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Russia-Ukraine Conflict: यूक्रेन पहले से ही तंगहाल, युद्ध हुआ तो और हो जाएगा बर्बाद?

Russia-Ukraine Conflict: रूस की इकोनॉमी को क्रूड ऑयल का भाव बढ़ने से फायदा होता है, लेकिन कड़े प्रतिबंध लगने पर ये फायदे गायब हो सकते हैं. दूसरी ओर यूक्रेन समेत कई यूरोपीय देश तेल व गैस की जरूरतों के लिए रूस पर निर्भर करते हैं. आइए जानते हैं कि जंग का खतरा किस तरह से अर्थव्यवस्था पर असर डाल रहा है...

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जंग से हो रहा आर्थिक नुकसान (Photo: Reuters)
जंग से हो रहा आर्थिक नुकसान (Photo: Reuters)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • रूस को आर्थिक प्रतिबंधों से होगा नुकसान
  • रूस के तेल-गैस पर निर्भर हैं यूरोप के कई देश

यूक्रेन (Ukraine) को लेकर दुनिया की महाशक्तियां आमने-सामने आ चुकी हैं. यूरोप (Europe) में कई दशकों बाद इस तरह का सैन्य संकट खड़ा हुआ है. अमेरिका (US) समेत कई देश रूस (Russia) के ऊपर आर्थिक पाबंदियां लगाने का ऐलान कर चुके हैं. इन सबके बीच मंगलवार को पेरिस में यूरोपीय संघ (European Union) की आपातकालीन बैठक होने जा रही है.

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जंग की आशंका से भरी खबरें आर्थिक हालातों पर असर दिखाना शुरू कर चुकी हैं. दुनिया भर के शेयर बाजार (Share Market) सहमे हुए हैं और कच्चा तेल (Crude Oil) उबाल मार रहा है. आर्थिक लिहाज से इस संकट से रूस को तो नुकसान होगा ही, लेकिन यूक्रेन और यूरोप की अर्थव्यवस्था के भरभरा जाने का खतरा सामने है.

इतने बिगड़ चुके हैं हालात

रूस ने मंगलवार सुबह-सुबह यूक्रेन के कुछ हिस्सों को अलग देश की मान्यता प्रदान कर धमाका कर दिया. इससे पहले लग रहा था कि अब इस संकट का समाधान नजदीक है. अमेरिका और रूस इस संकट का समाधान निकालने के लिए बैठक करने वाले थे. हालांकि बैठक पर अब पर्दा डल चुका है और 24 घंटे के भीतर हालात इस तरह बदले हैं कि अब तीसरे विश्व युद्ध (3rd World War) का खतरा सिर पर मंडरा रहा है. रूस के इस कदम पर अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. अमेरिका के बाद जापान (Japan) और ब्रिटेन (UK) जैसे देश भी रूस के ऊपर आर्थिक प्रतिबंध (Economic Sanctions) लगाने का ऐलान कर चुके हैं. इससे रूस को भी आने वाले समय में आर्थिक मोर्चे पर मुश्किल हालात का सामना करना पड़ सकता है.

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प्रतिबंध कड़े हुए तो होगी दिक्कत

सेंटर फॉर इकोनॉमिक पॉलिसी एंड पब्लिक फाइनेंस (CEPPF) के इकोनॉमिस्ट डॉ सुधांशु कुमार (Dr Sudhanshu Kumar) कहते हैं कि अमेरिका और सहयोगी देश अगर रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाते हैं तो रूस को अच्छा-खासा नुकसान हो सकता है. रूस की अर्थव्यवस्था रिसॉर्स बेस्ड है और कच्चा तेल व गैस के निर्यात से उसकी जीडीपी को बूस्ट मिलता है. यह ट्रेंड देखा गया है कि जब क्रूड के भाव बढ़े होते हैं तो रूस की इकोनॉमी तेज ग्रोथ करती है. अभी के संकट से क्रूड फिर 100 डॉलर के करीब पहुंच गया है. अब, अगर अमेरिका ने रूस के तेल और गैस को भी प्रतिबंधों के दायरे में लाया तो रूस के लिए नए खरीदार तलाशना मुश्किल रहेगा. इससे रूस के लिए मुश्किल आर्थिक हालात पैदा हो जाएंगे.

