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लॉटरी और गैम्बलिंग पर GST को सुप्रीम कोर्ट ने वैध ठहराया, खारिज की याचिका 

एक निजी कंपनी Skill Lotto ने लॉटरी पर जीएसटी लगाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लॉटरी पर टैक्स लगाना किसी भी तरह से अवैध नहीं है और प्राइज मनी पर भी टैक्स लगाया जा सकता है. 

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लॉटरी और गैम्बलिंग पर जीएसटी को सुप्रीम कोर्ट ने वैध ठहराया
लॉटरी और गैम्बलिंग पर जीएसटी को सुप्रीम कोर्ट ने वैध ठहराया
स्टोरी हाइलाइट्स
  • लॉटरी और गैम्बलिंग पर लगता है जीएसटी
  • एक निजी कंपनी ने इसे कोर्ट में दी थी चुनौती
  • सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में इसे सही ठहराया

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लॉटरी और गैम्बलिंग पर जीएसटी लगाना कानूनी रूप से वैध है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लॉटरी के तहत मिलने वाली प्राइज मनी पर भी टैक्स लगाया जाना उचित है.

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एक निजी कंपनी द्वारा इसको चुनौती देने की याचिका को खारिज करते हुए अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने यह बात कही. एक निजी लॉटरी कंपनी Skill Lotto ने लॉटरी पर जीएसटी लगाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. 

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लॉटरी पर टैक्स लगाना किसी भी तरह से अवैध नहीं है और प्राइज मनी पर भी टैक्स लगाया जा सकता है. Skill Lotto सोल्युशंस की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह बात कही. कोर्ट ने कहा कि जीएसटी के तहत एक्शनेबल क्लेम को शामिल करने को असंवैधानिक या अवैध नहीं है. कानून के तहत लॉटरी एक्शनेबल क्लेम है. 

इसे देखें: आजतक LIVE TV 

याचिकाकर्ता लॉटरी डीलर्स का कहना था कि सेंट्रल जीएसटी एक्ट 2017 और नोटिफिकेशन में गलत तरीके से लॉटरियों को 'गुड्स' मान लिया गया है, जबकि वे 'एक्शनेबल क्लेम्स' में आते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में 7 नवंबर को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. 

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कितना लगता है टैक्स 

गौरतलब है कि एक राज्य में बेची जाने वाली लॉटरियों पर 12 फीसदी का जीएसटी और दूसरे राज्य की लॉटरी बेचने पर 28 फीसदी का जीएसटी लगाया गया है. Skill Lotto ने इसे अपनी याचिका में 'मनमाना, गैरवाजिब और संविधान के अनुच्छेद 14 के खिलाफ बताया था.'  

याचिकाकर्ताओं का कहना था कि पहले के दौर में लॉटरियों पर कोई वैट नहीं लगाया था, सिर्फ 1.28 फीसदी या 0.82 फीसदी की दर से सर्विस टैक्स लगाया जाता था, वह भी फेस वैल्यू पर. यह फेस वैल्यू लॉटरी के प्राइज मनी और एजेंट, रीटेलर या डिस्ट्रिब्यूटर के मार्जिन पर निर्भर करती थी. 

 

 

 

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