देश की दिग्गज कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज सरकारी तेल कंपनी भारत पेट्रालियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) की बिक्री के लिए लगी प्रारंभिक बोली में शामिल नहीं हुई है. इस कदम से रिलायंस ने सबको चौंका दिया है, क्योंकि उसे इसकी खरीद के लिए तगड़ा दावेदार माना जा रहा था.
बीत गई लास्ट डेट
सरकार भारत में दूसरी सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी और विपणन कंपनी BPCL में अपनी पूरी 52.98 फीसदी हिस्सेदारी बेच रही है. गौरतलब है कि बीपीसीएल के लिए बोली लगाने के लिए सोमवार 16 नवंबर को अंतिम तिथि थी और सरकार ने इस बार आगे नहीं बढ़ाया है.
पहले पर्याप्त रुचि न दिखाये जाने की वजह से इसे कई बार बढ़ाना पड़ा था. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सरकार को सोमवार को बीपीसीएल की खरीद के लिए कई बिड हासिल हुए हैं, पर इसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज शामिल नहीं है. यही नहीं सऊदी अरामको, बीपी और टोटल जैसी दुनिया की दिग्गज तेल कंपनियां भी इसमें शामिल नहीं हुई हैं.
आए हैं तीन-चार बिड
बीपीसीएल की रणनीतिक बिक्री का जिम्मा संभाल रहे निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव तुषार कांत पांडे ने सोमवार को ट्वीट कर बताया कि बीपीसीएल के लिए कई कंपनियों ने अभिरुचि दिखाई है. इन सबकी जांच के बाद बिक्री की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा.
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है. हालांकि किसी ने यह नहीं बताया कि कुल कितने बिड हासिल हुए हैं. कुछ वरिष्ठ आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक इसके बारे में 3-4 बिड हासिल हुए हैं.
Strategic disinvestment of BPCL progresses: Now moves to the second stage after multiple expressions of interest have been received. @PIB_India @FinMinIndia https://t.co/bDNx6gw3d2
— Nirmala Sitharaman (@nsitharaman) November 16, 2020
रिलायंस इंडस्ट्रीज अगर बीपीसीएल को खरीदती तो उसकी बाजार हिस्सेदारी में 22 फीसदी का इजाफा होता और वह देश की नंबर एक तेल कंपनी बन जाती. लेकिन उसने न जाने क्यों रुचि ही नहीं दिखाई, जबकि उसे तगड़ा दावेदार माना जा रहा था.
महंगा सौदा!
बीएसई पर शुक्रवार को 412.70 रुपये के बंद भाव पर BPCL में सरकार की 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी 47,430 करोड़ रुपये की होती है. साथ ही अधिग्रहणकर्ता कंपनी को जनता से 26 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के लिए ओपन ऑफर लाना होगा, जिसकी लागत 23,276 करोड़ रुपये होगी. सूत्रों ने कहा कि BPCL सालाना लगभग 8,000 करोड़ रुपये का लाभ कमाती है और इस गति से निवेशक को बोली की 70,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि वसूलने में 8-9 साल लग जाएंगे.