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रूस रोक सकता है तेल की सप्लाई, अमेरिका के प्रस्ताव पर ये है भारत का रुख

यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं. इस वजह से रूस ने यूरोपीय देशों में तेल और गैस की सप्लाई को कम कर दिया है. अलीपोव ने कहा कि मूल्य सीमा लागने से वैश्विक बाजारों में तेल की भारी कमी हो जाएगी और कीमतें तेजी से बढ़ेंगी.

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रूस रोक सकता है तेल की सप्लाई.
रूस रोक सकता है तेल की सप्लाई.

रूस (Russia) ग्लोबल मार्केट में तेल की सप्लाई (Oil Supply) रोक सकता है. इसके पीछे वजह है तेल की कीमत. रूस का कहना है कि अगर जी-7 देशों की तरफ से प्रस्तावित तेल की कीमत उचित नहीं होगी, तो वह वैश्विक बाजार में तेल की सप्लाई बंद कर देगा. भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये बात कही है. उन्होंने कहा कि अगर जी-7 देशों द्वारा प्रस्तावित तेल की कीमत सीमा (Price Cap) हमारे लिए उचित नहीं है और उसे स्वीकार नहीं करते हैं, तो हम ग्लोबल मार्केट में तेल की सप्लाई रोक देंगे. साथ उन्होंने कहा कि कीमत सीमा तय करने में अमेरिका का साथ देने वाले देशों को भी हम तेल देना बंद कर देंगे.

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तेल बेचकर विदेशी मुद्रा हासिल करता है रूस

यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं. इस वजह से रूस ने यूरोपीय देशों में तेल और गैस की सप्लाई को कम कर दिया है. रूस पर और कड़े प्रतिबंध लगाने के लिए जी-7 में शामिल देशों ने पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स के अधिकतम मूल्य तय करने की बात कही है. ईंधन के निर्यात से रूस को बड़े पैमाने पर विदेशी मुद्रा हासिल होती. इसे बंद करने के लिए तेल की कीमतों को तय करने की चर्चा चल रही है. 

अमेरिका के प्रस्ताव पर भारत का रुख

अलीपोव ने कहा कि मूल्य सीमा लागने से वैश्विक बाजारों में तेल की भारी कमी हो जाएगी और कीमतें तेजी से बढ़ेंगी. अमेरिका ने भारत को भी रूस के पेट्रोलियम प्रोडक्ट की कीमतों को तय करने वाले समूह का हिस्सा बनने को कहा है. लेकिन भारत ने कहा है कि वह इस प्रस्ताव का 'सावधानीपूर्वक परीक्षण' करने के बाद ही कोई फैसला लेगा. रूस के राजदूत अलीपोव ने कहा कि भारत ने अब तक तेल की कीमतों को तय करने प्रस्ताव को लेकर सावधानीपूर्वक रुख अपनाया है.

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भारत-रूस के बीच बढ़ा व्यापार 

पिछले महीने अलीपोव ने कहा था कि रूस पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का भारत, रूस व्यापार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है. अलीपोव ने कहा कि इस साल के शुरुआती छह महीनों में दोनों देशों के बीच व्यापार 11.1 अरब डॉलर रहा जबकि 2021 में दोनों देशों के बीच व्यापार लगभग 13 अरब डॉलर था. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, जून महीने में रूस सऊदी अरब को पछाड़ते हुए भारत को तेल बेचने वाला दूसरा सबसे बड़ा सप्लायर बन गया था. 

भारी मात्रा में रूस से तेल खरीद रहा भारत

यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद यूरोपीय देशों के रूस पर प्रतिबंधों के बीच भारत और चीन ने सबसे अधिक मात्रा में रूस का कच्चा तेल खरीदा है. भारत अपनी तेल जरूरतों को पूरा करने के लिए 85 फीसदी हिस्सा आयात करता है. रूस से सस्ते दाम पर तेल मिलने से भारत को आर्थिक मोर्चे पर थोड़ी राहत मिली है.

 

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