चीन के ऋणपाश (Chinese Debt Trap) का दंश अब कई देश महसूस करने लगे हैं. पड़ोसी देश श्रीलंका (Srilanka) के सामने भी यह समस्या खड़ी हो गई है और वह आर्थिक संकट की मार झेल रहा है. इस परिस्थिति में श्रीलंका को पारंपरिक मित्र भारत से बहुत उम्मीदें हैं. अच्छी बात यह है कि भारत इस बदली परिस्थिति में श्रीलंका की हरसंभव मदद करने के लिए तैयार है. भारत की ओर से श्रीलंका के लिए तत्काल खाद्य और स्वास्थ्य सुरक्षा पैकेज देने की तैयारी चल रही है.
कुछ दिनों पहले श्रीलंका के वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे भारत आए थे. इसी यात्रा में श्रीलंका को तत्काल राहत पैकेज देने की तैयारी का खाका तैयार हुआ. ईटी की एक रिपोर्ट में श्रीलंका के सेंट्रल बैंक के गवर्नर अजित निवार्ड कैब्राल के हवाले से बताया गया है कि भारत से पेट्रोलियम इंपोर्ट के लिए 50 करोड़ डॉलर की क्रेडिट लाइन मांगी गई है. कैब्राल ने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से सार्क वित्त व्यवस्था के तहत 40 करोड़ डॉलर की लेन-देन के लिए बातचीत चल रही है.
भारत सरकार और राजपक्षे के बीच सहमति बनी थी कि इन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए आपसी सहमति के साथ प्रक्रियाओं को जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा. विकास और रोजगार के मौके बनाने में योगदान करने के लिए भारत श्रीलंका के अलग-अलग क्षेत्रों में निवेश करेगा. इसमें एनर्जी पैकेज से लेकर ईंधन के आयात (Import) करने और त्रिंकोमाली तेल टैंक फार्म को आधुनिक बनाने में मदद करना शामिल है.
कैब्राल ने बताया कि महामारी के दौरान भी श्रीलंका को भारतीय सहायता मिलती रही है. श्रीलंका के ऊर्जा मंत्री उदय गम्मनपिला ने बुधवार को कहा कि हमने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) को 99 तेल भंडारण टैंक लीज पर दिए थे. उसको वापस करने के लिए भारत के साथ बातचीत पूरी होने के करीब है.