भारत, श्रीलंका के साथ अपने घनिष्ठ पौराणिक संबंधो का मान रख रहा है. श्रीलंका के इस सबसे विकट आर्थिक संकट में भारत उसे कई तरह से मदद पहुंचा रहा है. पेट्रोल-डीजल और अनाज की मदद मिलने के बाद श्रीलंका को भारत से एक और चीज की आस है, इससे उसके खेतों में किसानों के लौटने की संभावना बनती दिख रही है और भारत की ये मदद उसे अपने पैरों पर दोबारा खड़ा करने में भी काम आ सकती है.
चावल की खेती में मदद करेगा भारत
श्रीलंका के कृषि मंत्री महिंदा अमारावीरा ने बुधवार को भारतीय उच्चायुक्त गोपाल बाग्ले से मुलाकात की. उन्होंने अपने देश में पर्यावरण संरक्षण और खाद्य सुरक्षा के लिए भारत से मदद का अनुरोध किया. भारत ने पिछले महीने ही श्रीलंका को तत्काल 65,000 टन यूरिया देने का भरोसा दिलाया था, ताकि श्रीलंका में मौजूदा याला की फसल में कोई व्यवधान ना आए. श्रीलंका में याला की फसल की मुख्य पैदावार चावल होती है. ये फसल चक्र मई से अगस्त का होता है.
जगी किसानों के खेतों में लौटने की उम्मीद
श्रीलंका के प्रेसीडेंट गोटबाया राजपक्षे ने पिछले साल देश में रासायनिक खादों का आयात बंद कर दिया था. श्रीलंका को ग्रीन इकोनॉमी बनाने के लिए किए गए इस निर्णय से देश में खाद्य संकट आ गया, क्योंकि पैदावार में 50% से ज्यादा की कमी आ गई. वहीं खेती-किसानी महंगे होने की वजह से कई किसानों ने खेती का काम बंद कर दिया था. इस तरह 100% ऑर्गेनिक खेती का फैसला गलत हो गया. इस बारे में कई एनालिस्ट ने देश में अगस्त के मध्य तक खाद्य संकट आने के संकेत दिए थे.
श्रीलंका के आर्थिक संकट में भारत ने उसे ऋण, क्रेडिट लाइन और क्रेडिट स्वैप्स के माध्यम से मदद देने की प्रतिबद्धता जताई है. इस बीच श्रीलंका देश में फिर से खेती-किसानी सेक्टर को बढ़ावा देने का लक्ष्य लेकर चल रहा है. श्रीलंका का फर्टिलाइजर आयात का सालाना बिल 40 करोड़ डॉलर (करीब 3102 करोड़ भारतीय रुपया) है.
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