scorecardresearch
 

डॉलर की तुलना में शतक न मार दे रुपया? जानिए करेंसी को कैसे कंट्रोल करती हैं सरकारें, क्या है फ्री फ्लोटिंग रेट सिस्टम

Rupee Against Dollar: भारतीय रुपया सोमवार को अपने ऑल टाइम लो-लेवल पर आ गया. इंडियन करेंसी पहली बार डॉलर के मुकाबले 87.29 तक टूट गई. हालांकि, सरकार का कहना है कि चिंता की कोई बात नहीं है.

Advertisement
X
रुपया रिकॉर्ड लो लेवल तक फिसला
रुपया रिकॉर्ड लो लेवल तक फिसला

इंडियन करेंसी रुपया (Indian Rupee) हर रोज गिरने का नया रिकॉर्ड बनाता जा रहा है. सोमवार को एक ओर जहां शेयर बाजार में तगड़ी गिरावट आई, तो वहीं दूसरी ओर Rupee नए रिकॉर्ड लो-लेवल पर पहुंच गया. खराब शुरुआत के बाद मार्केट में कारोबार बंद होने पर भारतीय रुपया 55 पैसे की बड़ी गिरावट लेकर डॉलर के मुकाबले 87.17 पर क्लोज हुआ. आइए जानते हैं कि कैसे करेंसी में इस गिरावट को संभालने के लिए सरकार क्या कदम उठा सकती है?

Advertisement

'रुपया' दिनभर में इतना टूटा
सोमवार को रुपया करेंसी मार्केट में गिरावट के साथ ओपन हुआ और कुछ ही देर में अब तक की सबसे बड़ी गिरावट देखी. बीते शुक्रवार को 86.61 के लेवल पर क्लोज होने के बाद सोमवार को खुलते के साथ ही ये 87 के स्तर के पार आ गया औऱ मिनटों में 67 पैसे टूटकर 87.29 प्रति डॉलर के अब तक के रिकॉर्ड लो-लेवल पर पहुंच गया. दिनभर के कारोबार के बाद अंत में Indian Currency ने कुछ रिकवरी करते हुए 87.17 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर क्लोजिंग की.

रुपये में बड़ी गिरावट

वित्त सचिव बोले- चिंता की बात नहीं
रुपये के डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचने पर वित्त सचिव तुहिन कांत पांडे ने सोमवार को कहा कि रुपये के मूल्य को लेकर कोई चिंता की बात नहीं है, RBI इसकी अस्थिरता को संभाल रहा है. उन्होंने कहा कि इंडियन करेंसी 'फ्री फ्लोट' है और इसकी दर बाजार पर आधारित है और इसके लिए कोई निश्चित दर तय नहीं की जाती. पांडे के मुताबिक, फॉरेन फंड आउटफ्लो के चलते एक्सचेंज रेट दबाव का सामना कर रहे हैं. 

Advertisement

रुपये को संभालने के लिए क्या कर सकती है सरकार?  

पहला- जब भी रुपये में गिरावट तेज होती है, तो इसके लिए विदेशों निवेशकों को Indian Markets की तरफ आकर्षित करना जरूरी है. विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली के चलते न केवल रुपया, बल्कि शेयर बाजार में भी उठा पटक जारी है. 

दूसरा- सरकार आयात पर निर्भरता को कम करने का प्रयास कर सकती है. दरअसल, आयात में कमी से डॉलर की बचत ज्यादा होगा और रुपया मजबूत होगा. भारत कच्चे तेल समेत तमाम चीजें आयात करता है और पेमेंट डॉलर में करना होता है. आयात घटाने के साथ ही सरकार को निर्यात बढ़ाना होगा, क्योंकि जितना निर्यात होगा, डॉलर देश में आएगा.  

रुपये में बड़ी गिरावट

तीसरा- RBI अपने विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग कमजोर होते रुपये को संभालने में कर सकता है. इस तरह की स्थिति में केंद्रीय बैंक डॉलर रिजर्व का बेचकर रुपये को मजबूत करता है. आंकड़ों को देखें, तो बीते 24 जनवरी को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 5.574 अरब डॉलर बढ़कर 629.557 अरब डॉलर हो गया. 

डॉलर के मुकाबले क्यों टूट रहा रुपया? 
अब जानते हैं कि Rupee में ये गिरावट का सिलसिला क्यों जारी है? तो इसके पीछे कई कारण हैं और इसमें सबसे बड़ी वजह डॉलर की डिमांड बढ़ना है और इससे रुपया ही नहीं अन्य देशों की करेंसी भी टूटी हैं. वहीं विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली का भी दवाब भारतीय रुपये पर देखने को मिला है. इसके अलावा छह प्रमुख करेंसियों के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति बताने वाला डॉलर सूचकांक 109.46 पर रहा.

Advertisement

रुपये में बड़ी गिरावट

क्या ट्रंप टैरिफ का भी असर? 
पहली बार डॉलर के मुकाबले रुपया 87 के पार निकला है और इसके पीछे एक और कारण Trump Tariff को माना जा रहा है. डोनाल्ड ट्रंप के शपथ लेने के बाद से ही टैरिफ की पॉलिसी ने कई देशों की चिंता बढ़ाई है. कनाडा, मेक्सिको और चीन पर टैरिफ लगाए जाने के बाद अब यूरोपियन यूनियन (EU) पर टैरिफ की बात ट्रंप ने कही है. दूसरी ओर कनाडा ने पलटवार कर 155 अरब डॉलर के अमेरिकी आयात पर 25 फीसदी टैरिफ का फैसला किया है. Tariff War का असर ग्लोबल शेयर और करेंसी मार्केट्स पर साफ दिखा है. 

रुपया टूटने से महंगाई बढ़ने का जोखिम
किसी भी देश की करेंसी के कमजोर होने के कई साइड इफेक्ट होते हैं. भारतीय करेंसी रुपये में गिरावट को ही देखें, तो रुपया गिरता है, तब आयात महंगा हो जाता है. मतलब साफ है कि सरकार को विदेशों से सामान खरीदने के लिए ज्यादा रुपये खर्च करने पड़ते हैं. इससे देश में महंगाई बढ़ने का जोखिम भी बढ़ जाता है. उदाहरण के तौरा पर भारत अपने कच्चे तेल का 80 फीसदी आयात करता है और इसका पेमेंट डॉलर में करना होता है.

Live TV

Advertisement
Advertisement