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एअर इंडिया 67 साल के बाद क्या फिर जाएगी TATA ग्रुप के पास?

टाटा समूह ने एअर एशिया इंडिया के द्वारा एअर इंडिया खरीद के लिए ईओआई जमा कर दी है. अगर टाटा को सफलता मिली तो 67 साल बाद फिर से एअर इंडिया इस ग्रुप के पास जा सकती है. 

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ए​अर इंडिया की खरीद के लिए बोली (फाइल फोटो)
ए​अर इंडिया की खरीद के लिए बोली (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • एअर इंडिया के लिए EoI जमा करने की लास्ट डेट आज
  • टाटा ग्रुप ने ​दिखायी है कंपनी को खरीदने में रुचि
  • अमेरिकी फंड ने भी दाखिल किया EOI

एअर इंडिया की खरीद के लिए अभिरुचि पत्र (EoI) जमा करने की अंतिम तिथि आज यानी 14 दिसंबर को है. इस बीच खबर है ​टाटा समूह ने इसके लिए ईओआई जमा कर दी है. अगर टाटा को सफलता मिली तो 67 साल बाद फिर से एअर इंडिया इस ग्रुप के पास जा सकती है. 

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टाटा ने ही की थी शुरुआत 

गौरतलब है कि भारत में एयरलाइंस की शुरुआत टाटा समूह के मुखिया जेआरडी टाटा ने 1932 में टाटा एअरलाइंस के रूप में की थी. बाद में इसका नाम एअर इंडिया कर दिया गया गया और आजादी के बाद इसका सरकारीकरण हो गया. 1953 से यह पूरी तरह से भारत सरकार के नियंत्रण में है. 

टाटा समूह ने एअर एशिया इंडिया के द्वारा यह ईओआई दाखिल किया है. एयर एशिया में टाटा समूह की बहुल हिस्सेदारी है. 

इसे देखें: आजतक LIVE TV 

अमेरिकी फंड ने भी दाखिल किया EOI

एअर इंडिया के लिए एक और अच्छी खबर यह है कि अमेरिका के एक फंड Interups Inc ने भी उसे खरीदने के लिए अभिरुचिपत्र दाखिल किया है.

फंड के चेयरमैन लक्ष्मी प्रसाद ने सोशल मीडिया पर लिखा, 'आप सभी को शुभकामनाएं. हम आज एअर इंडिया के लिए ईओआई जमा कर रहे हैं. हम सबको चकित कर देंगे. यह हमारा मातृभूमि भारत के राष्ट्रीय करियर और उसके कर्मचारियों को उड़ते रहने और उचाइंयों पर बनाए रखने के लिए एक तरह का समर्पण है.' 

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Interups Inc (ITUP) खुद को 'कारोबारी अवसरों में निवेश करने वाली एक पब्लिक लिस्टेड कंपनी बताती है.' 

एअर इंडिया के कर्मचारी भी खरीद की दौड़ में 

एअर इंडिया के 200 कर्मचारियों के एक ग्रुप ने भी कंपनी को खरीदने के लिए बोली लगाने की इच्छा जतायी है. आज उन्होंने आधिकारिक रूप से अभिरुचि पत्र दायर जमा किया है. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक इन कर्मचारियों के समूह का दावा है कि उनके साथ एक फाइनेंसर भी हैं. 

गौरतलब है कि इसके पहले साल 2018 में सरकार द्वारा एअर इंडिया में 76 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का प्रयास विफल हो चुका है. पिछले साल नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि अगर एअर इंडिया का निजीकरण नहीं हो पाता है तो इसे बंद करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचेगा. 

घाटे में चल रही एअर इंडिया पर हजारों करोड़ रुपये का कर्ज है, जिसमें विमानों की खरीद और कार्यशील पूंजी हेतु लिए गए दीर्घकालिक कर्ज भी शामिल हैं. विनिवेश योजना की जानकारी रखनेवाले एक अधिकारी के मुताबिक, 'अब एअर इंडिया पर महज 18,000 करोड़ रुपये का कर्ज है. जब इसके लिए बोली आमंत्रित की जाएगी, तो उसमें खातों में 18,000 करोड़ का कर्ज ही दिखाया जाएगा.'

 

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