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2nd National Judicial Pay Commission: तिगुनी हो जाएगी सैलरी, SC के इस आदेश से 23000 कोर्ट कर्मचारियों को तोहफा!

जिला अदालतों व हाई कोर्ट के मातहम काम कर रहीं अन्य अदालतों के जजों-न्यायिक अधिकारियों का वेतन साल 2010 के बाद से नहीं बढ़ा था. दूसरी ओर इस दौरान केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन को कई बार बढ़ाया जा चुका है. अब सुप्रीम कोर्ट ने Second National Judicial Pay Commission की सिफारिशों को लागू करने का निर्देश दिया है...

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2016 से लागू होंगी सिफारिशें
2016 से लागू होंगी सिफारिशें
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कई सालों से नहीं बढ़ा सबऑर्डिनेट जुडिशियरी में वेतन
  • सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बना राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग

देश की जिला अदालतों (District Courts) समेत सब-ऑर्डिनेट जुडिशियरी (Sub-Ordinate Judiciary) में काम करने वाले हजारों लोगों को त्योहारी सीजन (Festive Season) शुरू होने से पहले शानदार तोहफा मिलने वाला है. सालों के इंतजार के बाद अब अंतत: दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग (2nd National Judicial Pay Commission) की सिफारिशें लागू होने का रास्ता साफ हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने आयोग की सिफारिशों (Recommendations Of Second National Judicial Pay Commission) के आधार पर सबऑर्डिनेट जुडिशियरी में काम कर रहे न्यायिक अधिकारियों (Judicial Officers) के लिए बढ़ा पे-स्केल (Pay-Scale) लागू करने का निर्देश दिया है. आयोग की सिफारिशें अमल में आते ही इन अधिकारियों का वेतन एक झटके में करीब तीन गुना बढ़ जाएगा.

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छह महीने में मिलेगा 50% एरियर

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने निर्देश दिया है कि आयोग की सिफारिशों के आधार पर संशोधित पे-स्केल 01 जनवरी 2016 से लागू की जाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एरियर के 25 फीसदी हिस्से का भुगतान अगले तीन महीने में कैश में करना होगा. इसके बाद अन्य 25 फीसदी हिस्से का भुगतान इसके अगले तीन महीने में करना होगा. बाकी बचे 50 फीसदी एरियर का भुगतान अगले साल तक किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को इस संबंध में तीन महीने के बाद शपथपत्र (Affidavit) दायर करने को कहा है.

इस कारण हुआ आयोग का गठन

आपको बता दें कि भारत में न्यायपालिका (Indian Judiciary) तीन श्रेणियों में बंटी हुई है. इसमें टॉप टिअर पर सुप्रीम कोर्ट है. इसके बाद दूसरे टिअर पर राज्यों के हाई कोर्ट (High Courts) हैं. जिलों में काम कर रही जिला अदालतें व अन्य अदालतें सबऑर्डिनेट जुडिशियरी की कैटेगरी में आती हैं, क्योंकि ये अदालतें संबंधित राज्यों के हाई कोर्ट के मातहत काम करती हैं. सबऑर्डिनेट जुडिशियरी में फिलहाल करीब 23 हजार जज व न्यायिक अधिकारी काम कर रहे हैं. अभी सबऑर्डिनेट जुडिशियरी के न्यायिक अधिकारियों व जजों को राज्यों के हिसाब से अलग-अलग वेतन मिलता है. इसमें एकरूपता लाने, पे-स्केल की समीक्षा करने और काम करने की स्थितियों पर गौर करने के लिए साल 2017 में दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग का गठन किया गया था.

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2010 के बाद नहीं बढ़ा इनका वेतन

दरअसल सबऑर्डिनेट अदालतों में काम कर रहे जजों और न्यायिक अधिकारियों के वेतन को आखिरी बार 2010 में बढ़ाया गया था. उसके बाद से अब तक केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन को कई बार बढ़ाया जा चुका है. इस कारण भी वेतन बढ़ाने की मांग लंबे समय से चली आ रही थी. दूसरी ओर ये भी तर्क दिया जा रहा था कि सबऑर्डिनेट कोर्ट के जजों व न्यायिक अधिकारियों के पास जिस तरह के काम होते हैं, उसके चलते उनकी तुलना राज्य सरकारों के कर्मचारियों के साथ नहीं की जा सकती है. इन कारणों ने भी आयोग के गठन का रास्ता साफ किया. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने नवंबर 2017 में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस जेपी वेंकटरामा रेड्डी (Justice J P.Venkatrama Reddi) की अगुवाई में आयोग का गठन किया. आयोग ने साल 2018 में अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंप दी.

ये हैं आयोग की अहम सिफारिशें...

आयोग ने विभिन्न वैकल्पिक तरीकों पर विचार करने के बाद रिपोर्ट में एक पे-मैट्रिक्स (Pay-Matrix) की सिफारिश की. दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग ने सबऑर्डिनेट जुडिशियरी के न्यायिक अधिकारियों व जजों का वेतन 2.81 गुना करने की सिफारिश की. आयोग की इस सिफारिश के अमल में आने के बाद जिन जूनियर सिविल जजों यानी फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट का वेतन 27,700 रुपये है, वह अब बढ़कर 77,840 रुपये हो जाएगा. सेलेक्शन ग्रेड और सुपर टाइम स्केल डिस्ट्रिक्ट जजों के हिस्से को भी क्रमश: 10 फीसदी और 5 फीसदी बढ़ाने की सिफारिश की गई है. इसी तरह आयोग ने पेंशन को भी बढ़ाने की सिफारिश की है.

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