सरकार के हाथों से निकलकर टाटा ग्रुप (Tata Gropu) के पास पहुंची नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड (NINL) ने एक बार फिर से प्रोडक्शन शुरू कर दिया है. घाटे में चल रही इस कंपनी को सरकार ने टाटा ग्रुप के हवाले कर दिया था. तब कंपनी का प्लांट दो साल से बंद पड़ा था. लेकिन टाटा ग्रुप के हाथों में कमान आने के बाद कंपनी के कलेवर बदले और अब ये एक बार फिर ऑपरेशनल हो गई है. टाटा स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट्स लिमिटेड और NINL के अध्यक्ष टी वी नरेंद्रन ने कहा कि हम इसे जल्द-जल्द शुरू करना चाहते थे.
90 दिन में हासिल किया टार्गेट
टी वी नरेंद्रन, जो टाटा स्टील के सीईओ और प्रबंध निदेशक भी हैं. उन्होंने कहा कि अब योजना के अनुसार उत्पादन को धीरे-धीरे रेटेड क्षमता तक बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. अगस्त के महीने में उन्होंने कहा था कि नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड का प्लांट अगले तीन महीने में शुरू हो जाएगा. स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट्स (TSLP) ने बयान में कहा कि 4 जुलाई 2022 को अधिग्रहण पूरा होने के ठीक 90 दिनों बाद हमने NINL में ब्लास्ट फर्नेस को फिर से शुरू करके एक मील पत्थर हासिल किया है.
टाटा ने खर्च की इतनी रकम
टाटा स्टील ने ओडिशा स्थित नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड (NIML) के अधिग्रहण के लिए लगभग 12,100 करोड़ रुपये खर्च किए थे. इस साल 4 जुलाई को ही सभी संयुक्त उद्यम भागीदारों के 93.71 फीसदी शेयरों के ट्रांसफर के बाद NINL टाटा की हो गई थी. टाटा स्टील ने अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सब्सिडियरी टाटा स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट्स लिमिटेड (TSLP) के जरिये NINL का अधिग्रहण किया है. एयर इंडिया के बाद दूसरी ऐसी सरकारी कंपनी है, जो टाटा ग्रुप के पास गई.
कंपनी पर था भारी कर्ज
नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड का कलिंगनगर 1.1 मीर्टिक टन की क्षमता वाला इंटीग्रेटेड स्टील प्लांट है. यह कंपनी भारी घाटे में चल रही थी. इसपर 31 मार्च 2021 को 6,600 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज था. इसके बाद सरकार ने इसे निजी हाथों में सौंपने का फैसला किया था. एक रिपोर्ट के अनुसार टाटा स्टील भारत में करीब 20 मिलियन टन इस्पात का उत्पादन करती है और यह देश की शीर्ष तीन इस्पात उत्पादक कंपनियों में शामिल है.
एक रिपोर्ट के अनुसार, टाटा स्टील की यूनिट TSLP ने इस साल जनवरी में जिंदल स्टील एंड पावर, नलवा स्टील एंड पावर लिमिटेड को पीछे छोड़ते हुए ऑक्शन में NINL को अपने नाम किया था.