टाटा संस के पूर्व चेयरमैन और उद्योगपति साइरस मिस्त्री का रविवार को एक सड़क हादसे में निधन हो गया. वे 54 साल के थे. मिस्त्री शापूरजी पलोनजी परिवार से थे और टाटा संस में सबसे बड़े शेयरधारक थे. गौरतलब है कि शापूरजी पलौंजी समूह की टाटा संस में 18.37 फीसदी हिस्सेदारी है.
2012 में मिली थी टाटा संस की कमान
साल 2006 में पालोनजी मिस्त्री के सबसे छोटे बेटे साइरस मिस्त्री टाटा संस के साथ जुड़े थे. इसके बाद दिसंबर 2012 में रतन टाटा की जगह टाटा संस का चेयरमैन बनाया गया था. बता दें टाटा ग्रुप ने डेढ़ साल की खोज के बाद इस पद के लिए साइरस मिस्त्री का चयन किया था. टाटा संस के चेयरमैन बनाए जाने के 4 साल बाद 2016 में उन्हें अचानक पद से हटा दिया गया था. इसके बाद वे टाटा समूह से विवाद को लेकर लगातार चर्चा में बने रहे थे.
टाटा ग्रुप के छठे चेयरमैन थे साइरस
साइरस मिस्त्री टाटा संस के छठे चेयरमैन बने थे, जबिक दिसंबर 2012 को रतन टाटा ने इस पद से रिटायरमेंट ले लिया था. इसके साथ ही साइरस मिस्त्री टाटा संस के सबसे युवा चेयरमैन भी थे. गौरतलब है कि मिस्त्री परिवार की टाटा सन्स में दूसरा सबसे बड़ा शेयरहोल्डर्स है. समूह में इस परिवार की 18.4 फीसदी हिस्सेदारी है. 2016 को उन्हें चेयरमैन पद से हटाए जाने के बाद फिर से समूह की कमान रतन टाटा ने अंतरिम चेयरमैन के रूप में अपने हाथ में ले ली थी.
ट्रिब्यूनल पहुंचे थे साइरस मिस्त्री
टाटा ग्रुप के चेयरमैन पद से हटाए जाने के बाद साइरस मिस्त्री ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की मुंबई बेंच के सामने याचिका दायर की. उन्होंने खुद को पद से हटाए जाने के साथ ही अल्पसंख्यक शेयरधारकों के हितों को दबाने का मुद्दा भी उठाया था. 2017 में एनसीएलटी ने मिस्त्री की याचिका पर फैसला सुनाते हुए उन्हें चेयरमैन और निदेशक पद से हटाए जाने के फैसले को सही ठहराया था.
सुप्रीम कोर्ट में टाटा को जीत
टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री NCLT के फैसले के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ अपॉलेट ट्रिब्यूनल गए, जहां उन्हें जीत मिली. एनसीएलएटी ने उन्हें चेयरमैन पद से हटाए जाने के टाटा ग्रुप के बोर्ड के फैसले को अवैध करार दिया था. इसके बाद में टाटा ग्रुप और रतन टाटा ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. जिस पर सुनवाई के दौरान मार्च 2021 को चीफ जस्टिस एसए बोबडे की बेंच ने आखिरकार मामले का निपटारा करते हुए फैसला टाटा के पक्ष में सुनाया.
लंदन से की थी बिजनेस की पढ़ाई
साइरस मिस्त्री ने लंदन बिजनेस स्कूल से पढ़ाई की है. साइरस ने परिवार के पलोनजी ग्रुप में 1991 में काम करना शुरू किया था. उन्हें 1994 में शापूरजी पलोनजी ग्रुप का निदेशक नियुक्त किया गया था. बता दें, पलोनजी मिस्त्री ग्रुप का कारोबार कपड़े से लेकर रियल एस्टेट, हॉस्पिटेलिटी और बिजनेस ऑटोमेशन तक फैला हुआ है. साइरस मिस्त्री के नेतृत्व में उनकी कंपनी ने भारत में कई बड़े रिकॉर्ड बनाए, इनमें सबसे ऊंचे रिहायसी टॉवर का निर्माण, सबसे लंबे रेल पुल का निर्माण और सबसे बड़े बंदरगाह का निर्माण शामिल है.
जून 2022 में हुआ था पिता का निधन
गौरतलब है कि इसी साल पालोनजी मिस्त्री परिवार को दो बड़े झटकों का सामना करना पड़ा है. दरअसल, इसी साल 28 जून 2022 को साइरस मिस्त्री के पिता और बिजनेस टाइकून पालोनजी मिस्त्री की 93 वर्ष की आयु का निधन हो गया था. इसके बाद परिवार को ये दूसरा बड़ा सदमा लगा है, जब सड़क हादसे में साइरस की मौत हो गई. साइरस और उनके उनके पिता के निधन के बाद अब परिवार में उनकी मां पाट्सी पेरिन डुबास, भाई शापूर मिस्त्री के अलावा दो बहनें लैला मिस्त्री और अलू मिस्त्री हैं.