सुप्रीम कोर्ट ने 9 अगस्त 2019 को दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (IBC) में किए गए बदलावों को संवैधानिक रूप से वैध करार दिया था. ये संशोधन घर खरीदारों को फाइनेंशियल क्रेडिटर का दर्जा देते हैं. यह दर्जा मिलने से घर खरीदारों को क्रेडिटर्स की समिति में भागीदारी मिली है. बिल्डर के खिलाफ दिवाला कार्यवाही शुरू करने के लिए किसी प्रोजेक्ट के कम से कम 100 खरीदारों या 10 फीसदी खरीदारों को मिलकर आवेदन करना होता है.
रियल एस्टेट सेक्टर की बदहाली के कुछ उदाहरण: