फ्यूचर समूह और रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) के बीच डील पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. दरअसल, अमेरिका की ई-कॉमर्स कंपनी एमेजॉन ने इस डील पर आपत्ति जताई है. इसके साथ ही बाजार नियामक सेबी और शेयर बाजारों (बीएसई और एनएसई) को पत्र लिखकर डील में सिंगापुर मध्यस्थता अदालत के अंतरिम फैसले को ध्यान में रखने का आग्रह किया है. आपको बता दें कि अंतरिम आदेश में मध्यस्थता अदालत ने फ्यूचर समूह और मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज के बीच 24,713 करोड़ रुपये की डील की समीक्षा करते हुए उस पर रोक लगा दी है.
एमेजॉन ने आदेश की कॉपी भी भेजी
न्यूज एजेंसी पीटीआई के सूत्रों के अनुसार एमेजॉन ने अंतरिम आदेश की प्रति भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बाजार (सेबी), बीएसई और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के साथ साझा की है. फ्यूचर समूह-आरआईएल डील विभिन्न नियामकीय प्राधिकरणों की मंजूरी पर निर्भर है. इसमें सेबी और भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) शामिल हैं.
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बहरहाल, एमेजॉन की इस अपील पर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई ) पूंजी बाजार नियामक प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड से परामर्श करेगा. बीएसई ने इस डील के बारे में सेबी से परामर्श करने के साथ ही फ्यूचर ग्रुप और रिलायंस दोनों से स्पष्टीकरण लेने की योजना बनाई है.
क्या है एमेजॉन-फ्यूचर का मामला
असल में पिछले साल एमेजॉन ने फ्यूचर कूपोन्स लिमिटेड नामक कंपनी में 49 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी. फ्यूचर कूपोन्स की फ्यूचर रिटेल में 7.3 फीसदी हिस्सेदारी है. एमेजॉन का कहना है कि उसका यह निवेश इस कॉन्ट्रैक्ट की शर्त के साथ हुआ था कि फ्यूचर ग्रुप किसी बिक्री से पहले उससे बात करेगा और उसके इंकार करने पर किसी के साथ डील करेगा, इसी तरह दोनों के आपसी प्रतिस्पर्धा न करने का भी समझौता हुआ है.