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Russia-Ukraine War से चढ़े फर्टिलाइजर्स के दाम, भारत समेत कई देशों में खाद की किल्लत

रूस (Russia) फर्टिलाइजर्स के मामले में दुनिया के सबसे बड़े उत्पादक देशों और निर्यातकों में से एक है. लड़ाई में रूस का साथ दे रहा बेलारूस (Belarus) भी फर्टिलाइजर्स के अव्वल उत्पादकों और निर्यातकों में से है.

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फर्टिलाइजर्स की किल्लत
फर्टिलाइजर्स की किल्लत
स्टोरी हाइलाइट्स
  • फर्टिलाइजर्स के सबसे बड़े एक्सपोर्टर्स में है रूस
  • अमेरिकी प्रतिबंधों से ग्लोबल सप्लाई चेन पर असर

रूस और यूक्रेन (Russia-Ukraine War) के बीच एक महीने से ज्यादा समय से लड़ाई जारी है. दोनों देश मसलों को बातचीत के जरिए सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन हाल-फिलहाल में जंग के समाप्त होने की गुंजाइश नजर नहीं आ रही है. इस बीच जंग का दंश अब दुनिया भर के किसान झेलने लगे हैं. पूर्वी यूरोप (Eastern Europe) में छिड़ी इस लड़ाई के चलते पूरी दुनिया में फर्टिलाइजर्स (Fertilizers) के दाम बढ़ गए हैं और इनकी किल्लत भी होने लगी है.

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फर्टिलाइजर्स के सबसे बड़े एक्सपोर्टर्स हैं रूस, बेलारूस

रूस (Russia) फर्टिलाइजर्स के मामले में दुनिया के सबसे बड़े उत्पादक देशों और निर्यातकों में से एक है. लड़ाई में रूस का साथ दे रहा बेलारूस (Belarus) भी फर्टिलाइजर्स के अव्वल उत्पादकों और निर्यातकों में से है. ये दोनों देश पोटाश (Potash) के ग्लोबल एक्सपोर्ट में पिछले साल 40 फीसदी से ज्यादा के हिस्सेदार रहे थे. इसी तरह दोनों देश डीएपी, यूरिया समेत अन्य प्रमुख फर्टिलाइजर्स के भी टॉप एक्सपोटर्स में से एक हैं. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद अमेरिका समेत कई यूरोपीय देशों ने कड़े आर्थिक व व्यापारिक प्रतिबंध लगा दिए हैं. इससे ग्लोबल सप्लाई चेन पर बुरा असर पड़ रहा है.

प्रतिबंधों ने बढ़ा दी ढुलाई की लागत

रूस और बेलारूस के खिलाफ लगाए गए प्रतिबंधों ने क्रूड ऑयल की कीमतों को आसमान में पहुंचा दिया है. पिछले एक महीने से ज्यादा समय से कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल के पार रहा है. जब कच्चा तेल महंगा होता है, तो इसका असर कई सेक्टर्स पर पड़ता है. खासकर माल ढोने की लागत बढ़ जाती है. इसके चलते हर उस प्रॉडक्ट की कीमतों पर असर पड़ता है, जो एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट के जरिए अन्य बाजारों में पहुंचते हैं. फर्टिलाइजर्स की कीमतों पर इस कारण भी असर पड़ा है.

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भारत से लेकर ब्राजील-दक्षिण अफ्रीका तक परेशानी

रॉयटर्स की एक ताजा रिपोर्ट पर यकीन करें तो जंग के चलते पैदा हुए हालात ने भारत (India) के गेहूं किसानों से लेकर ब्राजील (Brazil) के गन्ना उत्पादकों और दक्षिण अफ्रीका (South Africa) के अनाज उत्पादकों तक पर असर डालने लगा है. रिपोर्ट के अनुसार, डेवलपिंग कंट्रीज (Developing Countries) के किसान बदले हालात की सबसे ज्यादा मार सह रहे हैं. एग्रीबिजनेस (Agree Business) में एक्टिव बड़ी कंनपियों ने तो इससे बचने के लिए बड़े पैमाने पर फर्टिलाइजर्स को स्टोर कर लिया, लेकिन छोटे किसान इस तरह अपना बचाव करने में सक्षम नहीं हैं.

इतना बढ़ जाएगा भारत का फर्टिलाइजर सब्सिडी बोझ

रॉयटर्स की रिपोर्ट में भारत, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील के कुछ किसानों के हवाले से कहा गया है कि वे फर्टिलाइजर्स की कमी का सामना कर रहे हैं. छोटे किसान आम तौर पर फर्टिलाइजर्स तभी खरीदते हैं, जब उन्हें जरूरत होती है. अभी खरीफ फसलों की बुवाई का मौसम आने वाला है और इसमें फर्टिलाइजर्स की ठीक-ठाक जरूरत होती है. अगर जल्दी ही कोई हल नहीं निकला तो छोटे किसानों को मुश्किल हालात से गुजरना पड़ सकता है. अधिक दाम पर फर्टिलाइजर्स खरीदने से उनकी आमदनी कम होगी. दूसरी ओर भारत जैसे देशो के ऊपर फर्टिलाइजर सब्सिडी (Fertilizer Subsidy) का बोझ बढ़ने का भी खतरा है. एक अनुमान के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में भारत सरकार को फर्टिलाइजर्स की कमी पूरी करने और इनके दाम नियंत्रित रखने के लिए सब्सिडी पर रिकॉर्ड 20.64 बिलियन डॉलर खर्च करना पड़ सकता है.

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