रूस की इकोनॉमी में क्रूड का ये रोल

रूस की अर्थव्यवस्था में तेल (Crude Oil) और गैस सबसे ज्यादा योगदान देता है. रूस के बजट में करीब 40 फीसदी रेवेन्यू का सोर्स अकेले तेल और गैस है. रूस के निर्यात की बात करें तो इसमें करीब 60 फीसदी हिस्सा तेल और गैस का है. जब-जब कच्चा तेल सस्ता होता है, रूस की इकोनॉमी का साइज तेजी से गिरता है. वहीं कच्चा तेल के महंगा होते ही रूस की इकोनॉमी उड़ान भरने लगती है. 2014 में कच्चा तेल का भाव टूटने पर महज 6 महीने में रूस की करेंसी रूबल की वैल्यू (डॉलर की तुलना में) 59 फीसदी गिर गई थी. Trading Economics के अनुसार, रूस की अर्थव्यवस्था (Russia GDP) इस साल 1,700 बिलियन डॉलर की हो सकती है. World Bank के आंकड़ों की मानें तो 2013 में रूस की जीडीपी का साइज करीब 2,300 बिलियन डॉलर का था.

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मौजूदा प्रतिबंधों का तात्कालिक असर

अभी अमेरिका ने जिन प्रतिबंधों का ऐलान किया है, वे सीधे तौर पर रूस के ऊपर नहीं हैं. डॉ सुधांशु ने बताया कि अभी के प्रतिबंध उन 2 इलाकों पर टारगेटेड हैं, जिन्हें रूस ने अलग देश माना है. अमेरिकी एक्सीक्यूटिव ऑर्डर में लिखा गया है कि ये प्रतिबंध कथित Donetsk People's Republic और Luhansk People's Republic के ऊपर हैं. इसके तहत इन दो इलाकों में नया इन्वेस्टमेंट करने, इनके साथ ट्रेड करने या फाइनेंस से जुड़ा ताल्लुक रखने को प्रतिबंधित किया गया है. इस तरह की पाबंदियों का रूस के ऊपर मामूली असर होने वाला है. वहीं दूसरी ओर यूक्रेन ही नहीं बल्कि पूर्वी यूरोप और मध्य यूरोप की ईंधन की जरूरतें रूस के तेल व गैस से पूरी होती हैं. कई पश्चिमी यूरोपीय देश भी रूस के तेल व गैस पर निर्भर हैं. ऐसी इकोनॉमीज को तात्कालिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.

विवाद से यूक्रेन को हो चुका इतना नुकसान

सेंटर फॉर इकोनॉमिक्स एंड बिजनेस रिसर्च (Cebr) की एक रिपोर्ट के अनुसार, जंग का खतरा अभी से यूक्रेन और यूरोप को तकलीफ दे रहा है. रूस की अर्थव्यवस्था (Russian Economy) भले ही सुस्त पड़ी हो, लेकिन अभी उसकी जीडीपी यूक्रेन की तुलना में करीब 10 गुनी बड़ी है. Trading Economics के अनुसार, इस साल यूक्रेन की जीडीपी (Ukraine GDP) का साइज 184.92 बिलियन डॉलर हो जाने का अनुमान है. Cebr की रिपोर्ट में बताया गया है कि 2014 में विवाद शुरू होने के बाद यूक्रेन को 280 बिलियन डॉलर का नुकसान हो चुका है. इसका मतलब हुआ कि रूस के साथ विवाद के चलते महज 6 साल में यूक्रेन की जीडीपी का साइज आधे से भी कम रह गया है. 2014 में क्रीमिया (Crimea) को लेकर हुई जंग से ही यूक्रेन को 58 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ था. 2014 से 2020 के दौरान यूक्रेन को इन्वेस्टमेंट के मोर्चे पर 72 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है. निर्यात के मामले में देखें तो इन 6 सालों में यूक्रेन को 162 बिलियन डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा है. क्रीमिया और डोनबस (Donbas) विवाद में यूक्रेन की काफी संपत्तियां भी बर्बाद हुई हैं और Cebr के आकलन के अनुसार यहां यूक्रेन को 117 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है.

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