बोतलबंद पानी यानी पैकेज्ड वाटर....दुकान से इसे खरीदना हो तो सबसे पहले जो नाम जुबां पर आता है वो है बिसलेरी (Bisleri). अब ये ब्रांड बिकने वाला है. हालांकि, ये देश से बाहर नहीं जा रहा और ग्राहकों को शायद इसी नाम से मिलता भी रहेगा. दरअसल, कंपनी की कमान संभाल रहे रमेश चौहान (Ramesh Chauhan) ने इसे बेचने का फैसला किया है और खरीदने की दौड़ में सबसे आगे Tata Consumer Products Ltd है. लेकिन सवाल ये उठ रहे हैं कि देश का सबसे लोकप्रिय ब्रांड होने और अच्छा कारोबार करने के बावजूद इसे बेचने की नौबत क्यों आई?
बढ़ती उम्र और खराब स्वास्थ्य
भारत की सबसे बड़ी पैकेज्ड वाटर कंपनी बिसलेरी (Bisleri) के मालिक 82 वर्षीय रमेश चौहान हैं. ईटी की रिपोर्ट की मानें तो बढ़ती उम्र के साथ ही खराब स्वास्थ्य के अलावा और भी कई ऐसे कारण हैं, जिनकी वजह से बिसलेरी का सौदा (Bisleri Deal) करने की नौबत आई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि बिसलेरी को आगे बढ़ाने या विस्तार के अगले स्तर पर ले जाने के लिए चेयरमैन के पास कोई उत्तराधिकारी नहीं है.
बेटी जयंती की कम दिलचस्पी भी वजह
रिपोर्ट में बताया गया कि रमेश चौहान की बेटी और बिसलेरी की वाइस चेयरपर्सन जयंती (Jayanti) भी कारोबार के लिए बहुत उत्सुक नहीं है. जिसके चलते अब बिसलेरी को बेचने की तैयारी की जा रही है. यहां बता दें कि बिसलेरी के चेयरमैन और एमडी पद की जिम्मेदारी रमेश चौहान के कंधे पर है, वहीं उनकी पत्नी Zainab Chauhan कंपनी की डायरेक्टर हैं.
रमेश चौहान का बयान
रिपोर्ट के मुताबिक 'बिसलेरी इंटरनेशनल' के चेयरमैन और मशहूर उद्योगपति रमेश चौहान ने गुरुवार को कहा कि वह अपने बोतलबंद पानी के कारोबार के लिए खरीदार की तलाश में हैं, और उनकी टाटा कंपनी से भी बातचीत चल रही है. जब उनसे पूछा गया कि बिसलेरी कारोबार को बेचने के पीछे वजह क्या है? उन्होंने कहा कि आगे चलकर किसी को तो इस कंपनी को संभालना ही होगा, इसलिए
हम उचित रास्ता तलाश रहे हैं. उनकी बेटी को कारोबार संभालने में कम दिलचस्पी है. हालांकि उन्होंने कहा कि अभी केवल बातचीत चल रही है, डील पर मुहर नहीं लगी है.
1969 में खरीदी गई थी Bisleri
साल 1969 में कारोबारी घराने चौहान परिवार के नेतृत्व वाली पारले (Parle) ने बिसलेरी (इंडिया) लिमिटेड को खरीद लिया था. जब इस कंपनी को चौहान ने खरीदी थी तो उनकी उम्र उस समय केवल 28 साल थी. उस समय केवल 4 लाख रुपये में बिसलेरी कंपनी का सौदा हुआ था. 1995 में इसकी कमान रमेश जे चौहान के हाथों में आ गई. इसके बाद पैकेज्ड वाटर का कारोबार इस तेजी से दौड़ा कि अब बोतलबंद पानी की पहचान बन गया है. भारत में पैकेज्ड वाटर का मार्केट 20,000 करोड़ रुपये से अधिक का है. इसमें से 60 फीसदी हिस्सा असंगठित है. बिस्लेरी की संगठित बाजार में हिस्सेदारी करीब 32 फीसदी है.
7,000 करोड़ रुपये में हो सकता है सौदा
रिपोर्ट्स के मुताबिक, बिसलेरी को बेचने के लिए Tata Group के साथ डील लगभग पूरी होने वाली है. ये सौदा 6,000-7,000 करोड़ रुपये का बताया जा रहा है. लेकिन रमेश चौहान फिलहाल इससे इनकार कर रहे हैं. वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, देश भर में बिसलेरी के 122 से अधिक ऑपरेशनल प्लांट मौजूद हैं, जबकि पूरे भारत में लगभग 5,000 ट्रकों के साथ 4,500 से अधिक इसका डिस्ट्रीब्यूटर नेटवर्क है.