भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के बहुप्रतीक्षित आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) के आने में देरी हो सकती है. अभी कंपनी की वैल्युएशन यानी उसके एसेट का मूल्यांकन प्रक्रिया ही नहीं शुरू हो पाई है. पहले इसके इस वित्त वर्ष के अंत यानी मार्च 2021 से पहले आने की उम्मीद की जा रही थी.
असल में आईपीओ से पहले की प्रक्रिया में किसी कंपनी के वैल्युएशन के लिए एक एसेट वैल्यूअर यानी परिसंपत्तियों का मूल्य आंकने वाले की नियुक्ति की जाती है. यह काफी महत्वपूर्ण होता है. बिजनेस स्टैंडर्ड की एक खबर के अनुसार, अभी इस एसेट वैल्युअर की नियुक्ति ही नहीं हो पाई है.
इसकी नियुक्ति के बाद कंपनी के वैल्युएशन में करीब 6 से 8 महीने लग सकते हैं, क्योंकि एलआईसी के पास लैंड एसेट काफी ज्यादा है. तो अब अगर आगे जल्दी किसी वैल्यूअर की नियुक्ति होती भी है तो इस वित्त वर्ष के अंत तक आईपीओ आना मुश्किल ही लग रहा है. अखबार को एक सूत्र ने तो यहां तक बताया है कि अभी एसेट वैल्युअर की नियुक्ति में कई और महीने लग सकते हैं.
वित्त मंत्री ने किया था ऐलान
गौरतलब है कि आर्थिक सुस्ती को देखते हुए इस साल सरकार ने विनिवेश यानी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचकर 2.1 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है. अगर एलआईसी का आईपीओ आता है तो इस लक्ष्य को पाने में आसानी होगी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश करते हुए यह ऐलान किया था कि इस वित्त वर्ष के अंत तक एलआईसी का आईपीओ आएगा.
एलआईसी में सरकार की हिस्सेदारी बेचने के संबंध में वित्त सचिव राजीव कुमार ने बजट के बाद बताया था कि LIC को अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में सूचीबद्ध किया जाएगा. यानी मार्च 2021 से पहले LIC का आईपीओ आएगा.
क्या होता है आईपीओ
जब भी कोई कंपनी शेयर मार्केट में पहली बार आम लोगों के सामने कुछ शेयर बेचने का प्रस्ताव रखती है तो इस प्रक्रिया को प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) कहा जाता है. यानी एलआईसी के आईपीओ को सरकार आम लोगों के लिए बाजार में रखेगी. इसके बाद लोग एलआईसी में शेयर के जरिए हिस्सेदारी खरीद सकेंगे.