भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के मौद्रिक नीति कमिटी (MPC) की तीन दिवसीय बैठक के नतीजे आ गये हैं. RBI ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है. रिजर्व बैंक ने यह स्वीकार कर लिया है कि इस वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी ग्रोथ मानइस रहेगी यानी इसमें गिरावट आएगी. रिजर्व बैंक के मुताबिक इस वित्त वर्ष में जीडीपी ग्रोथ -7.5 फीसदी रहेगी.
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने एमपीसी की बैठक के नतीजों की जानकारी दी. सबकी नजरें इस बात पर थीं कि क्या रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कोई बदलाव करता है और लोगों की ईएमआई घटती है? रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 4% और रिवर्स रेपो रेट को 3.35% पर बरकरार रखा है.
अर्थव्यवस्था में अनुमान से ज्यादा तेजी से सुधार
लेकिन रिजर्व बैंक ने यह संकेत दिये हैं कि अर्थव्यवस्था में अनुमान से ज्यादा तेजी से सुधार हो रहा है. गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि इकोनॉमी में अनुमान से ज्यादा तेजी से सुधार हो रहा है और यह सुधार ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में हो रहा है.
इकोनॉमी में सुधार को देखते हुए रिजर्व बैंक ने अपने जीडीपी अनुमान में बदलाव किया है. रिजर्व बैंक ने अक्टूबर में पेश मौद्रिक नीति समीक्षा में कहा था कि वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी वृद्धि दर में 9.5 फीसदी की गिरावट का अनुमान है.
एमपीसी की बैठक 2 से 4 दिसंबर तक थी. इसके बाद दोपहर 12 बजे गवर्नर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे. गौरतलब है कि रिजर्व बैंक हर दो माह पर अपनी सालाना मौद्रिक नीति की समीक्षा करता है. इसके पहले हुई अक्टूबर की बैठक में रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया था.
ब्याज दरों में कटौती क्यों नहीं
दास ने कहा कि एमपीसी ने सर्वसम्मति से पॉलिसी रेपो रेट को 4 फीसदी पर यथावत रखने के पक्ष में वोट दिया. समिति ने मॉनिटरी पॉलिसी पर जहां तक जरूरी हो उदार रुख बनाए रखने का फैसला किया है. कम से कम इस वित्त वर्ष और अगले वित्त वर्ष तक जाने में यह स्थिति जारी रहेगी ताकि ग्रोथ स्थाई तौर पर रिवाइव हो सके.
रिजर्व बैंक इस साल रेपो रेट में 115 बेसिस प्वाइंट यानि 1.15 परसेंट तक की कटौती कर चुका है. इस कटौती के साथ ही रेपो रेट साल 2000 के बाद 4 परसेंट पर है, जो कि सबसे निचला स्तर है.
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ऊंची महंगाई एक समस्या
रिजर्व बैंक का मानना है कि अभी महंगाई उंचाई पर बनी रहेगी. तीसरी तिमाही में खुदरा महंगाई 6.8 फीसदी रहने का अनुमान है. गौरतलब है कि खुदरा महंगाई पिछले कई महीनों से रिजर्व बैंक के सुविधाजनक स्तर 4 फीसदी से ऊपर बना हुआ है.
जीडीपी में राहत
हालांकि जीडीपी के मोर्चे पर थोड़ी राहत वाली बात है. जुलाई-सितंबर की इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी में 7.5 फीसदी की गिरावट आयी है, जो अनुमानों से कम गिरावट है. जून की पहली तिमाही में जीडीपी में 23.9 फीसदी की गिरावट आयी थी.
रिजर्व बैंक ने अक्टूबर में पेश मौद्रिक नीति समीक्षा में कहा था कि वित्त वर्ष 2020-21 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर में 9.5 फीसदी की गिरावट का अनुमान है.