भारतीय शेयर बाजार पिछले करीब 5 महीने से एक दायरे में कारोबार कर रहा है. बाजार ने नवंबर 2021 में रिकॉर्ड हाई बनाया था, उसके बाद से गिरावट देखी जा रही है. इस गिरावट के बीच विदेशी निवेशक तेजी से भारतीय शेयर बाजार से अपने पैसे निकाल रहे हैं.
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने इस साल अबतक भारतीय बाजारों से 1,14,855.97 करोड़ रुपये की निकासी की है. रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध और बढ़ती महंगाई को लेकर चिंता के बीच विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों में बिकवाल बने हुए हैं.
शेयर बाजार में गिरावट का दौर जारी
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी निवेशकों ने मार्च महीने में अब तक भारतीय शेयरों बाजारों से 48,261.65 करोड़ रुपये की निकासी की है. इस तरह आज की तारीख तक 2022 में विदेशी निवेशकों की निकासी का आंकड़ा 1,14,855.97 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है.
विशेषज्ञों का कहना है कि रूस-यूक्रेन तनाव की वजह से वैश्विक स्तर पर आर्थिक संकट और अमेरिका में ब्याज दरों में इजाफे को देखते हुए विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों से निकासी कर रहे हैं. यह लगातार छठा महीना है जब विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजारों से शुद्ध निकासी की है.
भारत कच्चे तेल का शुद्ध आयातक
जानकार मान रहे हैं कि रूस-यूक्रेन युद्ध का भारतीय अर्थव्यवस्था पर सीधा असर काफी सीमित है, क्योंकि इन देशों से हमारी आयात पर निर्भरता नहीं है. हालांकि, जिंसों के ऊंचे दाम चुनौतियां पैदा कर रहे हैं. क्योंकि भारत कच्चे तेल का शुद्ध आयातक है.
ऐसे में अनुमान है कि कच्चे तेल की कीमतों में 10 फीसद के उछाल से चालू खाते के घाटे (कैड) पर 0.3 फीसदी, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति पर 0.4 फीसदी और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) पर 0.2 फीसद का असर पड़ेगा.
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, FPI ने जनवरी में भारतीय शेयर बाजारों से 28,526.30 करोड़ रुपये निकाले थे. फरवरी में उनकी निकासी 38,068.02 करोड़ रुपये रही थी. मार्च में अबतक उन्होंने 48,261.65 करोड़ रुपये की बिकवाली की है.