देश के सबसे दिग्गज भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने पिछले चार साल में 52,758 करोड़ रुपये का लोन बट्टा खाता में डाल दिया है. बैंक ने कोरोना काल के दौरान वित्त वर्ष 2020-21 में 17,590 करोड़ रुपये के लोन को राइट-ऑफ किया है यानी बट्टा खाता में डाला है. इसके बावजूद भारतीय स्टेट बैंक के मुनाफे में 81 फीसदी की बढ़त हुई है.
राइट-ऑफ करने यानी बट्टा खाता में डालने का मतलब ये है कि बैंक इन कर्जों को लगभग डूबा मान चुका है और अब इनके वापस मिलने की उम्मीद बहुत कम है.
मुनाफे में 81 फीसदी की बढ़त
इसके बावजूद मार्च, 2021 की तिमाही मेंं भारतीय स्टेट बैंक के मुनाफे में 81 फीसदी की बढ़त हुई है और इसका मुनाफा बढ़कर 6,451 करोड़ रुपये का रहा. एक साल पहले यानी मार्च 2020 की तिमाही में स्टेट बैंक का मुनाफा 3,581 करोड़ रुपये था. स्टेट बैंक के बोर्ड ने शेयरधाकों को प्रति शेयर 4 रुपये का लाभांश देने का फैसला किया है.
1 लाख करोड़ रुपये ज्यादा का लोन राइट-ऑफ
पिछले सात साल में स्टेट बैंक 1 लाख करोड़ रुपये ज्यादा का लोन राइट-ऑफ कर चुका है. इसके पहले साल 2018-19 में स्टेट बैंक ने 17,782 करोड़ रुपये का लोन राइट-ऑफ किया था.
हालांकि, साल 2020-21 के दौरान बैंक अपने एनपीए में कमी लाने में सक्षम रहा है, लेकिन राइट-ऑफ के ये अमाउंट बता रहे हैं कि फंसे कर्जों को वापस लेने में चुनौतियां बनी हुई हैं.
भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा ने बताया कि बैंक की एसेट क्वालिटी पहले से सुधरी है. साल 2020-21 के दौरान बैंक का ग्रॉस एनपीए 4.98 फीसदी रहा है, जबकि इसके पिछले साल में यह 6.15 फीसदी था.