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Super Rich Leaving India: करोड़पति लगातार क्यों छोड़ रहे हैं भारत? टैक्स है कारण या कोई और खेल

भारत छोड़कर दूसरे देशों में जाकर बस जाने के मामले में भारत दुनियाभर में दूसरे नंबर पर है. दुनियाभर में वेल्थ और इन्वेस्टमेंट माइग्रेशन पर नजर रखने वाली हेनले की रिपोर्ट में कहा गया है कि अपने देश को छोड़कर दूसरे देशों में अपना आशियाना बनाने वालों में सबसे ज्यादा तादाद चीन की है.

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सुपर रिच लोग क्यों छोड़ रहे हैं देश?
सुपर रिच लोग क्यों छोड़ रहे हैं देश?

वैसे तो हर साल हजारों करोड़पति भारतीय दुनिया के अलग-अलग देशों में जाकर बस जाते हैं. इस कड़ी में साल 2023 में करीब साढ़े 6 हजार हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स यानी HNI देश छोड़कर जा सकते हैं. साल 2022 में ये आंकड़ा ये संख्या 7500 था. 

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हेनले प्राइवेट वेल्थ माइग्रेशन 2023 की रिपोर्ट के बाद सवाल उठ रहे हैं कि आखिर क्यों भारतीय देश छोड़ जा रहे हैं? क्या यह भारत में टैक्स के बोझ का परिणाम है? वहीं सुपर रिच (Super Rich)भारतीयों का ठिकाना कनाडा, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया बन रहा है. क्या इन देशों में टैक्स की दरें भारत की तुलना में कम हैं?

इन तीन देशों में भारत से अधिक टैक्स

लेकिन सच ये है कि इन तीनों (कनाडा, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया) देशों में सुपर रिच के लिए टैक्स की दरें भारत के मुकाबले कहीं अधिक है. कनाडा में पर्सनल इनकम (Personal Income) की अधिकतम दर 54 फीसदी, अमेरिका में 51.6 फीसदी और ऑस्ट्रेलिया में 45 फीसदी है, जबकि भारत में यह 30 फीसदी है.

हकीकत ये है कि G20 के 20 में से 15 देशों में पर्सनल आयकर की अधिकतम दरें भारत से अधिक है. वहीं दूसरी ओर भारत G20 देशों में तीसरा ऐसा देश है, जहां अधिकतम कॉर्पोरेट टैक्स 30 फीसदी तक है. गौरतलब है कि भारत में अधिकतम टैक्स दर पर सरचार्ज और सेस (Cess) दोनों लागू होते हैं. पर्सनल टैक्स के मामले में सरचार्ज टैक्स देनदारी के 25 फीसदी तक जा सकता है. 

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समान टैक्स की वकालत

वहीं ब्रिक्स (BRICS) के 5  देशों की बात करें तो चीन और दक्षिण अफ्रीका में अधिकतम आयकर दर 45 फीसदी है, जो भारत की तुलना में बहुत अधिक है. वहीं इस बीच आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) डिजिटलीकरण और वैश्वीकरण से उत्पन्न होने वाली टैक्स चुनौतियों का समाधान करने में लगा है. AMRG एंड एसोसिएट्स के कॉर्पोरेट और अंतरराष्ट्रीय टैक्ससन के निदेशक ओम राजपुरोहित ने 'इंडिया टुडे' को बताया कि टैक्स की दरों में समानता लाने के लिए देशों के बीच आम सहमति बनाने की कोशिश की जा रही है. 

उन्होंने कहा कि OECD ने 15 फीसदी वैश्विक न्यूनतम टैक्स की बात कही है, और OECD/G20 के तहत आने वाले 137 देशों ने इस समावेशी वैश्विक न्यूनतम टैक्स ढांचे पर सहमति व्यक्त की है. हालांकि ये भी सच है कि दुनियाभर के अमीरों को दुबई और सिंगापुर जैसी जगहें सबसे ज्यादा पसंद आ रही हैं क्योंकि अमीर उस देश में जाना पसंद करते हैं, जहां टैक्स से जुड़े नियम लचीले हों.

टैक्स की वजह से नहीं छोड़ रहे भारत

हालांकि इस बीच दुनियाभर के तमाम देशों के टैक्स स्लैब को देखें तो पता चलता है कि करोड़पतियों के भारत छोड़ने पीछे टैक्स की दरें मुख्य कारण नहीं है. इसके दूसरे पहलु ये है कि लोग बेहतर लाइफस्टाइल और, बेहतर काम के साथ-साथ बेहतर लाइफ के लिए दूसरे देशों में बसने का प्लान करते हैं. इसके अलावा कमाई के उद्देश्य से भी दूसरे देश को सुपर रिच चुन रहे हैं. 

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गौरतलब है कि भारत छोड़कर दूसरे देशों में जाकर बस जाने के मामले में भारत दुनियाभर में दूसरे नंबर पर है. दुनियाभर में वेल्थ और इन्वेस्टमेंट माइग्रेशन पर नजर रखने वाली हेनले की रिपोर्ट में कहा गया है कि अपने देश को छोड़कर दूसरे देशों में अपना आशियाना बनाने वालों में सबसे ज्यादा तादाद चीन की है, जहां से इस साल साढ़े 13 हजार अमीरों के पलायन का अनुमान है. इस लिस्ट में तीसरे नंबर पर ब्रिटेन है, जहां से इस साल 3200 करोड़पतियों के देश छोड़ने का अनुमान है. वहीं रूस से 3 हजार हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल के दूसरे देशों में जाने का अनुमान है और ये इस लिस्ट में चौथे नंबर पर है. 

दुनियाभर में अमीरों के पलायन का ट्रेंड
हालांकि ज्यादातर जानकारों का मानना है कि करोड़पतियों का देश छोड़ना कोई बड़ी चिंता की बात नहीं है. इसके पीछे दलील है कि 2031 तक करोड़पतियों की आबादी लगभग 80 फीसदी तक बढ़ सकती है. इस दौरान भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते वेल्थ मार्केट में से एक होगा. इसके साथ ही देश में फाइनेंशियल सर्विसेज, टेक्नोलॉजी और फार्मा सेक्टर से सबसे ज्यादा करोड़पति निकलेंगे. ऐसे में भारत के लिहाज से ये नंबर 2022 में कम हो जाना एक बड़ी राहत की खबर है.  एक्सपर्ट का कहना है कि भा​रतीयों के लिए सबसे ज्यादा सिंगापुर और दुबई की च्वॉइस है. 

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अमीर लोग क्यों छोड़ते हैं अपना देश

ऑस्ट्रेलिया एक ऐसा देश है, जहां दूसरे देश से सबसे ज्यादा करोड़पतियों के आने की उम्मीद है. रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2023 में 5,200 करोड़पतियों के आने की उम्मीद है. जबकि यूएई इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर है. इस साल यहां 4,500 करोड़पतियों के पहुंचने की उम्मीद है. सिंगापुर का स्थान ​इस लिस्ट में तीसरे नंबर पर है, जहां 3,200 HNWIs के पहुंचने की उम्मीद है. अमेरिका में 2,100 करोड़पति पहुंचने की उम्मीद है. 

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