ग्लोबल क्रेडिट रेटिंग एजेंसी S&P ने चालू वित्त वर्ष 2021-22 के लिए देश के आर्थिक वृद्धि अनुमान को घटा दिया है. साथ ही कोरोना की आने वाली लहर से अर्थव्यवस्था के जोखिमों को लेकर भी सावधान रहने को कहा है.
9.5% किया ग्रोथ फोरकास्ट
S&P ने 2021-22 में देश की आर्थिक वृद्धि दर 9.5% रहने का अनुमान जताया है. यह उसके पहले मार्च में जताए गए 11% की वृद्धि दर के अनुमान से कम है. एजेंसी का कहना है कि अप्रैल और मई में कोविड की दूसरी लहर के चलते विभिन्न राज्यों ने लॉकडाउन किया, इससे आर्थिक गतिविधियों में बड़ी गिरावट देखी गई है.
कई साल लगेंगे हालात सुधरने में
S&P का कहना है कि कोविड के चलते निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की दोनों की ही बैलेंस शीट को स्थाई नुकसान हुआ है. ऐसे में अगले कुछ सालों तक वृद्धि दर सीमित ही रहेगी. 31 मार्च 2023 को खत्म होने वाले वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर 7.8% रहने का अनुमान है.
15% आबादी का ही टीकाकरण
S&P ने कहा कि कोरोना की आने वाली लहर अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा जोखिम हो सकती है, क्योंकि अब तक देश की मात्र 15% आबादी को ही कोरोना टीका लगा है. हालांकि अब वैक्सीन की आपूर्ति में सुधार हुआ है.
मूडीज भी घटा चुकी है ग्रोथ अनुमान
इससे पहले बुधवार को मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 2021 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 9.6% रह सकती है. ये उसके पिछले 13.9% की वृद्धि दर के अनुमान से काफी कम है. मूडीज का कहना है अर्थव्यवस्था के नुकसान को अप्रैल-जून तिमाही तक सीमित रखने के लिए देश में तेजी से वैक्सीनेशन किया जाना सबसे महत्वपूर्ण है. 2022 में उसने भारत का ग्रोथ रेट 7% रहने का अनुमान जताया है.
RBI ने भी की कटौती
बीते वित्त वर्ष 2020-21 में देश की अर्थव्यवस्था में 7.3% की गिरावट दर्ज की गई थी. जबकि उससे पहले 2019-20 में देश की आर्थिक वृद्धि दर 4% थी. जबकि इसी महीने की शुरुआत में भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में देशी की आर्थिक वृद्धि दर घटकर 9.5% रहने का अनुमान जताया था, जबकि पहले ये 10.5% था.
ये भी पढ़ें: