LIC के IPO को बाजार हजम कर सके, इसके लिए बाजार नियामक सेबी ने IPO से जुड़े कुछ नियमों में संशोधन किया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट सत्र के दौरान इन सुधारों का प्रस्ताव रखा था, जानें क्या-क्या बदला नियमों में-
बड़ी कंपनियों के लिए नियम आसान
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के निदेशक मंडल की बैठक बुधवार को हुई. बैठक में बड़ी कंपनियों के लिए आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) लाने के नियमों को आसान करने और अन्य कदमों को भी मंजूरी दी गई. यदि ऐसा नहीं किया जाता तो LIC जैसी बड़ी कंपनी की बाजार में एंट्री मुश्किलों से घिर जाती.
क्या है मौजूदा प्रावधान
सेबी के Securities Contracts (Regulation) Rules (SCRR)-1957 के मुताबिक मौजूदा समय में यदि कोई कंपनी IPO लाती है और इसके बाद उसका बाजार पूंजीकरण कम से कम 4,000 करोड़ रुपये या उससे अधिक हो जाता है तो उसे अपनी इस बाजार पूंजी के न्यूनतम 10% की सार्वजनिक पेशकश करनी होती है. इतना ही नहीं उन्हें अपनी कम से कम 25% हिस्सेदारी अगले तीन साल में शेयर बाजार के लिए खोलनी होती है.
LIC के लिए बदली सीमा
LIC के आईपीओ के लिए इन नियमों में बदलाव किया गया है. अब 10% हिस्सेदारी की सार्वजनिक पेशकश करने के बाद जिस कंपनी का बाजार पूंजीकरण 1 लाख करोड़ रुपये को पार कर जाएगा उन्हें ही इस नियम का पालन करना होगा. इतना ही नहीं ऐसी कंपनियों को अपनी न्यूनतम 10% हिस्सेदारी की पेशकश IPO आने के दो साल के भीतर जबकि 25% हिस्सेदारी सूचीबद्ध होने के बाद 5 साल के भीतर शेयर बाजार के लिए खोलनी होगी.
वित्त मंत्री ने की थी पेशकश
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इन कानूनों में संशोधन के प्रस्तावों को बजट सत्र के दौरान ससंद में रखा था. इसके बाद ही सेबी ने यह फैसला किया है. यदि इन कानूनों में संशोधन नहीं किया जाता तो LIC के आईपीओ केआकार को संभालने में बाजार को दिक्कत आती.
बदले कई और नियम भी
इसके अलावा सेबी बोर्ड की बैठक में पोर्टफोलियो मैनेजर्स की योग्यता, SEBI (Merchant Bankers) Regulations-1993 और SEBI (Stock Brokers) Regulations-1992 जैसे कई अहम नियमों में भी बदलाव किए गए हैं. इन सभी का मकसद शेयर बाजार में लोगों के काम करने को अधिक पारदर्शी बनाना है.