अमेरिकी डॉलर (USD) में आ रही रिकॉर्ड रैली (Dollar Rally) के कारण दुनिया भर की करेंसीज (Global Currencies) बिखरते जा रही हैं. भारतीय करेंसी (Indian Currency) की हालत तुलनात्मक रूप से बेहतर है, लेकिन इसके बाद भी रुपया लगातार गिर रहा है. इसी सप्ताह डॉलर के मुकाबले रुपया पहली बार 80 के भी पार निकल गया. सिर्फ इस साल रुपया डॉलर के मुकाबले 7 फीसदी से ज्यादा कमजोर हो चुका है. ऐसे में रिजर्व बैंक (RBI) ने रुपये को बचाने की खास तैयारी की है.
इतना खर्च करने को तैयार RBI
रॉयटर्स की एक रिपार्ट के अनुसार, रुपये को तेज गिरावट से बचाने के लिए रिजर्व बैंक (RBI Intervention) अरबों डॉलर खर्च करने से भी पीछे नहीं हटेगा. रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि सेंट्रल बैंक रुपये को बचाने के लिए अपने कुल विदेशी मुद्रा भंडार (RBI Forex Reserve) का छठवां हिस्सा खर्च करने को तैयार है. इसका मतलब हुआ कि रुपये की तेज गिरावट की स्थिति में रिजर्व बैंक बाजार में करीब 100 बिलियन डॉलर की विदेशी मुद्रा झोंक सकता है.
मंगलवार को रुपये ने बनाया रिकॉर्ड
आपको बता दें कि भारतीय मुद्रा 'रुपया (INR)' के लिए ये सबसे खराब दौर चल रहा है. रुपये की वैल्यू (Indian Rupee Value) पिछले कुछ समय के दौरान बड़ी तेजी से कम हुई है. इस सप्ताह मंगलवार को शेयर बाजारों (Share Market) में गिरावट के बीच रुपये ने गिरने का नया रिकॉर्ड बना दिया था. रिजर्व बैंक (RBI) के हालिया प्रयासों के बाद भी रुपया डॉलर (USD) के मुकाबले पहली बार 80 से भी नीचे गिर गया. हालांकि बाद में यह कुछ सुधरा, लेकिन अभी भी डॉलर के मुकाबले रुपया 80 के साइकोलॉजिकल लेवल के आस-पास ही ट्रेड कर रहा है. रुपये को ये स्थिरता प्रदान करने में रिजर्व बैंक का हाथ है.
इतना है RBI के पास फॉरेक्स रिजर्व
रिजर्व बैंक के विदेशी मुद्रा भंडार के देखें तो यह पिछले साल सितंबर की शुरुआत में 642.450 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था. उसके बाद से रिजर्व बैंक का विदेशी मुद्रा भंडार अब तक 60 बिलियन डॉलर से ज्यादा कम हो चुका है. हालांकि इस गिरावट के बाद भी आरबीआई दुनिया में पांचवां सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा भंडार वाला सेंट्रल बैंक है. रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई के फॉरेक्स रिजर्व में आई गिरावट का एक कारण वैल्यूएशन में आया बदलाव तो है ही, लेकिन रुपये को बचाने के लिए डॉलर बेचकर किया गया दखल भी इस गिरावट के लिए जिम्मेदार है.
रुपये को उथल-पुथल से बचाने की कवायद
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है, 'रुपये में उथल-पुथल को रोकने के लिए रिजर्व बैंक ने डॉलर खर्च करने का इरादा साफ कर दिया है. उन्होंने ऐसा करने का संकेत दिया है. अगर जरूरत पड़ी तो रिजर्व बैंक रुपये को बचाने के लिए 100 बिलियन डॉलर तक खर्च करने को तैयार है.' हालांकि रिजर्व बैंक ने अभी तक इस बारे में आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा है. रिजर्व बैंक का इस बारे में हमेशा ये रुख रहा है कि वह रुपये को स्थिर रखने या गिरावट से बचाने के लिए दखल नहीं देता है. रिजर्व बैंक सिर्फ तभी बीच में आता है, जब रुपया अचानक से तेज गिरावट का शिकार हो रहा हो.
आठ साल में 25% गिरी रुपये की वैल्यू
ऐतिहासिक आंकड़ों को देखें तो रुपये की वैल्यू डॉलर के मुकाबले लगातार कम होते गई है. अभी प्रमुख मुद्राओं के बास्केट में डॉलर के लगातार मजबूत होने से भी रुपये की स्थिति कमजोर हुई है. करीब दो दशक बाद डॉलर और यूरो की वैल्यू बराबर हो चुकी है, जबकि यूरो (Euro) लगातार डॉलर से ऊपर रहता आया है. भारतीय रुपये की बात करें तो दिसंबर 2014 से अब तक यह डॉलर के मुकाबले करीब 25 फीसदी कमजोर हो चुका है. रुपया साल भर पहले डॉलर के मुकाबले 74.54 के स्तर पर था. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) ने सोमवार को कहा था कि रुपये में हालिया गिरावट का कारण कच्चे तेल की कीमतों (Crude Oil Prices) में आई तेजी और रूस-यूक्रेन के बीच महीनों से जारी जंग (Russia-Ukraine War) है.