घरेलू शेयर बाजार (Share Market) में शुक्रवार को सात महीने की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई. कोरोना वायरस के नए वैरिएंट के सामने आने, एफपीआई (FPI) के लगातार बिकवाली रहने और बाजार पर निगेटिव ट्रेंड के दबाव ने शेयर बाजारों को धराशाई कर दिया.
बाम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 1,687.94 अंक यानी 2.87 फीसदी की गिरावट में रहा. शुक्रवार को बाजार बंद होने के बाद यह 57,107.15 अंक पर आ गया. एनएसई (NSE) का 50 शेयरों वाला निफ्टी भी 509.80 अंक यानी 2.91 फीसदी टूटकर 17,026.45 अंक पर रहा. शेयर बाजारों की इस बिकवाली में निवेशकों के 7.45 लाख करोड़ रुपये डूब गए.
शेयर बाजारों की इस गिरावट के प्रमुख कारण ये रहे:
1. कोरोना वायरस का नया वैरिएंट (Coronavirus New Variant): कई देशों में कोरोना वायरस का नया वैरिएंट सामने आने से निवेशक नर्वस हो गए. दक्षिण अफ्रीका (South Africa) ने सबसे पहले नए वैरिएंट के मामलों की जानकारी दी. इसके बाद बोत्सवाना (Botswana) और हांगकांग (Hong Kong) में भी नए वैरिएंट के मामले सामने आ गए. बाजार बंद होते-होते इजरायल (Israel) और जर्मनी (Germany) में भी इस वैरिएंट के मामले मिल गए. इसके बाद केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को निर्देश जारी कर प्रभावित देशों से आने वाले लोगों की गहन जांच करने को कह दिया.
2. एफपीआई की बिकवाली: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) पिछले कई रोज से बिकवाल बने हुए हैं. एफपीआई की बिकवाली घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) की खरीदारी पर भारी पड़ रही है. एक दिन पहले एफपीआई ने 2,300.65 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली की थी. इसके कारण भी बाजार पर दबाव रहा.
3. निगेटिव ट्रेंड: शेयर बाजारों पर इधर कुछ दिनों से निगेटिव ट्रेंड (Negative Trend) का प्रेशर बना हुआ है. रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बाद करेक्शन (Correction) का प्रेशर लगातार कायम है. सेंसेक्स 15 नवंबर को 60,718.71 अंक के स्तर पर था. अभी यह 57,107.15 अंक पर आ चुका है. इस तरह बीते डेढ़ सप्ताह में सेंसेक्स 3,611.56 अंक गिर चुका है.
4. यूरोप में लॉकडाउन: यूरोप में कई देशों में वैक्सीनेशन (Vaccination) के बाद भी कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं. इसके चलते कई यूरोपीय देश बूस्टर वैक्सीनेशन (Booster Vaccination) कर रहे हैं. स्लोवाकिया (Slovakia), चेक गणराज्य (Check Republic) और जर्मनी जैसी अर्थव्यवस्थाओं ने कोरोना की तीसरी लहर (Corona 3rd Wave) को काबू करने के लिए फिर से सख्त पाबंदियों की राह अपना ली है. इसने निवेशकों को और नर्वस किया.