अभी पूरी दुनिया की निगाहें पूर्वी यूरोप की ओर लगी हुई हैं. रूस ने पिछले सप्ताह यूक्रेन पर हमला कर दिया और इसके बाद वैश्विक राजनीति में तेजी से चीजें बदल रही हैं. इस हमले के बाद अमेरिका और कई अन्य देशों ने रूस के खिलाफ कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है. इन प्रतिबंधों में रूस को इंटरनेशनल पेमेंट स्विफ्ट (SWIFT) से अलग करना भी शामिल है. ऐसा माना जा रहा है कि अभी तक लगे सभी प्रतिबंधों में रूस को सबसे ज्यादा नुकसान इसी से होगा. अमेरिका और उसके सहयोगी देश स्विफ्ट से रूस को अलग करने के इस कदम को काफी प्रभावी मान रहे हैं. आइए जानते हैं कि यह स्विफ्ट क्या है और यह काम कैसे करता है...
इस कारण बैंकिंग के लिए इम्पोर्टेंट है स्विफ्ट
स्विफ्ट का पूरा नाम है सोसायटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्यूनिकेशन. नाम से ही साफ हो रहा है यह एक प्रकार का कम्यूनिकेशन सिस्टम है. आसान शब्दों में कहें तो स्विफ्ट इंटरनेशनल बैंकिंग सिस्टम का WhatsApp है. इसे अभी दुनिया भर में 11 हजार से ज्यादा फाइनेंशियल संस्थाएं व कंपनियां जुड़ी हुई हैं. इसे इंटरनेशनल पेमेंट के लिए आज के समय में 200 से ज्यादा देशों में इस्तेमाल किया जा रहा है. इसकी महत्ता इस बात से समझा जा सकता है कि इस इस्तेमाल करने वालों में फेडरल रिजर्व, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ चाइना समेत दुनिया भर के लगभग सारे सेंट्रल बैंक शामिल हैं.
ऐसे काम करता है स्विफ्ट सिस्टम
स्विफ्ट सिस्टम के तहत इसका इस्तेमाल करने वाले संस्थानों और कंपनियों को 8 से 11 अंकों का एक कोड दिया जाता है, जिसे स्विफ्ट कोड के नाम से भी जाना जाता है. इसे एक उदाहरण से ऐसे समझें. मान लीजिए कि आप भारत में रहते हैं और आपका अकाउंट पीएनबी में है. आपका कोई दोस्त कनाडा में है और आप उसे पैसे भेजना चाहते हैं. आप अपने अकाउंट से पैसे उसके खाते में पैसे ट्रांसफर करेंगे तो आपको स्विफ्ट कोड भी सबमिट करना होगा. इसके बाद पीएनबी कनाडा के उस बैंक को एक स्विफ्ट मैसेज भेजेगा, जिसमें आपके दोस्त का अकाउंट है. अब कनाडा का वह बैंक मैसेज को वेरिफाइ करेगा और इसके बाद पेमेंट क्लियर हो जाएगा.
इस कारण होगी रूस को दिक्कतें
अभी स्विफ्ट की कवरेज इस तरह से व्यापक हो गई है कि यह एक तरह से यूनिवर्सल सिस्टम का रूप ले चुका है. एक देश से दूसरे देश में पेमेंट कर पाना इसके बिना काफी मुश्किल हो गया है. अब जबकि रूस को इससे बाहर कर दिया गया है तो रूस के किसी भी व्यक्ति को बाहर पैसे भेजने या पैसे मंगाने में दिक्कत होगी. यहां तक कि कंपनियों को भी बाहर से रूस पैसे भेजने में दिक्कतें आएंगी. अंतत: इससे कैश फ्लो में कमी आएगी, जिससे रूस के फाइनेंस को नुकसान होगा.