TAX On Cryptocurrency: भारत सरकार क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेड को जुए या घुड़दौड़ में दांव लगाने जैसा मानती है. सरकार की ओर से यह जानकारी बजट में क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) पर भारी-भरकम टैक्स के ऐलान के एक दिन बाद बुधवार को दी गई.
गैरकानूनी नहीं है क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेड
फाइनेंस सेक्रेटरी टीवी सोमनाथन ने ब्लूमबर्ग टेलीविजन को एक इंटरव्यू में कहा कि क्रिप्टो खरीदना या बेचना गैरकानूनी नहीं है. हमने इसे अब एक ऐसे टैक्स फ्रेमवर्क में डाला है, जिसमें जुए, घोड़ों की रेस या अन्य सट्टों में जीत से हुई कमाई पहले से है. हम क्रिप्टो से कमाई को भी उसी तरह से देखते हैं. एक दिन पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) ने लोकसभा में बजट (Union Budget 2022) पेश करते हुए डिजिटल एसेट्स (Digital Assets) से कमाई पर 30 फीसदी का भारी-भरकम टैक्स लगाने का प्रस्ताव किया. वित्त मंत्री ने यह भी कहा था कि टैक्स लगाने का मतलब क्रिप्टोकरेंसी को भारत में लीगलाइज करना नहीं है.
सरकार को कानून बनाने की जल्दी नहीं
फाइनेंस सेक्रेटरी से जब क्रिप्टो के भविष्य के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह अभी बहस का टॉपिक है. आने वाले समय में इसे कैसे रेगुलेट किया जाएगा, इसपर अभी काफी चर्चा की गुंजाइश है. सरकार का रवैया यह है कि कानून बनाने से पहले व्यापक स्तर पर लोगों की राय ली जाए. इसके अलावा सरकार यह भी देखना चाहती है कि वैश्विक स्तर पर इस दिशा में क्या होता है. फिलहाल सरकार को कोई जल्दी नहीं है और अभी सिर्फ इससे हुई कमाई पर टैक्स वसूलने से मतलब है.
वित्त मंत्री ने दी थी ये जानकारी
एक दिन पहले बजट के बाद प्रेस कांफ्रेंस में वित्त मंत्री ने कहा था कि किसी भी करेंसी को तब तक करेंसी नहीं माना जा सकता है, जब तक कि उसे सेंट्रल बैंक ने जारी नहीं किया हो. वित्त मंत्री से यह पूछा गया था कि क्या टैक्स लगाने का अर्थ क्रिप्टोकरेंसी को लीगलाइज करना है. उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि सेंट्रल बैंक के फ्रेमवर्क के बाहर जो भी क्रिप्टोकरेंसी हैं, वे करेंसी नहीं हैं.
एक अप्रैल से आ रही है डिजिटल करेंसी
बजट में यह भी ऐलान किया गया कि रिजर्व बैंक जल्दी ही डिजिटल करेंसी लॉन्च करने वाला है. सेंट्रल बैंक की डिजिटल करेंसी 01 अप्रैल से शुरू होने वाली है. इसे डिजिटल रुपी नाम दिया गया है. यह लीगल टेंडर होगा और प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसीज से अलग होगा. सेंट्रल बैंक का कहना है कि इस डिजिटल करेंसी से करेंसी मैनेजमेंट की लागत कम हो जाएगी और अधिक प्रभावी तरीके से प्रबंधन कर पाना संभव होगा.