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एक कप चाय की कीमत पर बेच रहे हैं वैक्सीन, 170 देशों में बचाई लोगों की जानः साइरस पूनावाला

मेडिकल केयर और वैक्सीन तक हर व्यक्ति की पहुंच बहुत जरूरी पहलू है. पिछले कुछ वर्षों में वैक्सीन की पहुंच गांव-गांव तक पहुंची है. इसका श्रेय भारत के पुणे में स्थित सीरम इंस्टीट्युट को काफी हद तक जाता है.

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फाइल फोटो
फाइल फोटो
स्टोरी हाइलाइट्स
  • तीन करोड़ बच्चों कि जिंदगी बची
  • क्वालिटी से कोई समझौता नहीं

सीरम इंस्टीट्युट ऑफ इंडिया (Serum Institute of India) के चेयरमैन और पद्म भूषण से सम्मानित साइरस पूनावाला ने कहा है कि कमजोर इकोनॉमी वाले देश उनकी कंपनी द्वारा एक कप चाय से भी कम कीमत पर उपलब्ध कराई जा रही वैक्सीन का इस्तेमाल कर रहे हैं. Serum Institute of India (SII) वैक्सीन बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है. पूनावाला ने कहा कि दुनिया की कुल आबादी का दो-तिहाई हिस्सा SII की एक या इससे ज्यादा वैक्सीन से प्रोटेक्टेड है.

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पूनावाला ने कही ये बात
पूनावाला ने एक कार्यक्रम में कहा, "हमारी अधिकतर वैक्सीनों का इस्तेमाल गरीब देशों द्वारा किया जाता रहा है. UNICEF और अन्य परोपकारी संगठन वैक्सीन खरीदने के लिए आगे आए, जिन्हें मैंने अपने कर्मचारियों और वैज्ञानिकों की मदद से एक कप चाय की किफायती कीमत पर उपलब्ध कराया. इससे दुनिया ऐसे संक्रामक रोगों से प्रोटेक्शन को लेकर आत्मनिर्भर बन गई, जिससे बच्चों और व्यस्कों को प्रोटेक्ट करने की जरूरत होती है."

क्वालिटी से कोई समझौता नहीं
पूनावाला ने साथ ही एक्सप्लेन किया कि भारत की कुल जरूरत की करीब 90 फीसदी वैक्सीन (कोविड-19 की वैक्सीन) कम लागत, अधिक वैल्यू और अधिकतम प्रोडक्शन के सिद्धांत पर मैन्युफैक्चर की जाती है. फार्मा सेक्टर के दिग्गज ने बताया कि दुनियाभर में 170 देश SII की वैक्सीन का इस्तेमाल कर रहे हैं कि क्योंकि पुणे स्थिति कंपनी किफायती लागत के साथ 100 फीसदी क्वालिटी की वैक्सीन बनाने में सक्षम है. 
 
तीन करोड़ बच्चों कि जिंदगी बची
उन्होंने कहा, ''दुनिया भर के एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि करीब तीन करोड़ बच्चों की जिंदगी केवल इस वजह से बचायी जा सकी क्योंकि हमने किफायती कीमत पर वैक्सीन उपलब्ध कराई.''

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अपने भाषण के आखिर में पूनावाला ने कहा कि उन्होंने ईश्वर से इस बात की प्रार्थना की है कि वे उनके बेटे अदार पूनावाला और उनके स्टाफ को इतनी शक्ति दें कि SII किफायती कीमतों पर वैक्सीन बनाने का काम जारी रख पाए.

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