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'चप्पल से भी सस्ती वैक्सीन...', दावोस में इस उद्योगपति ने कहा- कीमत तय करने की आजादी मिलनी चाहिए

पूनावाला ने कहा कि कुछ वैक्‍सीन सड़क किनारे बिकने वाले जूते या चप्‍पलों से भी कम कीमत में बेची जाती हैं. उन्‍होंने कहा, 'हम वैक्‍सीन को 1 रुपये या 200 रुपये में बेचने के बारे में बात करते हैं, लेकिन अगर कोई इसे 300 रुपये या 400 रुपये में भी बेच रहा है तो यह गलत नहीं है.

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Adar Poonawalla
Adar Poonawalla

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने दावोस में वैक्सीन इंडस्‍ट्रीज के लिए एक खास अपील की है. अदार पूनावाला ने विकास और रिन्‍यूवेबल के लिए उचित प्राइस तय करने की मांग की है. पूनावाला ने बिजनेस टुडे के कार्यकारी निदेशक राहुल कंवल से कहा, 'हमें अपने उत्पादों की सही कीमत तय करने के लिए हक मिलना चाहिए,' उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वैक्सीन सेक्‍टर में प्रमोशन या छूट की आवश्यकता नहीं है, बल्कि ज्‍यादा प्राइस कंट्रोल से राहत की आवश्यकता है. 

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पूनावाला ने कहा कि कुछ वैक्‍सीन सड़क किनारे बिकने वाले जूते या चप्‍पलों से भी कम कीमत में बेची जाती हैं. उन्‍होंने कहा, 'हम वैक्‍सीन को 1 रुपये या 200 रुपये में बेचने की बात करते हैं, लेकिन अगर कोई इसे 300 रुपये या 400 रुपये में भी बेच रहा है तो यह गलत नहीं है. अरबपति ने बिजनेस पर बढ़ते हुए वित्तीय दबाव को लेकर कहा कि बिना परामर्श के वैक्‍सीन के दाम को कम किया जा रहा है, न कि इसे बढ़ाया जा रहा है.' 

वैक्‍सीन सेक्‍टर में क्‍या है चुनौती? 
अदार पूनावाला ने वैक्‍सीन इंडस्‍ट्रीज की तुलना, आईटी, ऑटो और फाइनेंस जैसे फलते-फुलते सेक्‍टर्स से करते हुए इसकी चुनौतियों के बारे में बताया. उन्होंने कहा, 'आईटी उद्योग हर तिमाही में 1 अरब रुपये कमाता है. जबकि वैक्‍सीन इंडस्‍ट्रीज एक साल में 1 अरब रुपये नहीं कमा पा रही है,' उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि वैक्सीन निर्माताओं के पास रिसर्च में निवेश करने या नौकरियां पैदा करने के लिए पूंजी की कमी है. 

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अदार पूनानवाला ने कहा कि भले ही किसी और ने वैक्‍सीन बनाई हो, लेकिन अगर आप इसे भारत में बना रहे हैं तो सबसे बड़ी चीज है कि कंपनी को इसके प्राइस को तय करने की छूट होनी चाहिए. वहीं इंडस्‍ट्री के साथ मीटिंग में वैक्‍सीन के प्राइस और चीजों को तय किया जाना चाहिए. पूनावाला ने चेतावनी दी कि बिना मुनाफे के फिर से निवेश से उद्योग सफलता हासिल नहीं कर सकता या अगली पीढ़ी के टीके विकसित नहीं कर सकता. 

उन्होंने कहा, 'अगर आप भारत को फाइजर या जीएसके जैसी वैश्विक दिग्गज कंपनियों का उत्पादन करते देखना चाहते हैं, तो अवसर अवश्य होना चाहिए. ये कंपनियां 100-200 अरब डॉलर की हैं, जबकि हम 1 अरब डॉलर को पार करने के लिए संघर्ष करते हैं.'

अभी आईपीओ लाने की नहीं योजना 
पूनावाला ने सीरम इंस्टीट्यूट को जल्द ही पब्लिक करने की संभावना को खारिज कर दिया. 'प्राइस कंट्रोल के साथ, आप वैक्सीन कंपनी को लिस्‍ट नहीं कर सकते. भले ही वॉल्यूम बढ़े, मार्जिन 10-15% पर सीमित है. निवेशक हमारे वैल्‍यूवेशन पर सवाल उठाएंगे,' उन्होंने समझाया, उन्होंने कहा कि लिस्टिंग पर 5-10 साल बाद विचार किया जा सकता है जब कंपनी के पास अधिक मजबूत पाइपलाइन और कई राजस्व धाराएं होंगी. 

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