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Sri Lanka Crisis: पेट्रोल और खाने की सप्लाई चालू रखने के लिए श्रीलंका का बड़ा फैसला, लोगों पर लगाई ये रोक!

एशिया-प्रशांत क्षेत्र में कई दशकों बाद कोई देश विदेशी कर्ज चुकाने में विफल रहा है. श्रीलंका का आर्थिक संकट अप्रैल से जगजाहिर है. इसकी बड़ी वजह विदेशी मुद्रा भंडार की कमी ही है.

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श्रीलंका कर रहा आर्थिक संकट का सामना (Photo : AFP)
श्रीलंका कर रहा आर्थिक संकट का सामना (Photo : AFP)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 14 दिन में जमा करानी होगी एक्स्ट्रा करेंसी
  • सबसे बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहा श्रीलंका

श्रीलंका ने गहराते आर्थिक संकट के बीच अपनी इकोनॉमी को बचाने के लिए बड़ा फैसला किया है. देश में पेट्रोल और खाद्यान्न की सप्लाई सुचारू बनी रहे, इसके लिए उसने देश के नागरिकों के लिए नए प्रतिबंधों का ऐलान किया है.

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तय की विदेशी मुद्रा रखने की लिमिट
श्रीलंका अपने समय के सबसे खराब आर्थिक दौर से गुजर रहा है. उसके सामने सबसे बड़ा संकट तेजी से खत्म हो रहा विदेशी मुद्रा भंडार है. ऐसे में पेट्रोल-डीजल और खाद्यान्न का आयात देश में सुचारू रूप से होता रहे इसके लिए उसने लोगों के विदेशी मुद्रा रखने की लिमिट तय कर दी है. अब श्रीलंका में लोग अपने पास सिर्फ 10,000 डॉलर की ही विदेशी मुद्रा रख सकते हैं, जबकि पहले ये लिमिट 15,000 डॉलर तक थी. 

बैंकिंग सिस्टम में लौटेगा डॉलर
एशिया-प्रशांत क्षेत्र में कई दशकों बाद कोई देश विदेशी कर्ज चुकाने में विफल रहा है. श्रीलंका का आर्थिक संकट अप्रैल से जगजाहिर है. इसकी बड़ी वजह विदेशी मुद्रा भंडार की कमी ही है. ऐसे में श्रीलंका के वित्त मंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने विदेशी मुद्रा रखने की लिमिट वाला आदेश पारित किया है. इसके हिसाब से अब श्रीलंका में रहने वाला कोई भी व्यक्ति सिर्फ 10,000 डॉलर के बराबर की ही विदेशी मुद्रा अपने पास रख सकता है. इससे सरकार को बड़ी मात्रा में डॉलर के बैंकिंग सिस्टम में लौटने की उम्मीद है जिससे सरकार को विदेशी मुद्रा में भुगतान करने में मदद मिलेगी.

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14 दिन के अंदर जमा कराएं एक्स्ट्रा डॉलर
सरकार ने लोगों को 16 जून के बाद से 14 कामकाजी दिनों के अंदर एक्स्ट्रा डॉलर बैंकों में जमा कराने या किसी ऑथराइज्ड डीलर को बेचने के लिए कहा है. इतना ही नहीं लोगों को 10,000 डॉलर के बराबर की राशि रखने के लिए भी प्रमाण देना होगा. 

श्रीलंका में आर्थिक संकट इतना गहरा है कि लोग पेट्रोल-डीजल और खाद्यान्न के लिए कई-कई दिनों तक लाइन में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं. वहीं दूसरी सरकार को वितरण पर पूरा नियंत्रण करने के लिए सेना तक को जमीन पर उतारना पड़ा है.

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