एक ओर जहां दुनिया में मंदी (Recession) का खतरा बढ़ता जा रहा है, तो दूसरी ओर विशषज्ञों का कहना है कि वैश्विक मंदी से भारत को नुकसान कम और फायदा ज्यादा हो सकता है. मंदी की बढ़ती चिंताओं के बीच सिटी ग्रुप (Citigroup) में भारत के प्रबंध निदेशक और मुख्य अर्थशास्त्री समीरन चक्रवर्ती (Samiran Chakraborty) ने यह बड़ी उम्मीद जताई है.
महंगाई के मोर्चे पर मिलेगा लाभ
ब्लूमबर्ग को दिए साक्षात्कार में समीरन चक्रवर्ती ने कहा कि दुनिया की विकसित अर्थव्यवस्थाओं में मंदी (Recession) से भारत को फायदा हो सकता है. इसकी वजह का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत विभिन्न वस्तुओं का प्रमुख आयातक (Importer) है और इसके चलते दुनिया में मंदी के बीच देश को महंगाई (Inflation) के मोर्चे पर लाभ हो सकता है. इस संबंध में जारी रिपोर्ट में कहा गया कि मंदी के माहौल में वैश्विक स्तर पर वस्तुओं की कीमतों में कुछ कमी आने से घरेलू मुद्रस्फीति को कम करने में मदद मिल सकती है.
महंगाई को नियंत्रित करने पर ध्यान
हालांकि, भारत को वैश्विक मंदी (Global Recession) के दौर में दबाव का सामना भी करना पड़ेगा, क्योंकि निर्यात और आर्थिक विकास में कमी आएगी. चक्रवर्ती आगे कहा कि चूंकि, इस समय नीति निर्माण पूरी तरह से महंगाई को नियंत्रित करने पर केंद्रित है, ऐसे में उम्मीद है कि इससे भारत को कुछ हद तक लाभ हो सकता है और बढ़ती महंगाई को काबू करने की दिशा में मदद मिल सकती है.
लक्ष्य से ऊपर रह सकती है महंगाई
रूस-यूक्रेन में लंबा खिंचते युद्ध और चीन समेत अन्य देशों में कोरोना के मामलों में फिर से इजाफा होने के बीच बढ़ती महंगाई को काबू में करने के लिए अमेरिकी फेडरल रिजर्व (Fed), ईसीबी (ECB) जैसे दुनिया भर के प्रमुख केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है. इसके साथ ही मंदी के खतरे को लेकर अपनी चिंताएं भी पेश की हैं. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ( Michael Patra) ने भी बीते दिनों महंगाई को लेकर अपनी चिंता जाहिर की थी. पात्रा ने कहा था कि अगली तीन तिमाहियों में खुदरा महंगाई आरबीआई के लक्ष्य से ऊपर बनी रह सकती है.
महंगाई बढ़ने का डर हो रही कम
चक्रवर्ती का कहना है कि इस साल के ज्यादातर समय में भारतीय हेडलाइन मुद्रास्फीति 6% से ऊपर रहने की संभावना है, लेकिन मुद्रास्फीति में और तेजी आने का डर अब लगातार कम होता जा रहा है, RBI ने मई के बाद से दो बार वृद्धि करते हुए अपनी नीतिगत ब्याज दर (Repo Rate) में 90 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि की है. उन्होंने कहा कि महंगाई को कम करने के लिए इसे 4.9 फीसदी से 5.5 फीसदी किया जा सकता है. इसके बाद भी महंगाई काबू में नहीं आती तो फिर इसे छह फीसदी तक बढ़ाया जा सकता है.